कोविड-19 की जांच के लिए अपनी रणनीति बदलते हुए आईसीएमआर ने सोमवार को कहा कि प्रवासी और लौटने वाले लोगों में अगर इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो इसके सात दिन के भीतर उनकी कोरोना वायरस के लिए जांच की जाएगी। उसने यह भी कहा कि जांच नहीं हो पाने की स्थिति में प्रसव समेत अन्य आपातकालीन क्लीनिकल प्रक्रियाओं में देरी नहीं होनी चाहिए। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारत में कोरोना वायरस की जांच के लिए अपनी परिवर्तित रणनीति में यह भी जोड़ा है कि अस्पतालों में भर्ती किसी भी रोगी को और कोविड-19 की रोकथाम और नियंत्रण में लगे अग्रिम पंक्ति के लोगों में इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षण दिखने पर उनकी भी आरटी-पीसीआर जांच होगी। इसके अलावा किसी संक्रमित मामले के सीधे संपर्क में और अत्यंत जोखिम में रहने वाले ऐसे लोग जिनमें लक्षण नहीं हैं, उनकी संपर्क में आने के पांचवें और दसवें दिन के बीच एक बार संक्रमण का पता लगाने के लिए जांच की जाएगी। अभी तक ऐसे मामलों में पांचवें और 14वें दिन के बीच एक बार जांच की जा रही है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आईसीएमआर ने देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ने के मद्देनजर अपनी रणनीति में बदलाव किया है। नयी रणनीति का उद्देश्य संक्रमण को और प्रभावी तरीके से फैलने से रोकना तथा कोविड-19 की जांच के मानदंड दायरे में शामिल सभी लोगों को प्रामाणिक निदान प्रदान करना है।'' देश में सोमवार को कोविड-19 से मरने वालों की कुल संख्या 3,029 हो गयी और संक्रमण के कुल मामले 96,169 पर पहुंच गये। रविवार सुबह आठ बजे से देशभर में संक्रमण के कुल 5,242 मामले और मौत के 157 मामले दर्ज किये गये हैं। आईसीएमआर ने कहा, ‘‘आईएलआई के रूप में ऐसे मामलों को परिभाषित किया गया है जिनमें 38 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक बुखार के साथ सर्दी-खांसी और सांस संबंधी संक्रमण की समस्या हो, वहीं अति गंभीर श्वसन संबंधी संक्रमण (एसएआरआई) मामले में उन्हें रखा गया है जिनमें उक्त लक्षणों के साथ रोगी को अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो जाए।’’ अभी तक दिशानिर्देशों के अनुसार हॉटस्पॉट या नियंत्रण (कंटेनमेंट) क्षेत्रों में रह रहे आईएलआई के लक्षण वाले लोगों, एसएआरआई रोगियों और ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों जिनमें लक्षण दिख रहे हों, की कोरोना वायरस संक्रमण के लिए जांच की जा रही है। साथ ही बीते 14 दिन में अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले ऐसे लोगों जिनमें लक्षण नहीं हैं तथा संक्रमित लोगों के संपर्क में आ रहे लक्षण वाले लोगों की जांच की जा रही थी।
केन्द्र सरकार का निर्देश
केन्द्र ने सोमवार को उपसचिव स्तर से नीचे के अपने 50 प्रतिशत कनिष्ठ कर्मचारियों से कार्यालय आने को कहा। कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के कारण अभी तक इस श्रेणी में आने वाले महज 33 प्रतिशत कर्मचारियों को कार्यालय आने के लिए कहा गया था। आदेश में कहा गया है, ‘‘उपसचिव स्तर से नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति का नियमन करने के लिए सभी विभागाध्यक्षों से कहा गया है कि वे एक रोस्टर (ड्यूटी चार्ट) तैयार करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 50 प्रतिशत अधिकारी और कर्मचारी एक दिन के अंतराल में कार्यालय आएं।’’ कार्मिक मंत्रालय द्वारा केन्द्र सरकार के सभी विभागों को भेजे गए आदेश की प्रति में कहा गया है कि जिन 50 प्रतिशत अधिकारियों और कर्मचारियों को एक दिन कार्यालय नहीं आना है, वे घर से काम करें और हर समय टेलीफोन तथा संपर्क के अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर उपलब्ध रहें। उसमें कहा गया है कि उपसचिव स्तर और उनसे वरिष्ठ स्तर के सभी अधिकारी प्रत्येक कार्य दिवस पर कार्यालय आएं। कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि सभी विभागाध्यक्षों से कहा गया है कि वे सुनिश्चित करें कि जो 50 प्रतिशत अधिकारी और कर्मचारी कार्यालय आ रहे हैं, वे सभी अलग-अलग समय पर दफ्तर पहुंचें।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े
भारत में एक लाख की आबादी पर कोरोना वायरस के 7.1 मामले हैं जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा प्रति एक लाख पर 60 पीड़ितों का है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि देश में कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या 3029 हो गई है जबकि संक्रमितों की संख्या बढ़कर 96,169 पर पहुंच गई है। इसने यह भी कहा कि भारत में कोरोना वायरस से ठीक होने वालों की दर 38.39 फीसदी है। डब्लूएचओ के आंकड़े का जिक्र करते हुए मंत्रालय ने कहा कि सोमवार तक दुनिया में कोविड-19 मरीजों की संख्या 45 लाख 25 हजार 497 थी। इसके अनुसार प्रति एक लाख की आबादी पर करीब 60 लोग संक्रमित हैं। इसने कहा कि कोरोना वायरस के सर्वाधिक मामलों की संख्या वाले देशों में अमेरिका में अभी तक 14 लाख नौ हजार 452 मामले सामने आए हैं। यहां एक लाख की आबादी पर करीब 431 संक्रमित हैं। रूस में दो लाख 81 हजार 752 मामले हैं और प्रति लाख आबादी पर यह आंकड़ा 195 मामले होता है। इसने कहा कि ब्रिटेन में प्रति लाख आबादी पर 361 मामले, स्पेन में प्रति लाख आबादी पर 494 मामले, इटली में प्रति लाख आबादी पर 372 मामले और ब्राजील में प्रति लाख आबादी पर 104 मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘अभी तक आक्रामक एवं त्वरित कदम उठाए जाने के कारण उत्साहजनक परिणाम दिखे हैं।’’ भारत में सोमवार की रात आठ बजे तक 24 घंटों के दौरान 157 लोगों की मौत हुई और 5242 मामले सामने आए। मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में हमारे यहां ठीक होने की दर 38.29 फीसदी है।
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दिल्ली में सम-विषम आधार पर खुलेंगी दुकानें
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को बाजारों में सम-विषम आधार पर दुकानें खोलने और केवल 20 यात्रियों के साथ बसों का संचालन करने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली में मेट्रो ट्रेन, कॉलेज, शॉपिंग मॉल और स्विमिंग पूल बंद रहेंगे। ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ''हमें धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को खोलने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। हमने लॉकडाउन की अवधि का उपयोग कोविड-19 से निपटने की व्यवस्था करने में किया।’’ उन्होंने कहा कि शहर में बसों में चढ़ने से पहले लोगों की जांच की जाएगी। इसके अलावा टैक्सी समेत सभी चार पहिया वाहनों में केवल दो यात्रियों को बैठाने की अनुमति होगी। केजरीवाल ने कहा कि दो पहिया वाहनों को अनुमति दी जाएगी लेकिन पीछे की सीट पर किसी को बैठाकर यात्रा करना प्रतिबंधित होगा। उन्होंने कहा, “दिल्ली में भवन निर्माण कार्य और सामान ले जाने वाले ट्रकों को आवाजाही की अनुमति होगी।” केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में 31 मई तक धार्मिक सभाओं पर रोक है। साथ ही रेस्तरां होम-डिलीवरी के लिए खुल सकते हैं लेकिन रेस्तरां में डाइनिंग सेवा की अनुमति नहीं होगी। केजरीवाल ने कहा कि विवाह समारोह में केवल 50 लोग जबकि अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 लोग शामिल हो सकते हैं। केंद्र सरकार ने रविवार को कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में थोड़ी और ढील देते हुए इसे 31 मई तक बढ़ा दिया।
प्रियंका के कार्यालय ने भेजा बसों एवं चालकों का विवरण
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के कार्यालय ने उन 1000 बसों एवं चालकों का ब्यौरा सोमवार को उत्तर प्रदेश प्रशासन को भेज दिया जिनके माध्यम से श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाने का आग्रह किया गया है। सूत्रों के मुताबिक प्रियंका के कार्यालय की ओर से देर शाम उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजा गया और उसके साथ ही 1000 बसों के नंबर और उनके चालकों का ब्यौरा संलग्न किया गया है। कांग्रेस के एक सूत्र ने बताया कि प्रियंका के कार्यालय ने उत्तर प्रदेश प्रशासन से आग्रह किया है कि मंगलवार से ही बसों का परिचालन करने दिया जाए। उत्तर प्रदेश प्रशासन ने सोमवार को दिन में बसें चलाने के कांग्रेस के आग्रह को स्वीकार करने के साथ ही प्रियंका के निजी सचिव को पत्र लिखकर बसों के संबंध में विवरण मांगा था। इससे पहले प्रियंका ने श्रमिकों के लिए 1000 बसों के संचालन की अनुमति प्रदान किए जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद करते हुए सोमवार को कहा कि कोरोना महामारी के समय उनकी पार्टी राज्य के लोगों के साथ सकारात्मक भाव से खड़ी रहेगी। प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘‘योगी आदित्यनाथ जी महामारी के समय इंसान की जिंदगी को बचाना, गरीबों की रक्षा करना, उनकी गरिमा की हिफाजत करना हमारा नैतिक दायित्व और अधिकार है। कांग्रेस इस कठिन समय में अपनी पूरी क्षमता और सेवाव्रत के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है।’’ कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने कहा, ‘‘ये बसें हमारी सेवा का विस्तार हैं। हमें उप्र में पैदल चलते हुए हजारों भाई-बहनों की मदद करने के लिए, कांग्रेस के खर्चे पर 1000 बसों को चलवाने की इजाजत देने के लिए आपको धन्यवाद।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपको उप्र कांग्रेस की तरफ से मैं आश्वस्त करती हूँ कि हम सकारात्मक भाव से महामारी और उसके चलते लॉकडाउन की वजह से पीड़ित उप्र के अपने भाई-बहनो के साथ इस संकट का सामना करने के लिए खड़े रहेंगे।''
हजारों श्रमिक गाजियाबाद पहुंचे
कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन के बीच दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अन्य नगरों से हजारों श्रमिक सोमवार को बिहार और उत्तर प्रदेश स्थित अपने घरों को जाने के वास्ते श्रमिक विशेष ट्रेनों के पास हासिल करने के लिए यहां शहर स्थित रामलीला मैदान पहुंच गए। इससे अफरातफरी और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई। भारतीय रेलवे ने कुल 7200 प्रवासी श्रमिकों को गाजियाबाद स्टेशन से बिहार में पटना, मुजफ्फरपुर और रक्सौल और उत्तर प्रदेश में आजमगढ़, वाराणसी और गोरखपुर पहुंचाने के लिए दिन में छह विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया था। प्रशासनिक निर्देशों के अनुसार श्रमिकों को शहर के बीचोंबीच स्थित रामलीला मैदान पहुंचना था ताकि वे ट्रेनों में सवार होने के लिए अपने पास ले सकें। उसके बाद इन श्रमिकों को बसों में रेलवे स्टेशन पहुंचाया जाना था। तदनुसार श्रमिक ट्रेन के पास प्राप्त करने के लिए दिल्ली और एनसीआर के अन्य नगरों से रविवार शाम से और सोमवार सुबह में श्रमिक गाजियाबाद पहुंचने लगे और उनके साथ महिलाएं एवं बच्चे भी थे। इसके परिणामस्वरूप 10 से 12 हजार से अधिक श्रमिक सोमवार दोपहर तक रामलीला मैदान पहुंच गए। इनमें से सैकड़ों मैदान में बने अस्थायी काउंटरों से पास प्राप्त करने के लिए पांच से छह पंक्तियों में खड़े हो गए और प्रत्येक कतार 500 से 600 मीटर लंबी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हजारों श्रमिक काउंटरों पर पंक्तियों में खड़े थे जबकि उनके परिवार के सदस्य एवं अन्य धूप में घंटों मैदान में बैठे रहे। इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं जो भूखे और प्यासी थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वहीं कुछ अन्य मैदान में खड़ी बसों में बैठने के लिए पंक्तियों में खड़े हो गए यह मानकर कि उन्हें रेलवे स्टेशन ले जाया जाएगा। हालांकि घंटों इंतजार करने के बाद उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि उन्हें कहीं नहीं ले जाया जाएगा। मैदान में इंतजार कर रहे लोगों द्वारा कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियम या मास्क लगाने के नियम का पालन नहीं किया गया। साथ ही वहां मौजूद कुछ पुलिसकर्मी भी इस बारे में कुछ नहीं कर पाये। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस भी भीड़ को लेकर लापरवाह दिखी। गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने हालांकि भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस द्वारा लापरवाह रवैया अपनाने के आरोपों को दरकिनार कर दिया। नैथानी ने पीटीआई से कहा, ‘‘कई हजार श्रमिक दिल्ली और एनसीआर के अन्य क्षेत्रों से यहां पहुंच गए। वे दिल्ली और गाजियाबाद की सीमा पर एकत्रित हुए थे। उनके रहने के लिए एक मॉल और दो फार्महाउस में इंतजाम किये थे।’’ अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट संतोष कुमार वैश ने कहा, ‘‘श्रमिकों की भारी भीड़ देखने के बाद जिला प्रशासन ने श्रमिकों को उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पहुंचाने के लिए 100 बसों का भी इंतजाम किया।’’ उन्होंने कहा कि छह ट्रेनों में से दो गाजियाबाद से दिन में ही रवाना हो गई हैं जबकि दो शाम में रवाना होंगी और बाकी दो रात में रवाना होंगी।
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दिल्ली में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 160
दिल्ली में कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या सोमवार को बढ़ कर 160 हो गई जबकि संक्रमण के मामले 10,000 के पार चले गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस के 299 नए मामले सामने आए हैं जबकि फिलहाल इसके 5,409 मरीज उपचार से गुजर रहे हैं। कोरोना वायरस के मामले 10,000 के पार जाने के साथ ही दिल्ली ऐसा चौथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेश बन गया है जहां इस महामारी के मामले 10000 से ऊपर हो गये। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार महाराष्ट्र में कोविड-19 के 33,055, गुजरात में 11,379, तमिलनाडु में 11,224 मामले हो चुके हैं। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को जारी बुलेटिन में कहा कि दिल्ली में कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 160 हो गई है और संक्रमण के मामले बढ़ कर 10,054 हो गए हैं। यहां रविवार को कोविड-19 के मामले 9,755 थे और मृतक संख्या 148 थी। 299 नये मामलों के साथ ही यहां इस संक्रमण के मामले बढ़कर 10054 हो गये। जितने मरीजों की मौत हुई, उनमें 82 मरीज 60 साल या उससे अधिक उम्र के थे यानी 52 फीसद मरीज बुजुर्ग थे। बुलेटिन के अनुसार 45 मरीज 50-59 साल के और 33 मरीज 50 साल से कम उम्र के थे। कोविड-19 से मौत पर ‘कम रिपोर्टिंग’ को लेकर आलोचना से घिरी दिल्ली सरकार ने रविवार को अस्पतालों के लिए इस संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया जारी की।
20 मई से सार्वजनिक बसें चलाई जाएंगी
लॉकडाउन के चौथे चरण में 20 मई से पंजाब के चुनिंदा मार्गों पर 50 प्रतिशत यात्रियों के साथ सार्वजनिक बस सेवाएं फिर से शुरू होंगी। परिवहन मंत्री रजिया सुल्ताना ने सोमवार को यह जानकारी दी। केंद्र सरकार द्वारा संक्रमण से गैर-निषिद्ध क्षेत्रों में बसें चलाने की अनुमति मिलने के बाद पंजाब सरकार ने सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को फिर से शुरू करने का कदम उठाया है। पंजाब में सोमवार को कर्फ्यू हटा कर 31 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया। सुल्ताना ने कहा, ‘‘हम बुधवार से बस सेवाओं को 50 प्रतिशत सवारियों के साथ फिर से शुरू करेंगे। अगर एक बस में 50 सीटें हैं, तो केवल 25 यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति होगी।’’ उन्होंने कहा कि बसें केवल राज्य के अंदर चलेंगी। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 16 मई को, घोषणा की थी कि 18 मई से कर्फ्यू प्रतिबंध हटा दिया जाएगा और 31 मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया जाएगा। उन्होंने तब सीमित सार्वजनिक परिवहन फिर से शुरू करने का संकेत दिया था।
हिंदू स्टोर से सामान खरीदने से रोकने पर मामला दर्ज
कर्नाटक के दावणगेरे में अल्पसंख्यक समुदाय के पांच व्यक्तियों को अपने समुदाय के लोगों को एक स्टोर से कपड़े खरीदने से कथित रूप से रोकने को लेकर गिरफ्तार किया गया है। दावणगेरे के पुलिस अधीक्षक हनुमंतथरयप्पा ने सोमवार को कहा, ''हमने पांच व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है जो महिलाओं को एक स्टोर से सामान खरीदे से रोक रहे थे। उन्होंने स्टोर पर जा रहीं उन महिलाओं से कहा कि मुसलमान होकर वे वहां से क्यों खरीददारी कर रही हैं।’’ पुलिस ने चार वीडियो के आधार पर मामला दर्ज किया है जिनमें ये पुरूष बुर्के वाली एक महिला से एक हिंदू स्टोर से सामान खरीदने को लेकर कथित रूप से सवाल करते हुए और उसे परेशान करते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में इन पुरूषों को महिला पर चिल्लाते हुए सुना जा रहा है और उसके हाथों से खरीददारी वाले बैगों को छीनते हुए देखा जा रहा है। ये वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गये हैं। पुलिस के अनुसार भादंसं की संबंधित धाराओं के तहत इन व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज किये गये हैं। पुलिस के मुताबिक दावणगेरे के अन्य शहर हरिहर से भी ऐसी ही घटना सामने आयी है जहां कुछ युवकों ने एक हिंदू स्टोर से सामान खरीदने को लेकर महिलाओं को कथित रूप से गालियां दीं और उसे वहां से निकल जाने के लिए विवश किया। इस घटना पर भाजपा सांसद शोभा करांदलजे ने ट्वीट किया, ''क्या कर्नाटक एक इस्लामिक गणराज्य है? दावणगेरे में कट्टरपंथी मुस्लिम हिंदू दुकान से कपड़े खरीदने को लेकर महिलाओं को धमकी दे रहे हैं।’’ उन्होंने लिखा, ''एक लोकतांत्रिक देश में शरिया को लागू करने पर उतारू इन धार्मिक चरमपंथियों को अवश्य ही भारतीय कानून का स्वाद चखाना चाहिए।’’ करांदलजे ने यह ट्वीट केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को टैग किया।
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उबर ने मास्क पहनना अनिवार्य किया
एप आधारित कैब सेवाएं देने वाली कंपनी उबर ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के जारी प्रकोप के बीच सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये उसने यात्रियों और चालकों के लिये मास्क अनिवार्य करने समेत कई उपाय किये हैं। सोमवार से लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू हो गया है। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विभिन्न श्रेणियों में क्षेत्रों को बांटने पर निर्णय लेने की शक्ति दी गयी है। राज्यों के फैसले के आधार पर, उबर और ओला जैसी कंपनियां विभिन्न स्थानों में सेवाएं फिर से शुरू कर सकेंगी। उबर ग्लोबल के वरिष्ठ निदेशक (उत्पाद प्रबंधन) सचिन कंसल ने संवाददाताओं से कहा कि आज (सोमवार) से भारत में जहां भी उबर का संचालन शुरू होता है, यात्रियों और चालकों को अनिवार्य तौर पर फेस मास्क पहनना होगा। उन्होंने कहा कि यह ड्राइवरों और सवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये शुरू की जा रही विशिष्ट सुरक्षा सुविधाओं और नीतियों का हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। सोमवार से इसका चौथा चरण शुरू हो गया है। लॉकडाउन शुरू होने के बाद से देश में कैब व टैक्सियों के परिचालन पर पाबंदी लग गयी थी। हालांकि चार मई से शुरू हुए तीसरे चरण के लॉकडाउन में पाबंदियों में कुछ ढील दी गयी थी, तब कैब व टैक्सियों को कुछ इलाकों में परिचालन की अनुमति मिली थी। उबर ने तीसरे चरण में जमशेदपुर, कोच्चि, कटक और गुवाहाटी (ग्रीन जोन) के साथ-साथ अमृतसर, रोहतक, गुरुग्राम और विशाखापत्तनम (ऑरेंज जोन) सहित 25 शहरों में परिचालन शुरू करने की घोषणा की थी।
खेल मंत्रालय ने अभ्यास की अनुमति दी
खेल मंत्रालय ने सोमवार को अपने खेल परिसरों और स्टेडियमों में अभ्यास फिर से शुरू करने के लिये हरी झंडी दे दी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरोना वायरस के चलते लगाये गये लॉकडाउन के चौथे चरण में इनको खोलने की अनुमित दी थी जिसके बाद खेल मंत्रालय ने यह फैसला किया। खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए सभी खेल परिसरों और स्टेडियमों में खेल गतिविधियां शुरू कर दी जाएंगी लेकिन जिम और तरणताल अभी बंद रहेंगे। जिन परिसरों को खोलने की अनुमति दी गयी है उनमें निजी कंपनियों द्वारा संचालित परिसर भी शामिल हैं। कोविड-19 बीमारी के कारण अभ्यास शिविर मार्च से ही बंद हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मुझे खिलाड़ियों और सभी संबंधित लोगों को यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि गृह मंत्रालय और संबंधित राज्यों के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए खेल परिसरों और स्टेडियमों में खेल गतिविधियां संचालित की जाएगी। हालांकि जिम और तरणताल का उपयोग अब भी बंद रहेगा।’’ गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन चार के दौरान पालन किये जाने वाले दिशानिर्देशों में से एक में लिखा गया है, ‘‘खेल परिसर और स्टेडियमों को खोलने की अनुमति दी जायेगी, हालांकि दर्शकों को अनुमति नहीं होगी।’’ मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार देश भर में खेल सुविधाओं और अकादमियों में खेल गतिविधियां शुरू की जा सकती है। इनमें ट्रांस स्टेडिया और जेएसडब्ल्यू ग्रुप जैसी निजी संस्थाओं द्वारा संचालित सुविधाएं भी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा, ‘‘अब खेल गतिविधियां देश भर में शुरू हो सकती हैं। इनमें निजी खेल परिसर और राज्य सरकारों द्वारा संचालित सुविधाएं भी शामिल हैं लेकिन सभी को गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन सुविधाओं को कब शुरू करना है, इसके लिये कोई समयसीमा नहीं है। यह पूरी तरह से खिलाड़ियों और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) पर निर्भर है। उदाहरण के लिये लॉकडाउन शुरू होने से ही साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण) बेंगलुरू में रह रही हाकी टीमें कल से ही मैदान पर अभ्यास शुरू करना चाहती है तो वे ऐसा कर सकती हैं।’’ सूत्रों ने कहा कि साइ केंद्रों में राष्ट्रीय शिविरों से जुड़ने वाले खिलाड़ियों को चिकित्सकीय जांच और 14 दिन के पृथकवास से गुजरना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘केवल साइ सुविधाओं ही नहीं निजी सुविधाओं और अकादमियों को भी अभ्यास शुरू करने से पहले चिकित्सकीय जांच सुनिश्चित करनी होगी।’’ भारत में अभी तक 90,000 से ज्यादा कोविड-19 मामले सामने आये हैं जिसमें करीब 3000 लोग जान गंवा चुके हैं। भारत में अभी केवल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के रूप में ही सबसे बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन होना है जिसे अप्रैल में अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया था। खेल मंत्री की घोषणा के बावजूद आईपीएल के हाल फिलहाल खाली स्टेडियमों में शुरू होने की संभावना भी नहीं है क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा पाबंदियां अब भी पहले की तरह लागू हैं। देशव्यापी लॉकडाउन मार्च के मध्य से शुरू हुआ था और भारतीय खेल प्राधिरकण के पटियाला और बेंगलुरू में परिसरों में ओलंपिक में जगह बना चुके शीर्ष खिलाड़ी पिछले दो सप्ताह से अभ्यास शुरू करने की मांग कर रहे हैं। ओलंपिक को इस घातक महामारी के कारण 2021 तक स्थगित कर दिया गया है। पिछले सप्ताह रीजीजू ने कई वीडियो कांफ्रेन्स करके इस मामले में उनकी राय जानी थी। उन्होंने भारोत्तोलकों, हाकी खिलाड़ियों और ट्रैक एवं फील्ड के एथलीटों से भी बात की थी।
पाबंदियों में ढील से और भी वाहन कारखाने चालू
कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देशभर में लागू लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील के साथ ही उद्योग-धंधे धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगे हैं। देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजुकी ने सोमवार को अपना गुरुग्राम संयंत्र भी चालू कर दिया। किआ मोटर्स जैसी कुछ वाहन और कल पुर्जा निर्माता कंपनियों ने उत्पादन संयंत्रों, शोरूम खोलने की घोषणा की है। यात्री कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने सोमवार को एक बयान में बताया कि उसने मनेसर संयंत्र के बाद गुरुग्राम स्थित संयंत्र को भी शुरू कर दिया है। कंपनी ने मनेसर संयंत्र को इस महीने की शुरुआत में खोला था, जबकि गुरुग्राम संयंत्र में सोमवार से काम-काज शुरू हुआ है। कंपनी ने कहा कि उसने पिछले कुछ दिनों में 5,000 से अधिक कारों की डिलिवरी की है। इसके अलावा मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करते हुए कंपनी ने 1,350 से अधिक मारुति सुजुकी शोरूम और 300 से अधिक ट्रू वैल्यू आउटलेट भी शुरू कर दिये हैं। कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) केनिची आयुकावा ने कहा, "कंपनी ने उपभोक्ताओं के लिये कार खरीदने का अनुभव पूरी तरह से सुरक्षित होना सुनिश्चित करने के लिये व्यापक मानदंड निर्धारित किये हैं। ये मानदंड केंद्र और राज्य सरकारों के दिशानिर्देशों पर आधारित हैं।" उन्होंने कहा, "हम अपने ग्राहकों को अपनी डिजिटल माध्यम से कार पसंद करने और बुक करने के लिये प्रोत्साहित करने की कोशिश करेंगे। वे वाहनों की होम डिलिवरी की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।" किआ मोटर्स इंडिया ने भी सोमवार को अलग से एक बयान में कहा कि उसने सुरक्षा उपायों की व्यापक व्यवस्था करने के बाद अनंतपुर स्थित संयंत्र में उत्पादन फिर से शुरू कर दिया है। कंपनी ने कहा कि सरकारी अधिकारियों से अनिवार्य मंजूरी मिलने के बाद आठ मई से संयंत्र में काम-काज शुरू किया गया है। किआ मोटर्स इंडिया के एमडी एवं सीईओ कूच्युन शिम ने कहा, "ये अभूतपूर्व परिस्थितियां हैं और हम नये मानदंडों के पालन के लिये प्रतिबद्ध हैं। हम सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने पर काम कर रहे हैं।" कल-पुर्जे बनाने वाली कंपनी प्रिकॉल ने सोमवार को कहा कि उसने आंध्र प्रदेश स्थित संयंत्र में चरणबद्ध तरीके से परिचालन शुरू कर दिया है। उसने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार श्री सिटी संयंत्र का परिचालन शुरू किया गया है। इसके साथ, अब कंपनी के सभी संयंत्र आंशिक रूप से परिचालन में हैं।
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चीन में 21 मई से संसद सत्र का आयोजन होगा
चीन ने सोमवार को घोषणा की कि कोरोना वायरस के फैलने के कारण विलंबित हो चुका संसद का वार्षिक सत्र यहां 21 मई से आयोजित किया जा सकता है ताकि दिखाया जा सके कि महामारी के बाद देश में स्थिति सामान्य हो गई है। संसद सत्र के दौरान दस दिनों के लिए सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के वार्षिक एजेंडा को पारित करने के लिए छह हजार से अधिक प्रतिनिधि राजधानी में एकजुट होंगे। संसद में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) और सलाकार निकाय चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस (सीपीपीसीसी) शामिल है। सीपीपीसीसी की बैठक 21 मई को होगी, जिसके एक दिन बाद एनपीसी की बैठक आयोजित की जाएगी। इस दौरान प्रधानमंत्री ली क्विंग द्वारा सरकार के कार्य रिपोर्ट को पेश किया जाएगा। संसद का सत्र मार्च की शुरुआत में होने वाला था लेकिन दिसम्बर में वुहान में कोरोना वायरस फैलने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
चीन दो अरब डॉलर की मदद करेगा
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सोमवार को कहा कि उनका देश कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए अगले दो वर्ष में विश्व स्वास्थ्य संगठन को दो अरब डॉलर की मदद उपलब्ध करायेगा। चिनफिंग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चीन ने डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों को महामारी से जुड़े सभी आंकड़े समय पर उपलब्ध कराये थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने बिना कुछ छिपाये विश्व के साथ महामारी पर नियंत्रण और उपचार के अनुभव को साझा किया हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने जरूरत पड़ने पर देशों की सहायता करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार हर संभव प्रयास किये।’’ चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि दो अरब डॉलर से कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में, विशेषकर विकासशील देशों को मदद मिलेगी। डब्ल्यूएचओ ने 30 जनवरी को कोरोना वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित किया था। डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस से कई लोगों के मारे जाने के बाद 11 मार्च को इसे महामारी घोषित किया था और इसके बाद दक्षिण कोरिया, इटली, ईरान और अन्य स्थानों पर यह वायरस व्यापक पैमाने पर फैला।
-नीरज कुमार दुबे