By अंकित सिंह | Nov 01, 2023
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक मराठा आरक्षण को लेकर हो रहे प्रदर्शन से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। बैठक में राकांपा प्रमुख शरद पवार सहित विभिन्न नेताओं ने भाग लिया। शरद पवार को मुख्यमंत्री के बगल में बैठे देखा गया। वहीं, संजय राउत ने दावा किया कि मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में उनकी पार्टी के सांसदों और विधायकों को आमंत्रित नहीं किया गया है, जिसके बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे बैठक में मौजूद नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने केवल महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे को बैठक में बुलाया है।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दल मराठा आरक्षण देने पर राज्य सरकार के साथ खड़े हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि आज सर्वदलीय बैठक में मौजूद सभी दलों की राय मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर थी। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी इस बात पर सहमत हुए कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। यह निर्णय लिया गया कि आरक्षण कानून के दायरे में और अन्य समुदायों के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसको लेकर तेजी से काम चल रहा है। किसी के साथ भी कोई अन्याय नहीं होगा।
शिंदे ने कहा कि इसके लिए समय दिया जाना चाहिए। सभी ने यह निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि जो भी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो रही हैं, उनको लेकर सभी ने नाराजगी जताई है। सीएम ने दावा किया कि तीन सेवानिवृत्त जजों की एक कमेटी बनाई गई है। पिछड़ा वर्ग आयोग युद्धस्तर पर काम कर रहा है। मराठा समाज को न्याय दिलाने के लिए जल्द ही फैसले लिए जाएंगे। समय देने की जरूरत है और मराठा समाज भी धैर्य बनाए रखे।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के विभिन्न नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने को लेकर सभी एकमत हैं। इसके कानूनी पहलू पूरे होने के बाद ही स्थायी आरक्षण दिया जा सकता है और राज्य में सभी दल इस संबंध में मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। जल्द से जल्द कानूनी कार्रवाई की जाए। हालाँकि, आवश्यक समय देना आवश्यक है। इसका भी ध्यान रखना चाहिए। राज्य में जो हिंसा की घटनाएँ हुई हैं और हो रही हैं, वे अनुचित हैं और आंदोलन को बदनाम कर रही हैं। हम इन घटनाओं को दृढ़ता से अस्वीकार करते हैं।' अपील की जा रही है कि राज्य में कोई भी कानून अपने हाथ में न ले, राज्य में शांति और कानून व्यवस्था कायम रहे। मनोज जारांगे पाटिल से भी अनुरोध है कि वे सहयोग करें और अपना अनशन वापस लें।