कोविड-19 पर मंत्री समूह (जीओएम) को शुक्रवार को सूचित किया गया कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों में से 79 प्रतिशत महज 30 निगम क्षेत्रों से आए हैं। देश में अभी तक कोरोना वायरस संक्रमण से 2,649 लोगों की मौत हुई है जबकि कुल 81,970 लोग इससे संक्रमित हुए हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय मंत्री समूह की 15वीं बैठक में भारत और दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के हालात पर विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया गया। बैठक में जीओएम को सूचित किया गया कि दुनिया भर में कोविड-19 के 42,48,389 मामले आए हैं, जिनमें से 2,94,046 लोगों की मौत हुई है और मृत्युदर 6.92 प्रतिशत है। उन्हें बताया गया कि भारत में अभी तक 81,970 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और 3.23 प्रतिशत की मृत्यु दर से कुल 2,649 लोगों की संक्रमण से मौत हुई है। पिछले 24 घंटे में इलाज के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से 1,685 लोग मुक्त हुए हैं और 34.06 प्रतिशत की दर से अभी तक 27,920 लोग कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त होकर अपने-अपने घर गए हैं। पिछले 24 घंटे में, आज सुबह आठ बजे तक संक्रमण से 100 लोगों की मौत हुई है और देश में कोविड-19 के 3,967 नए मामले आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया, ‘‘लॉकडाउन के कारण कोविड-19 के मरीजों की संख्या दोगुनी होने में लगने वाले समय पर पड़े असर के बारे में भी बताया गया। लॉकडाउन से पहले जहां 3.4 दिन में मामले दोगुने हो रहे थे, वहीं अब मरीजों की संख्या 12.9 दिन में दोगुनी हो रही है।’’
मंत्रालय के अनुसार, जीओएम ने जगहों को निषिद्ध करने और कोविड-19 के प्रबंधन, केन्द्र तथा विभिन्न राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की। बयान में कहा गया है कि ‘‘भारत में आए कोविड-19 के कुल मामलों का 79 प्रतिशत महज 30 निगम क्षेत्रों से है।’’ उसमें कहा गया है, ‘‘बैठक में चर्चा हुई है कि कोविड-19 प्रबंधन रणनीति में उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है जहां संक्रमित लोगों और संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या ज्यादा है।’’ इस बैठक में नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, जहाजरानी, रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख लाल मंडाविया और केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे उपस्थित थे।
जीओएम को सूचित किया गया कि शुक्रवार तक देश में स्वास्थ्य सेवा ढांचों की स्थिति कुछ इस प्रकार है-- कोविड-19 के इलाज के लिए समर्पित 919 अस्पतालों सहित कुल 8,694 केन्द्र, 2,036 स्वास्थ्य केन्द्र और 5,739 देखभाल केन्द्र हैं। इनमें गंभीर और अति गंभीर हालत वाले मरीजों के लिए 2,77,429 बिस्तर हैं, आईसीयू में 29,701 बिस्तर हैं जबकि पृथक वार्डों में 5,15,250 बिस्तर हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए देश में फिलहाल 18,855 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। जीओएम को सूचित किया गया कि घरेलू विनिर्माता रोज करीब तीन लाख निजी सुरक्षा उपकरण/पोशाक (पीपीई) और इतनी ही संख्या मे एन-95 मास्क का निर्माण कर रहे हैं, यह निकट भविष्य में देश की जरुरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। घरेलू उत्पादकों ने वेंटिलेटर का निर्माण भी शुरू कर दिया है और खरीद के लिए ऑर्डर दिया जा चुका है। केन्द्र ने राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और केन्द्रीय संस्थानों को 84.22 लाख एन-95 मास्क और 47.98 लाख पीपीई किट दिए हैं। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने जीओएम को सूचित किया कि 509 सरकारी और निजी प्रयोगशालाएं मिलाकर फिलहाल एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के लिए करीब 1,00,000 नमूनों की जांच कर रहे हैं।
बंदिशों पर खुद ले सकेंगे फैसला
कोरोना वायरस के कारण लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (बंद) का अगला चरण सोमवार से शुरू होगा और इसमें लोगों को ज्यादा रियायत और लचीलापन देखने को मिलेगा। अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि बंद के इस चौथे चरण (लॉकडाउन-4) में यात्री रेल सेवा और घरेलू यात्री उड़ानों को क्रमिक रूप से शुरू किये जाने के साथ ही राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को अपने यहां हॉटस्पॉट को परिभाषित करने का अधिकार दिया जाएगा। देश में कहीं भी स्कूल, कॉलेज, मॉल और सिनेमा घरों को खोलने की इजाजत नहीं होगी लेकिन कोविड-19 निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर सैलून, नाई की दुकानें और चश्मों की दुकानों को रेड जोन में खोलने की मंजूरी दी जा सकती है। केंद्र सरकार में बंद में छूट को लेकर चल रही बातचीत की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन-4 में पहले के चरणों की अपेक्षा लोगों को ज्यादा छूट मिलेगी और इस दौरान ग्रीन जोन को पूरी तरह खोल दिया जाएगा, ऑरेंज जोन में बेहद कम बंदिश होगी जबकि रेड जोन के निषिद्ध क्षेत्रों में ही सख्त पाबंदियां होंगी। अंतिम दिशा-निर्देश हालांकि राज्य सरकारों से मिले परामर्श का अध्ययन करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये जाएंगे। राज्य सरकारों और केंद्र शासित के प्रशासकों से शुक्रवार तक अपनी सिफारिशें देने को कहा गया है। अधिकारियों के मुताबिक, पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, असम और तेलंगाना चाहते हैं कि बंद जारी रखा जाए, इनमें से कुछ चाहते हैं कि कोविड-19 की स्थिति के मुताबिक जिलों को जोन – रेड, ऑरेंज और ग्रीन के निर्धारण का अधिकार उन्हें दिया जाए। अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकारों के अनुरोध को स्वीकार किया जा सकता है जिससे वे जमीनी स्थिति के आधार पर किसी खास जगह लोगों की आवाजाही और आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी या उन्हें शुरू करने की मंजूरी दे सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि लॉकडाउन-4 नए नियमों के साथ “बिल्कुल अलग स्वरूप” में होगा। अधिकारी ने कहा, “कोई भी राज्य बंद को पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहता लेकिन सभी क्रमिक रूप से आर्थिक गतिविधियों को बहाल करना चाहते हैं।” रेलवे और घरेलू उड़ानों के क्रमिक और आवश्यकता आधारित संचालन को अगले हफ्ते से मंजूरी मिलने की संभावना है लेकिन दोनों ही सेक्टरों के पूरी तरह खुलने की संभावना अभी तत्काल नहीं है। अधिकारी ने कहा कि बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक उन राज्यों में शामिल थे जो नहीं चाहते हैं कि ट्रेन और हवाई सेवाओं को पूरी तरह बहाल किया जाए, कम से कम मई के अंत तक को नहीं ही। रेलवे दिल्ली से 15 स्थानों के लिये पहले ही विशेष ट्रेनों का संचालन शुरू कर चुका है और इसके अलावा बंद की वजह से देश के अलग-अलग इलाकों में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने के लिये सैकड़ों “श्रमिक विशेष” ट्रेनों का भी संचालन किया जा रहा है। वहीं एअर इंडिया भी ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत बंद की वजह से विदेश में फंसे हजारों भारतीयों की वापसी के लिये अभियान में जुटा है। स्थानीय ट्रेन, बस और मेट्रो सेवा का रेड जोन के गैर निषिद्ध क्षेत्रों में सीमित क्षमता में परिचालन शुरू हो सकता है। रेड जोन में ऑटो और टैक्सियों को भी यात्रियों की सीमित संख्या के साथ संचालन की इजाजत मिल सकती है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इनमें से अधिकतर सेवाओं की जिले के गैर निषिद्ध क्षेत्रों में ही इजाजत होगी और राज्य सरकार इन्हें फिर से खोलने पर फैसला कर सकती हैं। ऑरेंज और रेड जोन में बाजार को खोलने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जा सकता है जो गैर आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को खोलने के लिये ऑड-ईवन नीति अपना सकती हैं। रेड जोन में भी निषिद्ध क्षेत्र को छोड़कर गैर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिये ई-कॉमर्स कंपनियों को इजाजत दी जा सकती है। ग्रीन और ऑरेंज जोन में पहले ही ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा गैर-जरूरी वस्तुओं की बिक्री की इजाजत है। वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र मुंबई, उसके उपनगरीय इलाकों और पुणे में बंद के सख्त उपाय चाहता है और किसी तरह के अंतर राज्यीय या अंतर जिला परिवहन के खिलाफ है। वहीं गुजरात प्रमुख शहरी केंद्रों में आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के पक्ष में है। महाराष्ट्र के बाद देश में संक्रमण के मामलों के लिहाज से गुजरात दूसरे नंबर पर है। अधिकारी ने कहा कि दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल समेत कुछ राज्य आर्थिक गतिविधियों को खोलने के पक्ष में हैं। माना जा रहा है कि पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने के लिये केरल ने रेस्तरां और होटलों को फिर से खोलने का सुझाव दिया है। बिहार, झारखंड और ओडिशा में हाल में प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद कोविड-19 के मामलों में तेजी आई है और वे चाहते हैं कि बंद जारी रहे और लोगों की आवाजाही पर सख्ती हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को पहली बार 21 दिनों के लिये बंद की घोषणा की थी। इसे पहले तीन मई तक और फिर 17 मई तक बढ़ा दिया गया था।
पद पर एक मिनट भी नहीं रहूंगा
कृषि उपज मंडी समितियों की शक्तियों को कम करने से जुड़े सरकार के अध्यादेश का बचाव करते हुए, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने किसानों के नाम पर पद और गोपनीयता की शपथ ली है और यदि उनका हित प्रभावित हुआ तो वह एक मिनट भी मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रहेंगे। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा, 'हमारा सिद्धांत पहले किसान है।' विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद, राज्य कैबिनेट ने बृहस्पतिवार को इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी, जिसके बारे में सरकार का दावा है कि किसानों की बाजार पहुंच को आसान बनाने के मकसद से यह सुधार किया गया है। संवाददाताओं से बातचीत करते हुये येदियुरप्पा ने कहा कि संशोधित कानून से निश्चित तौर पर किसानों को लाभ होगा। इसके अलावा उनकी आय बढेगी और घाटा कम होगा। उन्होंने कहा, 'मेरी सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य बाजार के उतार-चढ़ाव से किसानों की सुरक्षा है। इस सुधार से 2022 तक किसानों की आये दोगुनी करने का लक्ष्य है... जो प्रधानमंत्री का सपना है।' विपक्षी दलों ने एक सुर में इस अध्यादेश का विरोध किया था और आंदोलन करने की धमकी दी थी और कहा था क इससे किसानों के हित प्रभावित होंगे। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि इस अध्यादेश से बड़ी निजी कंपनियों की मदद होगी।
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शरद पवार ने केंद्र का किया दौरा
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने यहां मुंबई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) की भूमि पर स्थापित किए जा रहे पृथक-वास केंद्र का शुक्रवार को दौरा किया। इस केंद्र में कोविड-19 के उन मरीजों का उपचार किया जाएगा जिनकी हालत स्थिर है। एक हजार मरीजों के उपचार की सुविधा वाले केंद्र के दौरे में पवार के साथ महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे मौजूद थे। पवार ने ट्वीट किया, “कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एहतियाती कदम के तहत एमएमआरडीए की भूमि पर एक पृथक-वास केंद्र स्थापित किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के साथ केंद्र का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की।” इसी बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गोरेगांव के नेस्को मैदान में एक हजार बिस्तर की सुविधा वाले कोरोना केयर सेंटर-दो का दौरा किया। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार, ठाकरे ने केंद्र की व्यवस्था पर संतोष प्रकट किया।
इंटरनेट सेवांए आंशिक रूप से बहाल
पश्चिम बंगाल के हुगली जिला प्रशासन ने शुक्रवार को तेलिनीपाड़ा, चंदननगर और श्रीरामपुर के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों से स्थिति बेहतर होने के बाद सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लगाए प्रतिबंध हटा दिए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिले के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं भी बहाल कर दी गई हैं। चंदननगर के पुलिस आयुक्त हुमायूं कबीर ने कहा, ''बृहस्पतिवार से यहां हिंसा की कोई खबर नहीं है। स्थिति बेहतर होने के बाद हमने सीआरपीसी की धारा 144 यहां से हटा दी है। इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बाहल की गई हैं।’’ उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए कुछ लोगों ने यहां जुमे की नमाज भी अदा की। उन्होंने कहा, ''सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का पालन करते हुए सुबह कुछ दुकानें और बाजार खुले।’’ कबीर ने बताया कि पुलिस हालांकि हिंसा के केन्द्र तेलीनीपाड़ा में गश्त लगाना जारी रखेगी। जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अन्य इलाकों में चरणबद्ध तरीके से इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएंगी। गौरतलब है कि तेलिनीपाड़ा में पिछले सप्ताह एक समुदाय के कुछ लोगों ने कथित तौर पर दूसरे समुदाय को “कोरोना” कहा जिससे उपजे विवाद ने हिंसक झड़प का रूप ले लिया था। इस दौरान तेलिनीपाड़ा में स्थित विक्टोरिया जूट मिल क्षेत्र में दो समुदायों के लोगों के बीच हुई हिंसक झड़प में कई दुकानों में तोड़फोड़ की गई, बम फेंके गए और दुकानों को आग भी लगा दी गई। स्थिति को काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठी-चार्ज करना पड़ा था। मामले में अभी तक कम से कम 129 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि हिंसा में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
संक्रमण के किसी ना किसी लक्षण वाले मिले
उत्तर प्रदेश में अपने अपने गृह जनपदों में पहुंचे दो लाख 62 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिकों और कामगारों का आशा वर्कर ने सर्वेक्षण किया है और इनमें से 305 लोग कोरोना संक्रमण के लिहाज से किसी ना किसी लक्षण वाले मिले हैं। प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'एक व्यवस्था प्रवासी कामगारों के लिए की गयी है। आशा वर्कर उनके घर पर जाकर हालचाल पूछती हैं। सर्वेक्षण के आधार पर डाटा तैयार होता है और फिर उस पर आगे चिकित्सा विभाग कार्रवाई करता है। अब तक आशा वर्कर द्वारा दो लाख 62 हजार 638 प्रवासी कामगारों का सर्वेक्षण किया जा चुका है और 305 लोग किसी ना किसी लक्षण वाले मिले हैं, जिन्हें सर्दी, खांसी या सांस लेने में दिक्कत थी। उनके सैम्पल लेकर परीक्षण कराया जा रहा है।' उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस समय 1871 मरीज अलग वार्ड में हैं जबकि 9911 लोग पृथक-वास केन्द्र में हैं। संक्रमित लोगों में से 74.6 प्रतिशत पुरूष और 25.4 प्रतिशत महिलाएं हैं। प्रसाद ने बताया कि अब तक प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 3945 प्रकरण सामने आ चुके हैं जो 75 जिलों से हैं। इनमें से 1773 का इलाज चल रहा हैं। उन्होंने बताया कि 2080 लोग पूर्णतया उपचारित होकर अपने घरों को जा चुके हैं और राज्य में कोरोना संक्रमण से अब तक 92 लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हुई है। प्रसाद ने बताया कि कल 4878 लोगों का परीक्षण किया गया। कुल 426 पूल जांच हुआ। 2082 नमूने जांचे गये, जिनमें से 35 पूल पाजिटिव आये। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेश में जो पूल जांच किये जा रहे थे, उनमें पांच सैम्पल शामिल होता था। अब जांच लैब ने ये निर्णय लिया है कि पहले चरण में पांच से बढाकर दस सैम्पल का पूल होगा। उसके बाद इसे और बढाएंगे। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा 25 सैम्पल तक पूल करने की अनुमति दे दी गयी है।
अंतरराज्यीय सीमाएं नहीं खोलने का आग्रह किया
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि अभी कुछ हफ्तों के लिए अंतरराज्यीय सीमाएं नहीं खोली जाएं और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आर्थिक गतिविधियां को सावधानीपूर्वक आरंभ करने की अनुमति दी जाए। बघेल ने 17 मई को समाप्त होने वाले लॉकडाउन के उपरांत आगे की रणनीति के संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कई सुझाव दिए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 11 मई को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस में उनसे लॉकडाउन के बाद आगे की रणनीति पर सुझाव मांगे थे। पत्र में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा, ''अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए व्यापारिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों को सावधानी बरतते हुए पुनः प्रारंभ किया जाना आवश्यक है। इसके लिए निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर शेष सभी क्षेत्र में आवश्यक के साथ-साथ गैर आवश्यक वस्तुओं की बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों को उनके विभिन्न जिलों को रेड जोन, ऑरेंज जोन एवं ग्रीन जोन में वगीकृत करने का अधिकार होना चाहिए तथा इसके लिए पारदर्शी मापदंड केन्द्र सरकार निर्धारित करे। बघेल ने कहा, ''अंतरराज्यीय सीमाओं को अभी खोलना उपयुक्त नहीं होगा। अंतरराज्यीय परिवहन केवल फंसे हुए श्रमिकों एवं अन्य श्रेणियों के व्यक्तियों के लिए होना चाहिए। गैर आवश्यक अंतरराज्यीय परिवहन पर 15 जून तक प्रतिबंध रखना फिलहाल आवश्यक है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि श्रमिक ट्रेनें राज्यों के साथ विचार-विमर्श करके चलाई जाएं।
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निजी अस्पतालों के शुल्क पर लगाम लगायें
गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि उन वह निजी अस्पतालों द्वारा वसूले जाने वाले "अत्यधिक" शुल्क पर लगाम लगाने के लिये आवश्यक कदम उठाए जो कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए अधिकृत हैं। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला औरर न्यायमूर्ति इलेश वोरा की खंड पीठ ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को यह निर्देश दिया। अदालत की खंड पीठ ने विभिन्न अखबारों में कोरोना वायरस से जुड़े मुद्दों के बारे में छपी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुये यह निर्देश दिया जिनमें निजी अस्पतालों में महंगे इलाज का मुद्दा भी था। खंडपीठ ने निजी अस्पतालों को कोरोना वायरस का इलाज करने के एवज में मरीजों से अत्यधिक शुल्क वसूल करने को लेकर चेताया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अहमदाबाद में कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए सरकार द्वारा अधिकृत कुछ निजी अस्पताल लाखों में शुल्क वसूल कर रहे हैं और ऐसे में एक सामान्य व्यक्ति कभी भी निजी अस्पताल से उपचार का लाभ नहीं उठा सकेगा। अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निजी अस्पताल कोविड—19 के मरीजों से अत्यधिक शुल्क वसूल न करें। चूंकि, सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोविड—19 मरीज हैं, इसलिये अदालत ने सरकार को और अधिक निजी अस्पतालों को ऐसे मामलों का इलाज करने के लिये अधिकृत किये जाने पर जोर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि इन निजी अस्पतालों का शुल्क ढांचा राज्य सरकार को तय करना चाहिये।
हैंड सैनिटाइजर साथ रखना अनिवार्य
भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) ने शुक्रवार को सभी यात्रियों के लिए ‘आरोगय सेतु एप’ डाउनलोड करना, वेब-चेकइन करना और बोर्डिंग पास का प्रिंट आउट लाना अनिवार्य कर दिया है। सरकारी प्राधिकरण ने कहा कि यात्रियों को सह-यात्रियों से चार फुट की दूरी रखनी होगी, मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरण पहनने होंगे, अपने हाथ लगातार धोने होंगे या उन्हें संक्रमण मुक्त करना होगा और अपने साथ हमेशा 350 मिलीलीटर की सैनिटाइजर की बोतल रखनी होगी। दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरू और हैदराबाद हवाई अड्डों का प्रबंधन निजी कम्पनियां करती हैं, एएआई नहीं। नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने बुधवार को कहा था कि यात्री अब विमान में अपने साथ 350 मिलीलीटर हैंड सेनेटाइजर ले जा सकता है। सरकारी प्राधिकरण ने ट्वीट किया, ''घरेलू उड़ानों को जल्द संचालित करने की संभावना को देखते हुए एएआई ने कुछ उपाय जारी किए हैं जिसका यात्रा करते समय सभी यात्रियों को पालन करना होगा।’’ उसने कहा, ''सभी यात्रियों को दिशानिर्देशों का पालन करना होगा, जिसमें ‘आरोगय सेतु ऐप’ डाउनलोड करना, मास्क और अन्य निजी सुरक्षा उपकरण पहनना, सह-यात्रियों से चार फुट की शारीरिक दूरी रखना, वेब-चेकइन करना, अपने बोर्डिंग पास का प्रिंट आउट लाना, लगातार हाथ धोना या उन्हें संक्रमण मुक्त करना, हमेशा अपने साथ सैनिटाइजर की 350 मिलीलीटर की बोतल रखना और हवाई-अड्डा कर्मचारियों के साथ सहयोग करना अनिवार्य है।’’ भारत में कोरोना वायरस से निपटने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन लगा है। देश में कोविड-19 के 81,900 से अधिक मामले हैं और अभी तक 2,600 लोगों की इससे जान जा चुकी है।
आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त
सरकार ने कृषि एवं इससे जुड़े डेयरी, मछलीपालन, मधुमक्खीपालन और औषधीय खेती जैसे क्षेत्रों के लिये 1.63 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की शुक्रवार को घोषणा की। पैकेज का लक्ष्य कृषि उपज के बेहतर रखरखाव, परिवहन और दूसरी जरूरी बुनियादी सुविधाओं के लिये क्षमता निर्माण को मजबूती देना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी से पस्त अर्थव्यवस्था को उठाने के लिये घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की तीसरी किस्त जारी करते हुए शुक्रवार को एक लाख करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी संरचना कोष की घोषणा की। इस कोष से उन परियोजनाओं का वित्त पोषण किया जायेगा, जो फसलों की कटाई के बाद प्रबंधन व भंडारण आदि से संबंधित हैं। इसके अलावा सूक्ष्म खाद्य इकाइयों, पशुओं के टीकाकरण, डेयरी क्षेत्र, औषधीय खेती, मधुमक्खी पालन और फलों एवं सब्जियों के लिये भी योजनाओं की घोषणा की गयी। सीतारमण ने कहा कि कृषि बुनियादी संरचना कोष के तहत संग्राहकों, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ), प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, कृषि उद्यमियों और स्टार्टअप को एक लाख करोड़ रुपये के कोष से सहायता उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि जल्दी ही इस कोष का गठन किया जायेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि खेतीबाड़ी के इलाकों के आस-पास पर्याप्त संख्या में शीत भंडार गृहों तथा उपज के बाद के प्रबंधन संबंधी बुनियादी संरचनाओं के अभाव के कारण मूल्य श्रृंखला में अभावन उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य एवं स्वस्थ जीवन, औषधीय, जैविक तथा पोषक जड़ीबूटी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये दो लाख सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों की मदद को लेकर 10 हजार करोड़ रुपये के कोष की घोषणा की। इसके अलावा सरकार समुद्री और भूक्षेत्र में मत्स्यपालन के लिये 20 हजार करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) शुरू करेगी। इनमें से 11 हजार करोड़ रुपये खारे (समुद्री क्षेत्र) व भूक्षेत्र (मीठे जल) में मत्स्यपालन के लिये होंगे। शेष नौ हजार करोड़ रुपये फिशिंग हार्बर, शीत भंडारण व बाजार जैसी बुनियादी संरचनाओं के लिये होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे 55 लाख से अधिक लोगों को रोजगार के असवर मिलेंगे तथा निर्यात भी दो गुना होकर एक लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जायेगा। उन्होंने कहा कि मुंह पका, खुर पका बीमारियों और ब्रूसीलोसिस को लेकर चल रहे राष्ट्रीय पशु बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गायों, भैंसों, भेड़ों, बकरियों और सुअरों का 100 प्रतिशत टीकाकरण किया जायेगा। इस पर 13,343 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इसके अलावा डेयरी प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन, मवेशी चारा क्षेत्र में निजी निवेश को समर्थन के लिये 15 हजार करोड़ रुपये का पशुपालन संरचना विकास कोष स्थापित किया जाएगा। औषधीय पौधों और दूसरी जड़ी बूटियों की खेती को प्रोत्साहन के लिये भी 4,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय औषधीय पौध कोष की घोषणा की गयी। इसके तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इस तरह की स्वास्थ्यवर्धक जड़ी बूटियों की खेती के तहत लाने का लक्ष्य है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह योजना किसानों के लिये पांच हजार करोड़ रुपये के आय के सृजन में मददगार होगी। गंगा नदी के किनारे 800 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में औषधीय गुणों वाले पौधों के लिये एक गलियारा बनाया जायेगा। आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त में मधुमक्खी पालकों के लिये बुनियादी ढांचा विकास को 500 करोड़ रुपये की योजना की भी घोषणा की गयी। इससे दो लाख मधुमक्खी पालकों को मदद मिलेगी। सीतारमण ने कहा कि अब हरित अभियान का विस्तार टमाटर, प्याज और आलू से आगे सभी फलों और सब्जियों तक किया जायेगा। इसके लिये 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कोष दिया जायेगा। इस राशि का इस्तेमाल इन जिंसों को आधिक्य वाले क्षेत्रों से कमी वाले क्षेत्रों में परिवहन और शीत भंडारण जैसी सुविधाओं पर सब्सिडी देने में किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से किसान अब अपने उत्पाद औने-पौने दाम पर बेचने के लिये मजबूर नहीं होंगे।
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प्रवासी श्रमिकों को विमान से वापस लाया जाएगा
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसके लिए विमानों का भी इस्तेमाल किया जायेगा। मुख्यमंत्री सोरेन ने ट्वीट किया कि उनकी सरकार अपने राज्य के प्रवासियों को दूसरे राज्यों से लाने के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है लेकिन अभी अनुमति नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के प्रवासियों को वापस लाने के लिए सभी जरूरी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए विमानों का भी इस्तेमाल किया जाएगा जिसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विशेष रेलगाड़ियों और बसों से प्रवासी श्रमिकों, विद्यार्थियों और अन्य लोगों को वापस लाने का सिलसिला लगातार जारी है और यह प्रक्रिया तब तक चलेगी जब तक सभी प्रवासी श्रमिक सुरक्षित घर नहीं आ जाते हैं।’’ सोरेन ने कहा, ‘‘राज्य के मुख्य सचिव ने 12 मई को गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर दो विशेष विमानों से अंडमान निकोबार से 319 प्रवासियों को वापस लाने की अनुमति मांगी थी लेकिन अब तक इसकी अनुमति नहीं मिली है।’’ उन्होंने कहा कि झारखंड के प्रवासियों को वापस लाने के लिए 110 ट्रेनों के लिए अनुमति दे रखी है लेकिन अब तक 50 ट्रेन ही 60 हजार लोगों को लेकर यहां पहुंची हैं। शेष ट्रेन आनी बाकी हैं। उन्होंने कहा कि हमें राज्य के सभी प्रवासियों को राज्य में वापस लाना है और जब तक सभी प्रवासी वापस नहीं आ जाते हैं हमारा यह अभियान जारी रहेगा।
एसबीआई रिपोर्ट
सरकार की कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिये बृस्पतिवार तक की गयी प्रोत्साहन पैकेज की घोषणाओं से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे पर 0.6 प्रतिशत यानी 1.29 लाख करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ेगा। भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। समाज के कमजोर तबकों को ध्यान में रखकर बृस्पतिवार को की गयी घोषणा के साथ सरकार अब तक कुल 16.45 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान कर चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। उसमें से अब करीब 3.54 लाख करोड़ रुपये के कार्यक्रमों की और घोषणा की जानी है। एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘बृस्पतिवार को 3.16 लाख करोड़ रुपये की घोषणा में से सरकार का कुल नकद व्यय 14,500 से 14,750 करोड़ रुपये होगा। बृस्पतिवार के पैकेज का राजकोषीय घाटे पर प्रभाव जीडीपी का मामूली 0.07 प्रतिशत होगा।’’ इसमें कहा गया है कि हाल के संकट ने भारत जैसे बड़े देश के लिये बुनियादी ढांचे के महत्व को रेखांकित किया है। इससे केंद्र एवं राज्यों के बीच बेहतर तरीके से व्यवस्थाा काम करती है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘एक देश, एक राशन कार्ड सही दिशा में उठाया गया कदम है। इससे प्रवासी मजदूरों के साथ उन लोगों को लाभ होगा जिनके पास राशन कार्ड नहीं है।’’ इकोरैप में कहा गया है, ‘‘श्रम कानूनों में बदलाव से जुड़े जो विधेयक संसद में हैं, उसके समुचित रूप से क्रियान्वयन से श्रमिकों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।’’ रिपोर्ट के अनुसार हालांकि, श्रमिकों के कल्याण के संदर्भ में केंद्र और राज्यों को इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिये मिलकर काम करने की जरूरत है।
19 जून तक चलेगा कामकाज
कोविड-19 महामारी के कारण 25 मार्च से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से आवश्यक मामलों की सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपना ग्रीष्मकालीन अवकाश पांच हफ्ते के लिए स्थगित करने का फैसला किया और कहा कि न्यायालय में कामकाज 18 मई से 19 जून तक चलता रहेगा। पिछले वर्ष 14 अक्टूबर को आई अधिसूचना के मुताबिक, शीर्ष न्यायालय में ग्रीष्मकालीन अवकाश 18 मई से पांच जून तक चलना था। शीर्ष न्यायालय की अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। इसमें कहा गया कि पहले की अधिसूचना में आंशिक बदलाव किया गया है। यह फैसला शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों ने ऑनलाइन बैठक में लिया।
मुंबई में ठहराने के सुझाव का विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि उसके लिए आवश्यक सेवाओं के ऐसे सभी कर्मियों के लिए मुंबई में ठहरने की व्यवस्था करना मुमकिन नहीं है जो कोरोना वायरस लॉकडाउन के बावजूद हर रोज पालघर जिले से इस महानगर में आते हैं। राज्य सरकार के अधिवक्ता पी.पी. काकाडे ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.ए. सैयद की पीठ से कहा कि आवश्यक सेवाओं के कर्मियों के शहर में ठहरने की व्यवस्था करने का सुझाव अव्यावहारिक है। पालघर के निवासियों ने एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें पालघर से आने वाले आवश्यक सेवाओं के कर्मियों की मुंबई में ही रूकने की अस्थायी व्यवस्था करने की मांग की गई है। चरण रवींद्र भट्ट की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मुंबई के कोरोना वायरस से प्रभावित इलाकों में आने वाले कई कर्मी संक्रमित हो गए हैं। वे मुंबई से संक्रमित होकर वसई-विरार में अपने घरों को आते हैं और यही प्रमुख वजह है कि पालघर जिले में भी कोरोना वायरस फैल रहा है। इसमें कहा गया कि ठाणे, कल्याण, डोम्बीवली और नवी मुंबई में भी ऐसे ही हालात हैं। याचिका में दावा किया गया कि हर दिन राज्य परिवहन की बसें इन कर्मियों को वसई-विरार और मुबई लाने-ले जाने के लिए 129 फेरे लगाती हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि अदालत ने आवास प्रदान नहीं कर पाने को लेकर राज्य सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मिजोरम में लॉकडाउन में 31 मई तक का विस्तार
मिजोरम सरकार ने प्रदेश में जारी लॉकडाउन शुक्रवार को कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से 31 मई तक के लिये बढ़ा दी। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि विभिन्न राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों, चर्चों और डाक्टरों समेत कुछ संगठनों ने गुरूवार को एक बैठक में लॉकडाउन को विस्तार देने पर सहमति जतायी थी। अधिकारी ने बताया कि कोविड—19 पर बने विभिन्न टास्क समूहों की एक बैठक हुयी जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव लालनुनमावी कुआंगो ने की। इसमें यह निर्णय किया गया कि लॉक डाउन को 17 मई के आगे बढ़ाया जायेगा। उन्होंने बताया कि बैठक में विस्तारित लॉकडाउन के नये दिशा निर्देशों पर भी चर्चा हुयी।
मंदी की चपेट में जर्मनी
कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाये गये लॉकडाउन का असर जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर अब दिखने लगा है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च में समाप्त इस साल की पहली तिमाही में जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.2 प्रतिशत की गिरावट अयी है। इससे पहले दिसंबर तिमाही में भी जर्मनी की जीडीपी आंशिक तौर पर कम हुई थी। इस तरह जर्मनी अब पूरी तरह से मंदी की चपेट में आ गया है। जर्मनी से पहले फ्रांस और इटली जैसी बड़ी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आ चुकी हैं। संघीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों में कोरोना वायरस महामारी से हुई आर्थिक तबाही की शुरुआती झलकियां दिख रही हैं। संघीय सांख्यिकी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी अलबर्ट ब्राकमैन ने कहा कि 1990 में जर्मनी के एकीकरण के बाद यह किसी तिमाही में जीडीपी में आयी दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। वैश्विक वित्तीय संकट के समय 2009 की पहली तिमाही में जर्मनी की जीडीपी 4.7 प्रतिशत कम हुई थी। पिछले साल की सितंबर तिमाही में जर्मनी की जीडीपी में मामूली 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि दिसंबर तिमाही में जीडीपी में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। यदि कोई अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाही में गिरावट में रहती है तो तकनीकी तौर पर इसे आर्थिक मंदी कहा जाता है। कोरोना वायरस का कहर यूरोप में मार्च में शुरू हुआ। इसके कारण सबसे पहले इटली ने और बाद में अधिकतर यूरोपीय देशों ने लॉकडाउन लगाया। जर्मनी ने मार्च के मध्य से लॉकडाउन लगाना शुरू किया। हालांकि जर्मनी में पाबंदियां अन्य देशों की तुलना में आसान थीं। जर्मनी में कारखानों को बंद करने का आदेश कभी नहीं दिया गया, लेकिन इसके बाद भी वाहन क्षेत्र जैसे कई क्षेत्रों में काम-काज पूरी तरह से बंद हो गया। आंकड़ों के अनुसार, मार्च में कारखानों के ऑर्डर में मासिक आधार पर 15.6 प्रतिशत की गिरावट आयी। इसके अलावा मार्च में औद्योगिक उत्पादन 9.2 प्रतिशत और निर्यात 11.8 प्रतिशत गिर गया। यह जर्मनी के निर्यात में 1990 में हुए एकीकरण के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।
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अन्य जगहों पर बढ़ रहे मामले
जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों ने कोरोना वायरस से संक्रमण की गति धीमी होने पर लॉकडाउन में ढील के साथ शुक्रवार को सीमा पर लगी पाबंदी में भी रियायत की शुरुआत की। इस बीच, मेक्सिकों और अन्य स्थानों पर महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है जिससे स्पष्ट है कि खतरा अभी टला नहीं है। स्लोवेनिया ने लॉकडाउन के सख्त नियमों में क्रमबद्ध तरीके से ढील देने के साथ घोषणा की है कि अब वायरस नियंत्रण में है। स्लोवेनिया ने कहा कि अब यूरोपीय संघ के सदस्यों के निवासी जैसे ऑस्ट्रिया,इटली और हंगरी के लोग आ सकते हैं। जर्मनी इस बीच मध्य रात्रि से लक्जमबर्ग से लगती अपनी सीमा खोलने की तैयारी कर रहा है। वहीं फ्रांस, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया से सड़क मार्ग के जरिये आने वाले लोगों के लिए प्रवेश द्वारों की संख्या बढ़ायी है। हालांकि, इन देशों से आने वाले यात्रियों को जर्मनी में प्रवेश करने के लिए उचित कारण बताना होगा पर 15 जून तक मुक्त आवाजाही बहाल करने का लक्ष्य है। जर्मनी के पश्चिमी राज्य उत्तरी राइन वेस्ट्फ़ेलिया के गवर्नर आर्मिन लैस्केट ने बताया कि राज्य ब्रिटेन सहित यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से आने वाले नागरिकों के लिए 14 दिनों के अनिवार्य पृथक-वास के नियम को हटाने पर सहमत हुए हैं। जर्मनी में 1,70,000 से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और करीब आठ हजार लोगों की मौत हुई है। हालांकि, 1,50,000 से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं और अब देश में रोजाना करीब एक हजार नये मामले सामने आ रहे हैं। उत्तरी यूरोपीय देश एस्टोनिया और लातविया ने बाल्टिक देशों के बीच आवाजाही पर लगे यात्रा प्रतिबंध हटा दिए हैं। एस्टोनिया के प्रधानमंत्री जुरी रटस ने इसे ‘‘सामान्य जीवन की तरफ एक और कदम करार दिया।’’ ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड भी सीमा प्रतिबंध हटाने की ओर बढ़ रहे हैं। ऑस्ट्रिया ने सभी कैफे और रेस्तरां को दोबारा खोल दिया है। जर्मनी के और अधिक राज्यों ने शुक्रवार को रेस्तरां खोल दिए और शनिवार को करीब ढाई महीने की उठापटक के बाद पेशेवर फुटबॉल खेल का आयोजन किया जाएगा। बुंडेसलिगा ने अन्य सावधानियों सहित बिना दर्शकों के पांच खेल आयोजित करने की योजना बनाई है। ऑस्टेलिया की सबसे अधिक आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स ने रेस्तरां दोबारा खोलने की अनुमति दे दी जिसके बाद शुक्रवार को सिडनी में कई रेस्तरां और कैफे खुले हुए दिखाई दिए। इसके साथ ही 10 व्यक्तियों की सीमा के साथ प्रार्थना स्थलों को भी खोल दिया गया। हालांकि, सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन करना होगा। राज्य के कैथोलिक गिरिजाघरों ने निजी प्रार्थना, प्रायश्चित और छोटे पैमाने पर सामूहिक प्रार्थना की शुरुआत की। सिडनी के आर्चबिशप एंथोनी फिशर ने बयान में कहा,‘‘ सामूहिक प्रार्थना कैथोलिक पद्धति में प्रार्थना का उच्च स्तर है और गत दो महीने से लोगों का एक साथ नहीं एकत्र होना बहुत पीड़ादायक था।’’ जापान में राष्ट्रव्यापी आपातकाल हटाने के बाद कुछ स्कूल, रेस्तरां और अन्य कारोबार दोबारा खुले। हालांकि, टोक्यो जैसे शहरी इलाके जहां संक्रमण का अधिक खतरा है वहां पर पाबंदियां कायम रहेंगी। विभिन्न देश पाबंदियों में ढील देने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप कार्यालय के प्रमुख हैंस क्लूज ने चेतवानी दी है कि लोगों के बीच दूरी बनाने और अन्य उपाय पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। जान्स हॉप्किंस विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 44 लाख से अधिक है जबकि तीन लाख लोगों की मौत हुई है। इनमें से 16 लाख लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में भीड़भाड़ जैसे माहौल में रह रहे करीब 10 लाख शरणार्थियों में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला आया है। यह जानकारी शरणार्थी आयुक्त महबूब आलम टकूदर ने दी। सोमालिया के अधिकारियों ने कोविड-19 से 53 लोगों की मौत होने की जानकारी दी है लेकिन सहायता समूहों और एजेंसियों का कहना है कि यह आंकड़े वास्तविक मौतों से बहुत कम है क्योंकि तीन दशक से जारी गृह युद्ध में तबाह यह उन देशों में शामिल है जहां पर सबसे कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं हैं। मेक्सिको 18 मई को आंशिक रूप से खनन, निर्माण और ऑटो क्षेत्र को खोलने की योजना बना रहा है। हालांकि एजेंसियों ने देश में एक दिन में सबसे अधिक संक्रमण के मामले आने के बाद चिंता जताई है। मेक्सिको में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के 2,409 नये मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही एक दिन में नये मामलों की संख्या दो हजार के पार हो गई है। यहां पर करीब 4,500 लोगों की मौत हुई है और राजधानी मेक्सिको सिटी संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित है एवं अस्पताल अपनी क्षमता के करीब पहुंच गए हैं। स्वाथ्य विभाग ने बताया कि शहर के अस्पताल में 73 प्रतिशत बिस्तर भर चुके हैं। हालांकि, गहन चिकित्सा कक्ष में यह अनुपात कम है और इसकी वजह अस्पतालों में गहन चिकित्सा बिस्तरों की संख्या में वृद्धि है। न्यूज वेबसाइट जी-1 के मुताबिक ब्राजील के रियो डी जिनेरियो में 900 लोग गहन चिकित्सा बिस्तर की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि राज्य के बिस्तर पहले ही मरीजों से भरे हुए हैं। राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने अफरातफरी मचने की चेतावनी दी है और एक बार फिर उन्होंने शहरों में संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लागू करने के लिए गवर्नर और महापौर की आलोचना की है। कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक ने ब्राजील से लगती सीमा के अमेजॉन डिपार्टमेंट के लोगों को खाद्य सामग्री और दवा खरीदने के लिए बाहर जाने के अलावा घर में ही रहने का आदेश दिया है। कोविड-19 संक्रमितों की संख्या बढ़ने के साथ अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इसके साथ ही सबसे असुरक्षित अमेजन इलाके में भी मामले बढ़ रहे हैं जहां पर कई आदिवासी समूह रहते हैं। अमेरिका के ग्रैंड कैनयन नेशनल पार्क को पर्यटकों के लिए शुक्रवार को खोल दिया गया लेकिन रात में उन्हें पार्क में रहने की अनुमति नहीं होगी। न्यूयॉर्क के कई क्षेत्रों को खोला जाना है। इस बीच गवर्नर एंड्रयू कुओमो ने स्थानीय सरकारों से आह्वान किया है कि वे हालात पर करीब से नजर रखे, लोग और कारोबारी प्रतिष्ठान सामाजिक दूरी का अनुमालन करें। पाबंदियों में ढील के बीच इस बात के लिए प्रदर्शन और बहस हो रही कि लॉकडाउन को कितना जल्दी खत्म किया जाए। अमेरिका में 14 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और करीब 85 हजार लोगों की मौत हुई है। अबतक अमेरिका दुनिया का सबसे प्रभावित देश है।
-नीरज कुमार दुबे