M Karunanidhi Birth Anniversary: भारतीय राजनीति के चाणक्य थे एम करुणानिधि, 14 साल की उम्र से शुरू किया था सियासी सफर

By अनन्या मिश्रा | Jun 03, 2023

दक्षिण भारत की राजनीति में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के प्रमुख रहे एम करुणानिधि ने एक अलग मुकाम बनाया था। वह राजनीति के ऐसे चाणक्य थे, जिसने कभी राजनीति के शतरंज में मात नहीं देखी। उनका राजनीतिक कॅरियर बेहद शानदार रहा था। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 3 जून को एम करुणानिधि का जन्म हुआ था। एम करुणानिधि अपने राजनीतिक कॅरियर में 5 बार मुख्यमंत्री और 12 बार विधानसभा सदस्य रहे थे। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सिरी के मौके पर एम करुणानिधि के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

तिरुवरूर के तिरुकुवालाई में दक्षिणामूर्ति नाम की जगह पर 3 जून 1924 को करुणानिधि का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम मुथुवेल और मां का नाम अंजुगम था। बता दें कि एम करुणानिधि ईसाई वेलार समुदाय से ताल्लुक रखते थे। महज 14 साल की उम्र में करुणानिधि पढ़ाई छोड़कर सियासी सफर पर निकल पड़े थे। उन्होंने हिंदी भाषा विरोधी आंदोलनों के जरिए राजनीति में प्रवेश किया। इसके बाद करुणानिधि ने एक द्रविड़ राजनीति का छात्र संगठन बनाया।

इसे भी पढ़ें: Vinayak Damodar Savarkar Birth Anniversary: वीर सावरकर ने महज 12 साल की उम्र में लहराया था वीरता का परचम, जानिए क्या है 'माफीनामे' का सच

परिवार

तमिलनाडु की राजनीति के चाणक्य मानें जाने वाले करुणानिधि ने तीन शादियां की थीं। उनकी पहली पत्नी का नाम पद्मावती, दूसरी पत्नी का नाम दयालु अम्माल और तीसरी पत्नी का नाम रजति अम्माल था। वहीं उनके 4 बेटे व 2 बेटियां हैं। जिनमें एमके मुथू पहली पत्नी पद्मावती के बेटे हैं। जबकि वर्तमान में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, एम के अलागिरि, एमके तमिलरासू और बेटी सेल्वी दयालु उनकी दूसरी पत्नी दयालु अम्मल की संताने हैं। वहीं करुणानिधि की तीसरी पत्नी रजति अम्माल से उन्हें एक बेटी कनिमोझी है।  


फिल्मी कॅरियर

बता दें कि करुणानिधि ने जिस भी क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाई है, वहां पर उन्हें सफलता हासिल हुई है। करुणानिधि ने अपनी पहली ही फिल्म राजकुमारी से लोकप्रियता हासिल की। इसके अलावा उन्होंने कई पटकथा भी लिखी हैं। जिनमें अबिमन्यु, मंदिरी कुमारी, मरुद नाट्टू इलवरसी, मनामगन, देवकी, राजकुमारी, पराशक्ति, पनम, तिरुम्बिपार आदि शामिल हैं। करुणानिधि ने तमिल सिनेमा को एस.एस. राजेंद्रन और शिवाजी गणेशन जैसे उम्दा कलाकार दिए हैं। 


राजनीतिक कॅरियर

जिसके बाद साल 1957 में वह पहली बार कुलिथालाई से तमिलनाडु विधानसभा के विधायक बनें। फिर साल 1967 में करुणानिधि सत्ता में आए। इस दौरान उनको लोक निर्माण मंत्री बनाया गया। फिर साल 1969 में अन्ना दुरै के निधन के बाद करुणानिधि राज्य के सीएम बनें। इसके बाद वह 5 बार मुख्यमंत्री और 12 बार विधानसभा सदस्य रहे थे। जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बनें तो उस दौरान इंदिरा गांधी देश की पीएम थीं। वहीं जब आपातकाल लगा था तो उस दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने वाले आयोग की सिफारिशों के आधार पर पीएम इंदिरा गांधी ने करुणानिधि की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। 


वहीं जब करुणानिधि तीसरी बार मुख्यमंत्री बनें तो उस दौरान इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। इसके बाद चौथी बार मुख्यमंत्री बनने पर पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। फिर आखिरी और पांचवी बार दब करुणानिधि सीएम बनें तो उस दौरान मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। 1957 के बाद से साल 2016 तक उन्होंने 13 चुनावों में कभी भी हार का सामना नहीं किया। फिर तमिलनाडु की राजनीति में एक समय ऐसा भी आया जब डीएमके में फूट पड़ गई। जिसके बाद पार्टी दो भागों में बंट गई। साल 1972 में पार्टी के दो भागों में बंट जाने के बाद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कणगम यानी की AIADMK का जन्म हुआ था। बता दें कि वर्तमान में करुणानिधि के बेटे एम के स्टालिन डीएमके की जिम्मेदारियों को संभाले हुए हैं। 


मौत

लंबी बीमारी के बाद 7 अगस्त 2018 को 94 साल की उम्र में करुणानिधि की मौत हो गई थी। बता दें कि करुणानिधि को लोग प्यार से कालांगिनर भी कहते थे। करुणानिधि दक्षिण की राजनीति में जितना दबदबा रखते थे, उतना ही दबदबा वह केंद्र की राजनीति में भी रखते थे। इसीलिए वह राजनीति के चाणक्य भी कहे जाते थे।

प्रमुख खबरें

Kuber Temples: भारत के इन फेमस कुबेर मंदिरों में एक बार जरूर कर आएं दर्शन, धन संबंधी कभी नहीं होगी दिक्कत

Latur Rural विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने किया दशकों तक राज, बीजेपी को इस चुनाव में अपनी जीत का भरोसा

भारत ने किया पाकिस्तान को चारों खाने चित, क्रिकेट के बाद अब इस खेल में भी नहीं होगा दोनों का मुकाबला

Rahul Gandhi Jharkhand Rally | झारखंड रैली में राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया