Mahua Moitra Row: किस आधार पर अपने निष्कासन को चुनौती दे सकती हैं TMC नेता, अब क्या होगा आगे का रास्ता?

By अंकित सिंह | Dec 11, 2023

कैश-फॉर-क्वेरी मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के लोकसभा से निष्कासन ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। शुक्रवार को महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किया गया था। इसके बाद इंडिया ब्लॉक के सदस्यों के साथ फायरब्रांड नेता ने अगले 30 वर्षों तक भाजपा से "संसद के अंदर और बाहर, गटर के अंदर, सड़कों पर" लड़ने की कसम खाई। मोइत्रा को निचले सदन से तब निष्कासित कर दिया गया जब कैश-फॉर-क्वेरी मामले में आचार समिति की एक रिपोर्ट में उन्हें "अनैतिक आचरण" और "गंभीर दुष्कर्म" का दोषी पाया गया और उन्हें हटाने की सिफारिश की गई।

 

इसे भी पढ़ें: बहुत दुखद दिन था… आखिर Mahua Moitra के निष्कासन से क्यों दुखी हैं भाजपा सांसद निशिकांत दुबे?


हालांकि, टीएमसी ने मोइत्रा का समर्थन किया है और उनके निष्कासन ने इंडिया गठबंधन को एक साथ ला दिया है। वहीं, दूसरी ओर अगर 49 वर्षीय नेता फैसले को चुनौती देना चाहती हैं तो कानूनी विकल्प भी तलाश सकती हैं। महुआ मोइत्रा अब सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का रुख कर सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार टीएमसी नेता अपने निष्कासन को शीर्ष अदालत में चुनौती दे सकती हैं। जिस आधार पर महुआ चुनौती दे सकती हैं वह है प्राकृतिक न्याय से इनकार, घोर अवैधता, और सदन के निर्णय या संसदीय समिति की प्रक्रिया की असंवैधानिकता। मोइत्रा इन उदाहरणों के आधार पर प्राकृतिक न्याय से इनकार का तर्क दे सकती हैं। 


मोइत्रा एथिक्स कमेटी के "अधिकार क्षेत्र और आचरण" को चुनौती दे सकती हैं, यह तर्क देते हुए कि पैनल ने अपने जनादेश का उल्लंघन किया है, और इसकी कार्यवाही "अनियमित थी, या क्या वे दुर्भावनापूर्ण या पूर्वाग्रह के साथ आयोजित की गई थीं"। रिपोर्ट के अनुसार, वह नैतिकता पैनल की कार्यवाही में "पूर्वाग्रह, पूर्वाग्रह या किसी भी प्रकार की दुर्भावना" का आरोप लगाते हुए टीएमसी या स्वतंत्र तरीकों से वरिष्ठ संसद या सरकारी अधिकारियों से भी संपर्क कर सकती हैं। मोइत्रा ने दावा किया है कि दर्शन हीरानंदानी और उनके पूर्व साथी वकील जय अनंत देहाद्राई, जिन्होंने शुरू में उन पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था, से जिरह करने की अनुमति नहीं देकर उन्हें प्राकृतिक न्याय से वंचित कर दिया गया।


इसके अलावा महुआ मोइत्रा फैसले की समीक्षा के लिए संसद के समक्ष अनुरोध कर सकती हैं। हालांकि यह पूरी तरीके से संसद के विवेक पर निर्भर है कि वह पर विचार करना चाहती है या नहीं। एक विकल्प यह भी है कि वह फैसले को स्वीकार करें और 4 महीने बाद होने वाले आम चुनाव में एक बार फिर से मैदान में उतरे। 

 

इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi NewsRoom: संसद से बाहर हुईं Mahua Moitra अब सड़क पर BJP को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाएंगी


महुआ मोइत्रा ने क्या कहा

टीएमसी सांसद के रूप में अपने निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, "एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है...यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है।" उन्होंने कहा कि अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अडानी मुद्दे को खत्म कर देंगे, मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने पूरे भारत को केवल यह दिखाया है कि आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, वह दर्शाता है कि अडानी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और आप एक महिला सांसद को समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे।


प्रमुख खबरें

आईसीसी और बीसीसीआई अधिकारियों के साथ चैम्पियंस ट्रॉफी विवाद सुलझाने को कोई बैठक नहीं : PCB

भारतीयों को ब्रांड भारत बनाने के लिए पश्चिम के फरमानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए: Sitharaman

केंद्रीय मंत्री Manohar Lal ने लेह में एनटीपीसी की हरित हाइड्रोजन बसों को हरी झंडी दिखाई

महाराष्ट्र में झूठ, छल और फरेब बुरी तरह हारा, PM Modi बोले- विकसित भारत का मजबूत हुआ संकल्प, झारखंड में करेंगे तेज विकास