आज गुरु प्रदोष व्रत है, हिंदू धर्म में प्रदोष का व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित है, दिन विशेष के अनुसार प्रदोष को नाम दिया जाता है। प्रदोष के व्रत में उपवास के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है तो आइए हम आपको गुरु प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें गुरु प्रदोष व्रत के बारे में
प्रदोष का व्रत हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है। गुरु प्रदोष व्रत के दिन उपवास और पूजन करने से महादेव प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, इस दिन व्रत और पूजन करने से जीवन खुशहाल रहता है। आज गुरुवार है, इसलिए आज के व्रत को गुरू प्रदोष व्रत कहा जाता है।
गुरु प्रदोष व्रत में ये खाएं, रहेंगे सेहतमंद
गुरु प्रदोष व्रत में फलाहार करना चाहिए, इस दिन भक्त पूर्ण व्रत भी रख सकते हैं। वहीं जो भक्त फलाहारी प्रदोष व्रत रखते हैं, उनको फलाहार में संतरा, केला, सेब, हरी मूंग आदि चीजें खानी चाहिए। दूध, दही, सिंघाड़े का हलवा, साबूदाना की खिचड़ी, कुट्टू के आटे की पूड़ी और समा चावल की खीर का सेवन करना चाहिए। सूखे मेवे खाने चाहिए, नारियल पानी पीना चाहिए। इस व्रत में लहसुन-प्याज और मांसाहार भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, शराब नहीं पीनी चाहिए। साथ ही अनाज नहीं खाना चाहिए और लाल मिर्च एवं सादा नमक नहीं खाना चाहिए।
गुरु प्रदोष व्रत पर ये करें, मिलेगी सफलता
पंडितों के अनुसार इस दिन भक्तों को सच्ची श्रद्धा और भक्ति से व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। घर और मंदिर में सफाई रखनी चाहिए, घर को पावन और शुद्ध रखना चाहिए। गुरु प्रदोष व्रत के दिन किसी से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए और किसी के लिए भी नकारात्मक विचार अपने मन में नहीं लाने चाहिए। भगवान शिव को पूजा में केतकी के फूल और टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाने चाहिए।
गुरु प्रदोष व्रत पर इन चीजों का करें दान
गुरु प्रदोष व्रत में फलों का दान करना शुभ माना जाता है, इस दिन वस्त्रों और अन्न का दान करना चाहिए। इस दिन दूध का दान करना चाहिए और काले तिलों का दान करना चाहिए। साथ ही गाय का दान करना चाहिए।
गुरु प्रदोष व्रत पर इन मंत्रों का करें जाप
- ॐ नमः शिवाय:
- ॐ महादेवाय नमः
- ॐ पार्वती नमः
- ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में गुरु प्रदोष व्रत बहुत महत्व रखता है। गुरु प्रदोष व्रत और भगवान शिव का पूजन करने से घर में सुख-शांति रहती है। घर में अन्न और धन का भंडार भरा रहता है। कर्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है। गुरु प्रदोष व्रत और भगवान शिव का पूजन करने से वैवहिक जीवन खुशहाल रहता है। अगर कुंवारी कन्याएं गुरु प्रदोष का व्रत और शिव जी का पूजन करती हैं, तो उनको मनचाहा वर मिलता है।
गुरु प्रदोष व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, असुरों के राजा वृत्तासुर ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। इसका देवताओं ने भी प्रतिकार किया और दोनों पक्षों में भीषण युद्ध हुआ। उस युद्ध में असुरों की सेना को हार का सामना करना पड़ा और इससे वृत्तासुर नाराज हो गया। मायावी वृत्तासुर ने भयंकर रुप धारण किया और देवताओं पर हमला कर दिया। इससे देवता डर गए और भागकर देव गुरु बृहस्पति के पास गए। तब देव गुरु ने देवताओं को वृत्तासुर के जीवन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वृत्तासुर पहले चित्ररथ नामक राजा था। उसने कठोर तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया। एक बार वह कैलाश पर भगवान शिव के पास पहुंच गया। उसने देखा कि भगवान शिव के बगल में माता पार्वती बैठी हैं और उसने उनका उपहास उड़ाया। उसके इस व्यवहार से माता पार्वती क्रोधित हो गईं। उन्होंने चित्ररथ से कहा कि तुमने भगवान शिव और उनका अपमान किया है। तुझे श्राप है कि तू राक्षस बन जाएगा और अपने विमान से नीचे गिर जाएगा। उस श्राप के प्रभाव से राजा चित्ररथ राक्षस योनि में चला गया और वह वृत्तासुर के नाम से जाना गया।
देव गुरु बृहस्पति ने देवताओं को बताया कि वृत्तासुर बचपन से ही भगवान शिव की पूजा करता है। वह उनका परम भक्त है। उसको हराने के लिए आपको शिव कृपा प्राप्त करनी होगी। इस वजह से आप सभी गुरु प्रदोष व्रत करें, जिससे महादेव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। देव गुरु बृहस्पति ने जो विधि बताई थी, उसी के अनुसार, देवताओं ने गुरु प्रदोष व्रत किया। जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और शिव कृपा से देवराज इंद्र ने वृत्तासुर को हरा दिया। उसके बाद से स्वर्ग में फिर से शांति आ गई। जो व्यक्ति विधि विधान से गुरु प्रदोष व्रत रखकर शिव पूजा करता है, उसे शत्रुओं पर विजय मिलती है और उसके शत्रुओं का नाश होता है।
गुरु प्रदोष व्रत का ऐसे करें पारण
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष के व्रत पारण उपवास के अगले दिन किया जाता है। ऐसे में गुरू प्रदोष व्रत का पारण 28 मार्च को सुबह सूर्योदय के बाद स्नान करके पूजा-पाठ करने के बाद किया जाएगा।
गुरु प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार सबसे पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए प्रदोष व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल पर शिवलिंग स्थापित करें और उस पर जल, बेलपत्र, आक के फूल, गुड़हल के फूल और मदार के फूल चढ़ाएं। पूजा के दौरान ॐ नमः शिवाय और ॐ त्र्यम्बकं यजामहे जैसे शिव मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद, गुरु प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और उनका प्रिय भोग अर्पित करें। पूरे शिव परिवार की पूजा करें, जिसमें भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की पूजा भी शामिल हो। गुरु प्रदोष व्रत के अगले दिन व्रत का पारण करें।
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त: 27 मार्च 2025, सायं 6 बजकर 35 मिनट से रात्रि 8 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में पूजा करना अत्यधिक शुभ और फलदायी माना जाता है। इस समय में भगवान शिव का ध्यान और पूजा विशेष रूप से प्रभावशाली होती है।
- प्रज्ञा पाण्डेय