By दिनेश शुक्ल | Aug 11, 2020
भोपाल। मध्य प्रदेश और मणिपुर मिलकर हस्तशिल्प और हथकरघा के विकास एवं विस्तार के लिए काम करेंगे। सबकुछ अनुकूल रहा तो दोनों प्रदेशों के बीच इस बारे में एमओयू भी किया जाएगा। यह बात मध्य प्रदेश हस्तशिल्प विकास निगम के प्रबंध निदेशक राजीव शर्मा ने पीआईबी, भोपाल द्वारा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के तहत ‘मणिपुर और मध्य प्रदेश में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगः विरासत एवं संभावनाएं’ विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश में हथकरघा एवं हस्तशिल्प का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने चंदेरी, माहेश्वरी, बाघ प्रिंट और भैरूगढ़ प्रिंट की साड़ियों समेत मध्य प्रदेश के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की महत्ता बताई और कहा कि मध्य प्रदेश की साड़ियां देश और विदेश में काफी प्रसिद्ध हैं और इनकी काफी मांग है। राजीव शर्मा ने बताया कि कोरोना के संक्रमण काल में भी मध्य प्रदेश हस्तशिल्प विकास निगम ने प्रदेश के बुनकरों को 20 प्रतिशत से भी ज्यादा इंक्रीमेट दिया। उन्होंने कहा कि मृगनयनी के उत्पादों तक आम जनता की पहुंच बेहतर बनाने के लिए उनका विभाग प्रयासरत है।
वेबिनार में प्रतिभागिता करते हुए मणिपुर के राज्य हस्तशिल्प विकास निगम और वस्त्र उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक ई.जीतेन सिंह ने कहा कि मणिपुर का हथकरघा उद्योग अपने कलात्मक उत्पादों के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है और लोग बड़े चाव से इन उत्पादों को खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय में मणिपुर राज्य हस्तशिल्प विकास निगम ने बुनकरों और हस्तशिल्पकारों को तकलीफ से बचाने के लिए न सिर्फ उन्हे कच्चा माल दिया और उनसे 2 करोड़ रुपये के उत्पाद भी खरीदे। ई.जीतेन सिंह ने मणिपुर की साड़ियों, शॉल और बांस से बने उत्पादों के बारे में प्रमुखता से बताया।
पीआईबी, भोपाल के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे ने वेबिनार में पीआईबी के कार्यकलापों का परिचय दिया और मध्य प्रदेश एवं मणिपुर में हस्तशिल्प एवं हथकरघा के विकास के लिए किए जा रहे नवाचारों एवं संभावनाओं की चर्चा की। पीआईबी, भोपाल के संयुक्त निदेशक अखिल नामदेव ने कहा कि मध्य प्रदेश में हस्तशिल्प एवं हथकरघा के विकास के लिए सराहनीय प्रयास हुए हैं और लगातार इस क्षेत्र से जुड़े रोजगार एवं ग्रामीण भारत के विकास की संभावनाओं को तराशने का प्रयास तेज हो रहा है।