By अभिनय आकाश | Sep 16, 2024
आप संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस घोषणा के बाद कि वह 48 घंटे बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। इस फैसले ने दो महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पहला- चुनाव होने तक राष्ट्रीय राजधानी का अस्थायी मुख्यमंत्री कौन रहेगा? दूसरा,-क्या चुनाव आयोग आप नेता के अनुरोध के अनुसार समय से पहले चुनाव कराने की अनुमति देगा? एक अन्य महत्वपूर्ण संकट राष्ट्रपति शासन का मंडराता खतरा है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लगाने को उचित ठहराने के लिए नीतिगत पक्षाघात का हवाला दे सकती थी। चूंकि दिल्ली एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है, इसलिए उपराज्यपाल दिल्ली के मुख्यमंत्री की सिफारिश को गृह मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजेंगे।
उपराज्यपाल के पास मुख्यमंत्री की सलाह पर विधानसभा को भंग करने का अधिकार है। वर्तमान में दिल्ली विधानसभा को भंग करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, जिससे राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावना कम हो सकती है। पहली बात तो यह कि कुछ महीनों के लिए सीएम चुनने से कई सारी समस्याएं खड़ी हो सकती है, जैसा कि हाल ही में झारखंड में जेएमएम के हेमंत सोरेन और चंपई सोरेन के बीच देखने को मिला और 2014 में बिहार में जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार द्वारा जीतन राम मांझी से शीर्ष सीट वापस लेने के बाद। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के किसी सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपेंगे? हालांकि, उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल का नाम लोकसभा चुनाव के बाद से ही चर्चा में है, जब सीएम केजरीवाल चुनाव प्रचार के लिए कुछ समय के लिए अंतरिम जमानत पर बाहर आए थे। तब से लगातार सुनीता केजरीवाल की सीएम पद की दावेदारी को लेकर चर्चा हो रही है।
एक चर्चा इसकी भी चल रही है कि खुद के पद से इस्तीफा देने के बाद किसी का भी नाम तय नहीं हो। कहा जाए कि किसी के नाम पर सहमति नहीं बन पाई। फिर मजबूरन एलजी को दिल्ली की कमान अपने हाथ में लेनी पड़ेगी। राष्ट्रपति शासन लगा दी जाएगी और फिर एक-दो महीने में चुनाव की घोषणा हो जाएंगे। इसके अलावा छह महीने से कम का वक्त बचेगा तब भी एलजी इस बात की सिफारिश कर सकते हैं कि विधानसभा को भंग कर दिया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाए। तब तक केजरीवाल ये नैरेटिव फैला सकते हैं कि मैं निर्दोष हूं, मुझे फंसाया गया।