Lockdown के 51वें दिन श्रमिकों, किसानों, रेहड़ी पटरी वालों पर राहतों की बौछार

By नीरज कुमार दुबे | May 14, 2020

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बृहस्पतिवार को बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले दोगुने होने की दर पिछले तीन दिन में सुधरकर 13.9 दिन हो गयी है। देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 2,549 हो गयी है, वहीं संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 78,003 पहुंच गयी है। यहां राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के दौरे के बाद मंत्री ने कहा कि 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इन राज्यों में गुजरात, तेलगाना, झारखंड, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, दादर और नागर हवेली, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम तथा पुडुचेरी हैं। दमन और दीव, सिक्किम, नगालैंड तथा लक्षद्वीप से भी अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में हर्षवर्धन के हवाले से कहा गया, ‘‘यह खुशी की बात है कि पिछले तीन दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की दोगुने होने की दर सुधरकर 13.9 दिन हो गयी है जो पिछले 14 दिन में 11.1 थी।’’ उन्होंने इस मौके पर कोबास 6800 जांच मशीन देश को समर्पित की। जांच क्षमता बढ़ाने के संदर्भ में मंत्री ने कहा, ‘‘हमने अब प्रति दिन एक लाख नमूनों की जांच की क्षमता विकसित कर ली है। आज एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि हमने अब तक देश में 500 से ज्यादा प्रयोगशालाओं (359 सरकारी और 145 निजी) में कोविड-19 के करीब 20 लाख नमूनों की जांच कर ली है।’’ उन्होंने बताया कि कोबास 6800 मशीन पहली पूरी तरह स्वचालित अत्याधुनिक मशीन है जिससे कोविड-19 की पीसीआर जांच का परिणाम उसी समय मिल जाता है। सरकार ने इस मशीन को खरीदा है और एनसीडीसी में इसे लगाया गया है। हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘कोबास 6800 से 24 घंटे में 1200 नमूनों की जांच की रफ्तार से गुणवत्ता पूर्ण परिणाम प्राप्त किये जा सकेंगे। इससे जांच क्षमता बढ़ेगी।’’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मशीन की अन्य विशेषताओं की जानकारी देते हुए कहा कि यह रोबोटिक आधारित है जिससे स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण और प्रदूषण की आशंका बहुत कम होगी क्योंकि इसे दूर से संचालित किया जा सकेगा। एक आधिकारिक बयान के अनुसार इस मशीन को किसी भी केंद्र में नहीं रखा जा सकता। यह वायरस हेपेटाइटिस बी और सी तथा एचआईवी आदि की भी जांच कर सकती है। हर्षवर्धन ने नियंत्रण कक्ष और जांच प्रयोगशालाओं का भी दौरा किया तथा एनसीडीसी के निदेशक डॉ एस के सिंह एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जांच की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक 24 घंटे में कोविड-19 से मौत के 134 मामले आए हैं और संक्रमण के 3,722 नये मामले सामने आए हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि अब तक 26,235 लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं और बुधवार को लोगों के स्वस्थ होने की दर 32.83% से सुधरकर 33.6 प्रतिशत हो गयी है वहीं मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि बुधवार को आईसीयू में कोविड-19 के तीन प्रतिशत मरीज थे, वेंटिलेटरों पर 0.39 फीसदी रोगी थे वहीं ऑक्सीजन पर 2.7 प्रतिशत रोगी थे।

 

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मुफ्त अनाज, सस्ता कर्ज


सरकार ने बृहस्पतिवार को प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज, किसानों को सस्ता कर्ज और रेहड़ी पटरी वालों को कार्यशील पूंजी कर्ज उपलब्ध कराने के लिये 3.16 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। कोरोना वायरस ‘लॉकडाउन’ के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को उबारने और उसे पटरी पर लाने के लिये घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के दूसरे चरण के तहत यह घोषणा की गयी। वित्त मंत्री निर्मला सीतामण ने आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को दो महीने के लिये 5 किलो प्रति व्यक्ति अनाज और प्रति परिवार एक किलो दाल (चना) मुफ्त उपलब्ध कराई जायेगी। साथ ही देश व्यापी लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए 50 लाख रेहड़ी पटरी वालों को 10,000-10,000 रुपये का कार्यशील पूंजी कर्ज उपलब्ध कराया जायेगा। इस मौके पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने यह भी कहा कि 2.5 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये 2 लाख करोड़ रुपये का रियायती कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि रबी फसलों की कटाई के बाद और मौजूदा खरीफ फसल की जरूरतों के लिये राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) मई और जून में 30,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आपात कार्यशील पूंजी कोष किसानों को उपलब्ध कराएगा। यह राशि ग्रामीण सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के जरिये उपलब्ध करायी जाएगी। वित्त मंत्री ने आवास क्षेत्र को गति देने के वास्ते सस्ते मकानों के लिये कर्ज पर सब्सिडी सहायता योजना की अवधि एक साल बढ़ा दी। इससे 6 लाख रुपये से 18 लाख सालाना आय वाले मध्यम वर्ग के लोगों को लाभ होगा। इस पर कुल 70,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज और दाल उपलब्ध कराने के लिये 3,500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। उन्हें प्रवासी मजदूरों की पहचान करनी होगी और अनाज का वितरण करना होगा। इस योजना के दायरे में वे प्रवासी श्रमिक आएंगे जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के अंतर्गत नहीं आते या जहां वह रह रहे हैं, उनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है। सरकार प्रवासी मजदूरों के लाभ के लिये राशन कार्ड ‘पोर्टेबिलिटी’ को जल्द से जल्द पूरे देश में लागू करने पर भी विचार कर रही है। इसके तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के दायरे में आने वाले मजदूरों को राशन कार्ड का उपयोग अपनी सुविधा के हिसाब से किसी भी राज्य भी करने की अनुमति होगी। वित्त मंत्री ने छोटे कारोबारियों को राहत देने के लिये मुद्रा योजना के तहत 50,000 रुपये के मुद्रा-शिशु कर्ज के पर 2 प्रतिशत ब्याज सहायता देने की भी घोषणा की है। इसके अलावा सीतारमण ने रेहड़ी, पटरी वालों को 10,000-10,000 रुपये की कार्यशील पूंजी कर्ज उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इस पर 5,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) कोष का उपयोग कर 6,000 करोड़ रुपये की लागत से रोजगार को गति देने की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को राहत देते हुये आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिये मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 10 प्रतिशत है। इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मार्च में घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज तथा रिजर्व बैंक द्वारा विभिन्न मौद्रिक नीति उपयों के जरिये 5.6 लाख करोड़ रुपये का दिया गया प्रोत्साहन शामिल हैं। पैकेज के पहले चरण में सीतारमण ने बुधवार को 5.94 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की जिसमें लघु उद्यमियों को 3 लाख करोड़ रुपये का बिना गारंटी का कर्ज सुलभ कराने की बात कही गयी। साथ ही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बिजली वितरण कंपनियों के लिये भी राहत उपायों का ऐलान किया गया। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च से तीन सप्ताह के ‘लॉकडाउन’ की घोषणा की थी जिसे बाद में दो बार करके कुछ राहत देते हुए 17 मई तक बढ़ाया गया। इसके कारण आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से थम गयी और हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए। एक अनुमान के अनुसार ‘लॉकडाउन’ के कारण अप्रैल महीने में 12.2 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा और उपभोक्ता मांग एकदम नदारद रही।


सभी टिकट रद्द, पूरे पैसे वापस होंगे


रेलवे ने 30 जून तक की यात्रा के लिए नियमित ट्रेनों में की गई सभी पुरानी बुकिंग को रद्द करने और टिकट के पूरे पैसे वापस किए जाने की बृहस्पतिवार को घोषणा की। इसके साथ ही रेलवे ने यह संकेत भी दिया कि उस तारीख तक सामान्य यात्री सेवाओं के शुरू होने की उम्मीद नहीं है। रेलवे के एक आदेश में यह जानकारी दी गयी है। इसमें हालांकि कहा गया है कि एक मई से आरंभ की गई श्रमिक विशेष ट्रेन सेवाएं और 12 मई से शुरू की गई विशेष ट्रेनों का संचालन जारी रहेगा। जो टिकट रद्द किए जाएंगे, वे लॉकडाउन की अवधि में उस समय बुक कराए गए थे, जब रेलवे ने जून में यात्रा के लिए बुकिंग की अनुमति दी थी। इससे पहले के आदेश में ‘‘आगामी सलाह’’ तक मेल/एक्सप्रेस, यात्री एवं उपनगरीय सेवाओं समेत नियमित यात्री सेवाओं के रद्द करने की घोषणा की गयी थी। लेकिन बृहस्पतिवार की घोषणा ने संकेत दे दिया कि कम से कम जून के अंत तक नियमित सेवाएं शुरू होने की उम्मीद नहीं है। नए आदेश में कहा गया है, ‘‘30 जनू, 2020 तक की उक्त ट्रेनों के लिए बुक किए गए सभी टिकट रद्द किए जाएं और प्रावधानों के अनुसार पूरा पैसा वापस किया जाए।’’ आईआरसीटीसी के एक अधिकारी ने कहा कि रद्द किए जाने वाले टिकट लॉकडाउन के पहले और लॉकडाउन के दौरान 14 अप्रैल तक बुक कराए गए थे, जब रेलवे ने बुकिंग की अनुमति दी थी। इंटरनेट के माध्यम से बुक किए गए सभी टिकटों का पैसा अपने-आप वापस आ जाएगा और जिन लोगों ने 21 मार्च के बाद यात्रा के लिए टिकट खिड़की से टिकट खरीदे थे, वे यात्रा की तारीख से छह महीने के भीतर टिकट जमा कराके पैसा वापस ले सकते हैं। आदेश में कहा गया है, ‘‘यात्री टिकट का पैसा वापस लेने के लिए तीन दिन के बजाए यात्रा की तारीख से छह महीने के भीतर स्टेशन पर टीडीआर (टिकट जमा रसीद) दाखिल कर सकते हैं और मुख्य दावा अधिकारी (सीसीओ) के कार्यालय में (10 दिन के बजाए) अगले 60 दिन में विस्तृत टीडीआर दाखिल कर सकते हैं।’’ इसमें कहा गया है कि ई-टिकटों के लिए ऑनलाइन टिकट रद्द करने और पैसे वापस मिलने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लेकिन यात्री 139 हेल्पलाइन नंबर या आईआरसीटीसी की वेबसाइट से भी अपने टिकट रद्द करा सकते हैं और ट्रेन के प्रस्थान के समय तक के बजाए यात्रा से छह महीने के भीतर टिकट खिड़की से पैसा वापस ले सकते हैं। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण रेलवे ने 25 मार्च को नियमित मेल, एक्सप्रेस, यात्री एवं उपनगरीय सेवाएं निलंबित कर दी थीं।


राष्ट्रपति ने मितव्ययी उपायों की घोषणा की


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में सरकार को सहयोग देने के लिये अपने वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती करने सहित कई अन्य मितव्ययितापूर्ण कदमों की घोषणा की। इनमें लिमोजिन वाहन की खरीद को टालने, कार्यक्रमों में अतिथियों की संख्या कम करना आदि शामिल है। राष्ट्रपति भवन द्वारा बृहस्पतिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार, खर्च कम करने और सामाजिक दूरी की पाबंदी का पालन करने के लिये राष्ट्रपति के घरेलू यात्रा एवं अन्य कार्यक्रमों को काफी कम किया जायेगा। इसमें कहा गया है कि एट होम एवं राजकीय आयोजन में भी अतिथियों की सूची को छोटा रखा जायेगा और इसमें खाद्य सामग्री, फूलों एवं साज सज्जा की वस्तुओं को भी कम किया जायेगा। राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्रपति के उपयोग में आने वाले लिमोजिन वाहन की खरीद को भी टाल दिया है जिसका अनुमानित मूल्य 10 करोड़ रूपये है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति के अनुमान के अनुसान यह छोटा योगदान आत्मनिर्भर भारत के निर्माण और देश को इस महामारी के खिलाफ लड़ाई की चुनौतियों से निपटने में ऊर्जा का संचार करेगा तथा विकास एवं समृद्धि की यात्रा को जारी रखेगा। राष्ट्रपति ने अपने वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती करने की भी घोषणा की। भारत के राष्ट्रपति को 5 लाख रूपया प्रति माह वेतन मिलता है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि, ''ऐसे अवसरों के लिये राष्ट्रपति भवन एवं सरकार के वर्तमान संसाधनों को साझा किया जायेगा और ऐसे अवसरों के लिये उपयोग में लाया जायेगा।’’ राष्ट्रपति भवन में मरम्मत एवं रखरखाव कार्यो को भी कम किया जायेगा जो वहां की सम्पत्ति एवं वस्तुओं को दुरूस्त रखने के लिये होता है। राष्ट्रपति भवन चालू वित्त वर्ष में कोई नया पूंजीगत कार्य हाथ में नहीं लेगा और केवल पहले से जारी कार्यो को पूरा किया जायेगा। विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यालय में उपयोग में आने वाली वस्तुओं में भी कमी लायी जायेगी। मिसाल के तौर पर, राष्ट्रपति भवन में पर्यावरण अनुकूल कार्यालय और पेपर के दुरूपयोग को कम करने के लिये ई-प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जायेगा। इसमें कहा गया है कि, ''ऊर्जा और ईंधन को बचाने के लिये व्यवहारिक उपयोग पर जोर दिया जायेगा।’’ राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्रपति भवन को यह निर्देश कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के समय में धन एवं संसाधनों के उपयुक्त इस्तेमाल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया है। राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में कहा कि ऐसा अनुमान है कि इन कदमों से चालू वित्त वर्ष में राष्ट्रपति भवन के बजट की करीब 20 प्रतिशत राशि बचायी जा सकेगी। अधिकारियों के अनुसार, इन कदमों से राष्ट्रपति भवन द्वारा करीब 40-45 करोड़ रूपया बचाया जा सकेगा। राष्ट्रपति भवन का सालाना बजट 200 करोड़ रूपये से अधिक है।


लॉकडाउन 31 मई तक बढ़ाने पर विचार


महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), पुणे, सोलापुर, औरंगाबाद और मालेगांव में लॉकडाउन 31 मई तक बढ़ाने का इरादा जताया है, जो राज्य में कोविड-19 हॉटस्पॉट (संक्रमण से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र) के रूप में उभरे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान इन स्थानों पर प्रतिबंधों को बढ़ाने की संभावना पर चर्चा की गई। अधिकारी ने बताया, ‘‘सरकार ने 31 मई तक एमएमआर, पुणे, सोलापुर, औरंगाबाद और नासिक जिले के मालेगांव शहर में लॉकडाउन बढ़ाने की अपनी मंशा व्यक्त की। राज्य का दृष्टिकोण लिखित रूप में केंद्र को दिया जाएगा।’’ उन्होंने बताया, ‘‘राज्य के बाकी हिस्सों में, 17 मई को लॉकडाउन 3.0 समाप्त होने से पहले केंद्र द्वारा घोषित किये जाने वाले दिशानिर्देशों को लागू किया जाएगा।’’ उपमुख्यमंत्री अजित पवार, जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल, शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई, राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट और लोक निर्माण विभाग मंत्री अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल हुए। बुधवार रात तक महाराष्ट्र में कोविड-19 संक्रमण की संख्या 25,922 थी, जिनमें 975 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। अकेले मुंबई में संक्रमण के 15,747 मामले हैं और 596 मौतें हुई हैं। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को 24 मार्च को लागू किया गया, फिर बाद में इसे दो बार बढ़ाया गया, पहले 14 अप्रैल को, फिर 4 मई को इसकी अवधि बढ़ाई गई। लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई को समाप्त होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिए अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि लॉकडाउन का चौथा चरण होगा, जो पहले के तीन चरणों से बहुत अलग होगा।

 

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120 देशों को दवा की आपूर्ति


भारत ने पिछले दो माह के दौरान करीब 120 देशों को पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का निर्यात किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गाोयल ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। कोविड-19 महामारी की वजह से दुनियाभर में इन दवाओं की मांग काफी बढ़ गई है। गोयल ने कहा कि भारत ने इन दवाओं के निर्यात पर इस उद्देश्य से अंकुश लगाया था कि सिर्फ अमीर और ताकतवर देशों को ही नहीं, बल्कि अल्प विकसित देशों को भी ये दवाएं उपलब्ध हो सकें। मंत्री ने कहा, ‘‘पिछले दो माह के दौरान हम करीब 120 देशों की इन दवाओं की जरूरतों को पूरा कर सके हैं। 40 से ज्यादा देशों को ये दवाएं अनुदान या मुफ्त में दी गईं। यदि हम ऐसा नहीं करते, तो शायद कुछ अमीर और समृद्ध देश सारी दवाइयां खरीद लेते।’’ बेनेट विश्वविद्यालय के वेबिनार को एक रिकॉर्ड किए गए संदेश के जरिये संबोधित करते हुए गोयल ने कहा, ‘‘इन दवाओं को दूसरे देशों को भेजते समय राष्ट्रीय हित का पूरा ध्यान रखा गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने भारत में खराब से खराब स्थिति में दवाओं की जरूरत पर शोध किया और उसके ऊपर कुछ स्टॉक रखा। हमने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि दूसरे देशों को दवाओं की आपूर्ति करते समय देश में इनकी किसी तरह की कमी पैदा नहीं हो।’’ गोयल ने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी उड़ान में गड़बड़ी के दौरान दूसरों की मदद से पहले अपनी सीट बेल्ट बांधने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने यह सुनिश्चित किया कि अपनी जरूरतों को पहले पूरा किया जाए। उसके बाद हमने दुनिया के 120 देशों के तीन-चार अरब लोगों की सीट बेल्ट बांधने में मदद की।’’ पैरासिटामोल दर्द निवारक दवा है। वहीं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया के इलाज में काम आती है। गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत अभियान पर चीजें स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि भारत सिर्फ अंदर देखेगा। आत्म-निर्भर भारत का मतबल है कि दुनिया के साथ संपर्क रखा जाए, लेकिन उन पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहा जाए। उन्होंने कहा कि इससे मतलब इस भरोसे से है कि देश प्रतिस्पर्धी दरों पर गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन कर सकता है।


एक बार फिर परीक्षा देने का मिलेगा मौका


केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने घोषणा की है कि नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के जो छात्र इस साल परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाए, उन्हें कोविड-19 संकट के मद्देनजर स्कूल में होने वाली परीक्षा में शामिल होने का एक और मौका दिया जाएगा। सीबीएसई ने पिछले महीने आठवीं तक के सभी छात्रों को बिना परीक्षा लिये ही उत्तीर्ण करने की घोषणा की थी। सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बृहस्पतिवार को कहा, ''अभिभावकों और छात्रों के अनुरोध पर कोविड-19 की अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए सीबीएसई ने केवल इस वर्ष छात्रों को स्कूल में होने वाली परीक्षा में शामिल होने का एक और मौका देने का निर्णय किया है। चाहे उनकी परीक्षा पूरी हो चुकी हो या उसके नतीजे घोषित किए जा चुके हों या परीक्षा पूरी ना हुई हो सभी को यह मौका दिया जाएगा। छात्र कितने भी विषयों की परीक्षा दे सकते हैं।’’ बोर्ड ने यह स्पष्ट किया कि यह मौका कोविड-19 की अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए केवल इस वर्ष दिया जा रहा है और भविष्य में ऐसा नहीं किया जाएगा। भारद्वाज ने कहा, ''स्कूल इन छात्रों की ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षाएं ले सकते हैं और परीक्षाओं के आधार पर छात्रों को उत्तीर्ण करने का फैसला ले सकते हैं। उन सभी विषयों की परीक्षा ली जा सकती है, जिसमें छात्र अनुत्तीर्ण हैं। परीक्षा लेने से पहले स्कूलों को छात्रों को तैयारी करने का पर्याप्त समय भी देना होगा।’’ बोर्ड ने दोहराया कि यह छूट सभी छात्रों को दी जाएगी भले ही इस अधिसूचना से पहले भी उन्हें कोई मौका दिया गया हो। उन्होंने कहा, ''यह अभुतपूर्व स्थिति है। बच्चे घर में बंद हैं। उनके स्कूल बंद हैं। वे मानसिक तनाव और चिंता से घिरे हैं। अभिभावकों को वेतन और परिवार के स्वास्थ्य की चिंता है। यह मुश्किल समय है, अगर बच्चे स्कूली परीक्षा में भी उत्तीर्ण नहीं हो पाए तो और निराश हो जाएंगे।’’ भारद्वाज ने कहा, ''इस मुश्किल समय में, हम सबको साथ आकर छात्रों का तनाव दूर करने और उनकी चिंता कम करने के लिए साझा प्रयास करने चाहिए।’’ कोविड-19 से निपटने के लिए किए गए उपायों के तहत देशभर में 16 मार्च से विश्वविद्यालय और स्कूल बंद हैं। सीबीएसई ने इससे पहले 10वीं और 12वीं की शेष परीक्षाएं एक से 15 जुलाई के बीच कराने की घोषणा की थी।


105 और रेलगाड़ियों का प्रबंध किया


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे राज्य के लोगों को वापस लाने के लिए उनकी सरकार ने 105 अतिरिक्त रेलगाड़ियों का प्रबंध किया है। विपक्ष द्वारा सरकार पर फंसे हुए लोगों को वापस घर लाने को लेकर पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जाने के आरोपों के बीच ममता का यह बयान आया है। इससे पहले, कोरोना वायरस की रोकथाम के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे श्रमिकों, मरीजों, पर्यटकों और छात्रों को पश्चिम बंगाल वापस लाने के लिए सरकार ने 10 रेलगाड़ियां चलाने की मंजूरी दी थी। अब तक तीन रेलगाड़िया राज्य पहुंच चुकी हैं। ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, 'देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे ऐसे लोग जो बंगाल लौटना चाहते हैं, की मदद के अपने वादे के मुताबिक, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने 105 अतिरिक्त विशेष ट्रेनों का प्रबंध किया है। आने वाले दिनों में, यह विशेष ट्रेनें विभिन्न राज्यों से बंगाल के अलग-अलग गंतव्य तक पहुंचेंगी।' मुख्यमंत्री ने उन 105 रेलगाड़ियों की सूची भी साझा की, जोकि महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक और राजस्थान समेत अन्य राज्यों से बंगाल के लिए प्रस्थान करेंगी। इस सूची के मुताबिक, 16 मई को तीन ट्रेनें नयी दिल्ली से नया कूचबिहार, मुंबई से हावड़ा और बेंगलुरु अर्बन से मालदा टाउन के लिए रवाना होंगी। फंसे हुए प्रवासियों को ट्रेन के जरिए वापस लाने की राज्य सरकार की मुहिम 14 जून तक जारी रहेगी।


तीन सांसदों, दो विधायकों समेत 172 को पृथकवास पर भेजा


केरल में कांग्रेस पार्टी के तीन सांसदों और दो विधायकों समेत 172 लोगों को एहतियात के तौर पर गृह पृथक-वास में रहने के लिए कहा गया है, क्योंकि इन लोगों के वालयार के उस व्यक्ति के संपर्क में आने का संदेह है, जिसे बाद में कोविड-19 से संक्रमित पाया गया। सूत्रों के अनुसार, पांच कांग्रेसी नेताओं, कुछ पुलिस कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों और मीडिया कर्मियों सहित 172 लोगों को उस व्यक्ति के संपर्क में आने के संदेह में पृथक-वास में रहने के लिए कहा गया है। वह व्यक्ति नौ मई को पड़ोसी तमिलनाडु से राज्य की सीमा को पार कर वालयार आया था। उसे बाद में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। कांग्रेस के पांच नेता नौ मई को वालयार जांच-चौकी पर मौजूद थे, जहां वे केरल सरकार पर देश और विदेशों में फंसे केरलवासियों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। वे उस दौरान सीमा पर फंसे लोगों से भी मिले थे। पलक्कड़ जिला प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि संक्रमित पाए गए मलप्पुरम निवासी के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को 14 दिनों तक पृथक-वास में रहना होगा। जिला प्रशासन ने सांसदों टी एन प्रतापन (त्रिशूर), रम्या हरिदास (अलातुर), वी के श्रीकंदन (पलक्कड़) और विधायकों शफी परंबिल (पलक्कड़) और अनिल अकारा (वडक्कनचेरी) को गृह पृथक-वास में जाने के लिए कहा है।

 

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यात्रियों ने ली राहत की सांस


नयी दिल्ली से बृहस्पतिवार को एक स्पेशल ट्रेन यहां मुंबई सेंट्रल स्टेशन पहुंची जो लॉकडाउन लागू होने के लगभग 54 दिन बाद बाहर से आई पहली स्पेशल ट्रेन है। अनेक यात्रियों ने लगभग दो महीने बाद अपनी वापसी पर खुशी व्यक्त की। कुछ यात्रियों ने हालांकि शिकायत की कि ट्रेन से उतरने के बाद उन्हें थर्मल स्क्रीनिंग और उनके सामान को संक्रमणमुक्त बनाने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहने को मजबूर किया गया। रेलवे सूत्रों ने बताया कि यात्री स्पेशल ट्रेन बुधवार शाम नयी दिल्ली से चली थी और बृहस्पतिवार को सुबह लगभग 8:40 बजे मुंबई सेंट्रल स्टेशन पहुंची। शहर के निकाय कर्मियों ने यहां पहुंचे सभी यात्रियों के हाथ पर घर में पृथक रहने की मोहर लगाई और उनसे कहा कहा कि वे 20 मई तक अपने घरों से बाहर न निकलें। यात्रियों के हाथों पर मोहर लगाने से पहले बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और रेलवे रक्षा बल के कर्मियों ने उन सभी की थर्मल स्क्रीनिंग की तथा अग्निशमन विभाग ने उनके सामान को संक्रमणमुक्त किया। हालांकि, लंबी लाइन और स्क्रीनिंग प्रक्रिया में विलंब से कुछ यात्री नाराज हो गए क्योंकि उन्हें स्टेशन छोड़ने से पहले दो घंटे तक खड़े रहना पड़ा। राजस्थान के कोटा में फंसे, लेकिन दिल्ली से ट्रेन पकड़ने में सफल रहे के. लखियानी ने कहा कि यहां पहुंचने के बाद स्क्रीनिंग और सामान को संक्रमणमुक्त करने की प्रक्रिया में काफी अधिक समय लगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लाइन में लगभग दो घंटे खड़ा रहना पड़ा।’’ लखियानी बाद में, निजी वाहन से पास के ठाणे जिले के उल्हासनगर रवाना हो गए। इसी तरह, एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि लाइन में बैठने के लिए कोई इंतजाम नहीं था और लगभग दो घंटे खड़े रहने से उनकी पीठ में दर्द हो गया। रेलवे सुरक्षा एजेंसियों और मुंबई पुलिस ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए थे जिससे कि भीड़भाड़ से बचा जा सके तथा कानून व्यवस्था संबंधित कोई स्थिति उत्पन्न न हो। अनेक यात्रियों ने रेलवे स्टेशन से अपने घर पहुंचने के लिए निजी वाहनों का इंतजाम किया तथा कुछ ने कैब बुक कीं। शहर के परिवहन विभाग ने यात्रियों के लिए बसों का इंतजाम भी किया। जिन यात्रियों को मुंबई महानगर क्षेत्र से बाहर जाना था, उन्होंने रोडवेज बसों का सहारा लिया। अधिकतर यात्री घर वापसी पर प्रसन्न थे और उन्होंने खुद को सौभाग्यशाली बताया।


दुकानें शुक्रवार से खुलेंगी


गुजरात के अहमदाबाद में कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के मद्देनजर पिछले एक सप्ताह से बंद सब्जी, राशन और दैनिक जरूरतों के सामान की दुकानें शुक्रवार से दोबारा खोली जाएंगी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अहमदाबाद नगर निगम ने सात मई से 15 मई तक के लिए दवा और दूध की दुकानों के अलावा सभी दुकानों को बंद रखे जाने का आदेश जारी किया था। अहमदाबाद में कोविड-19 से संबंधित मामलों को देख रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव गुप्ता ने कहा कि मौजूदा हालात का जायजा लेने के बाद यह फैसला किया गया कि 15 मई से राशन, सब्जी और फल आदि जरूरत का सामान बेचने वाली दुकानें सुबह आठ बजे से दोपहर तीन बजे तक खुली रहेंगी। गुप्ता ने कहा, 'हमने 17,000 विक्रेताओं की स्क्रीनिंग की और उन्हें स्वास्थ्य कार्ड जारी किया है। सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने और भीड़ एकत्र होने से बचने के लिए हम चाहते हैं कि महिलाएं सुबह आठ बजे से 11 बजे के बीच खरीदारी करने निकलें। पुरुषों को सुबह 11 बजे के बाद बाहर आना चाहिए। बाहर निकलने वाले लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य है।' 


रेलगाड़ी से 167 यात्री लापता


गुजरात के सूरत से उत्तराखंड के हरिद्वार पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन के 167 यात्रियों के लापता होने को लेकर प्रशासन सकते में है। हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने मामले की जांच क्ज्ञ आदेश देते हुए लापता लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी ने बताया कि सूरत प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई गयी यात्रियों की सूची के अनुसार, 12 मई को सूरत से हरिद्वार रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 1340 यात्री सवार थे। उन्होंने बताया कि ट्रेन के हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंचने पर जब यात्रियों की गिनती की गई तो वे 1173 निकले, यानि कुल 167 लोग लापता थे। गिनती में 167 यात्रियों के कम होने की सूचना मिलते ही हरिद्वार प्रशासन में हड़कंप मच गया। रविशंकर ने बताया कि सूरत प्रशासन से भी इस मामले में फिर से जानकारी ली जा रही है कि ये 167 लोग रेलगाड़ी पर सवार हुए भी थे या नहीं। उन्होंने कहा कि अगर ये लोग सूरत से रेलगाड़ी पर चढे थे लेकिन रास्ते में कहीं लापता हो गए हैं तो प्रशासन इन लोगों को चिन्हित करेगा और इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रवासियों के यहां पहुंचने पर उनकी स्वास्थ्य जांच करने के बाद जरुरत के अनुसार उन्हें पृथक-वास केन्द्र या पृथक वार्ड में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से बचने का प्रयास करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

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कार्यालयी माहौल बनाये रखें


घर से काम कर रहे सरकारी अधिकारियों को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी वीडियो कांफ्रेंस में भाग लेने के दौरान उपयुक्त वेशभूषा में रहना होगा और कार्यालय परिवेश के सभी नियमों का पालन करना होगा। कार्मिक मंत्रालय द्वारा केंद्र सरकार के सभी विभागों को भेजे मसौदा दिशानिर्देश में मानक संचालन प्रक्रिया का विस्तार से जिक्र किया गया है जिसका नये कार्य परिदृश्य में घर से काम करने के दौरान सरकारी कर्मियों को पालन करना होगा। उसमें कहा गया है कि अंतर मंत्रालयी विमर्श के लिए मंत्रालयों के बीच फाइलों का ई-ऑफिस से आदान प्रदान किया जा सकता है। इस दिशानिर्देश में कहा गया है, ''घर से काम के दौरान अहम बैठकों के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र का सहयोग लिया जाए। औपचारिक बैठकों को लेकर एनआईसी द्वारा अग्रसारित लिंक को सक्रिय करते हुए अधिकारी एवं कर्मी इनमें भाग ले सकते हैं।’’ उसमें कहा गया है, ''कोविड-19 महमारी के दौरान एक दूसरे से दूरी रखते हुए यथासंभव कार्यालयी माहौल में वीडियो कांफ्रेंस का इस्तेमाल किया जाए।’’ राष्ट्रीय सूचना केंद्र को भी वीडियो कांफ्रेंस को और सुविधापूर्ण बनाने के लिए उसे मजबूत करने को कहा गया है। उसमें कहा गया है, ''घर से काम करने वाले अधिकारी वीडियो कांफ्रेंस बैठक में हिस्सा लेने के दौरान कार्यालय परिवेश के नियमों का पालन करेंगे।’’


परीक्षाएं एक जुलाई से शुरू होंगी


दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं एक जुलाई से शुरू होंगी। अगर कोविड-19 से उत्पन्न हालात सामान्य नहीं हुए तो 'ओपन बुक' माध्यम से परीक्षाएं ली जाएंगी। विश्वविद्यालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकरी दी। 'ओपन बुक' माध्यम के तहत छात्र सवालों का जवाब देने के लिये पुस्तकों, नोट्स और अन्य अध्ययन सामग्री का सहारा ले सकेंगे। छात्र अपने घरों में बैठकर पोर्टल के माध्यम से अपने संबंधित पाठ्यक्रम का प्रश्न पत्र डाउनलोड करेंगे। दो घंटे के अंतराल में उन्हें उत्तर अपलोड करने होंगे। विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना में कहा कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और गैर कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड (एनसीडब्ल्यूईबी) में पंजीकृत छात्रों समेत स्नातक और स्नातकोत्तर के तृतीय वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं एक जुलाई से शुरू होंगी। अधिसूचना में कहा गया है, 'इन सभी परीक्षाओं को रविवार समेत एक दिन में दो घंटे के तीन सत्रों में आयोजित किया जाएगा। इस महीने के अंत तक एक विस्तृत परीक्षा तिथि अधिसूचित किए जाने की संभावना है।' अधिसूचना के अनुसार, 'अगर कोविड -19 से उत्पन्न हालात सामान्य नहीं होते हैं तो छात्रों की सामाजिक मेलजोल से दूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय स्नातक और स्नातकोत्तर के तृतीय वर्ष के छात्रों के लिये परीक्षाओं के वैकल्पिक मोड यानी ओपन बुक एग्जामिनेशन (ओबीई) को अपनाएगा।' 


लॉकडाउन में घर वापसी का सहारा बनी साइकिल


कोविड-19 लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलवाए जाने, प्रदेश सरकार द्वारा कई जगहों पर बसें भेजे जाने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस निर्देश के बावजूद की यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी को पैदल, साइकिल या मोटरसाइकिल से घर ना लौटना पड़े प्रवासी कामगारों के लिए साइकिल घर लौटने का महत्वपूर्ण साधन बन गया है। बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार घर लौटने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की लंबी साइकिल यात्रा पर निकल पड़े हैं। इसकी वजह से नयी-पुरानी साइकिल की मांग भी अचानक बढ़ गई है। उत्तराखंड में मजदूरी करने वाले राजन अपने आठ साथियों के साथ 10 मई को बिहार के बक्सर स्थित अपने घर के लिए साइकिल यात्रा पर निकले हैं। ये लोग 1100 किलोमीटर लंबा सफर साइकिल से तय करेंगे। बृहस्पतिवार सुबह बलरामपुर पहुंचे राजन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जब घर वापस लौटने के लिये कोई साधन मिलता नहीं दिखा तो आठों ने बचे हुए पैसे जमा कर उससे चार साइकिलें खरीदी और उनसे गंतव्य की ओर निकल पड़े। उन्होंने बताया कि एक वक्त पर एक व्यक्ति साइकिल चलाता है और दूसरा पीछे कैरियर पर बैठा रहता है, ऐसे करके दो लोग बारी-बारी से 50-50 किलोमीटर तक साइकिल चलाते हैं। इधर, बलरामपुर चीनी मिल में मजदूरी करने वाले बरसाती ने बताया कि मिल 12 मई को बंद हो गई, लेकिन उसे घर वापस का कोई साधन नहीं मिला। अब उन्होंने एक साइकिल खरीदी है और उसी से घर जाने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि साइकिल से जाने में परेशानी तो होगी लेकिन लोगों से दूरी बनी रहेगी और कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा। हरियाणा के रोहतक में मजदूरी करने वाले राधेश्याम के सामने लॉकडाउन के कारण रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। वतन वापसी के लिये कोई साधन नहीं मिला तो साइकिल खरीद कर अपनी पत्नी के साथ 900 किलोमीटर का सफर तय करके घर लौट आए। तुलसीपुर शुगर कम्पनी के कल्याण अधिकारी ने बताया, ‘‘कम्पनी में करीब 105 मजदूर काम करते हैं। आस-पास के जिलों के श्रमिकों को सरकारी बसों के जरिये उनके घर भेजा गया है। बिहार के 10 मजदूरों ने सामाजिक दूरी अपनाने के लिए साइकिल से घर जाने की इच्छा जताई। इस पर उन्हें नई साइकिल खरीद कर और रास्ते में खाने-पीने का खर्च देकर बृहस्पतिवार को भेजा गया है।’’ बड़ी संख्या में श्रमिक साइकिलें खरीद कर अपने वतन को लौट रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण संकटकाल में लॉकडाउन की काली छाया से लाखों उघोग धंधो पर भले ही संकट के बादल छाए गए हो लेकिन साइकिल कारोबार में तेजी आई है। बड़े पैमाने पर श्रमिक साइकिल खरीद रहे हैं। बलरामपुर में साइकिल व्यवसाई आमिर का कहना है कि सरकार की तरफ से लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद साइकिल ब्रिकी में तेजी आई है। पहले जहाँ हर रोज 8 से 10 साइकिलें बिकती थीं वहीं आज 30 से 35 साइकिलें बिक रही हैं। कम पैसे होने की वजह से लोग पुरानी साइकिल भी खरीद रहे हैं। साइकिलों की ब्रिकी बढ़ने के कारण साइकिल बांधने वाले अतिरिक्त कारीगरों को लगाना पड़ा है जिससे उनकी रोजी रोटी भी चल पड़ी है।


-नीरज कुमार दुबे


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