By अभिनय आकाश | Jan 28, 2021
आज उन नायकों की बात करेंगे जिनकी वजह से देश का मान बढ़ता है। आज दिखाएंगे उन हीरोज की कहानी जिन्होंने अपने काम के बूते ना सिर्फ अपनी पहचान बनाई, मानक गढ़े और पद्म पुरस्कार विजेता बने। जैसी की रवायत रही है कि गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कार पाने वाले नामों का ऐलान हो जाता है। इस लिस्ट में गीतकार बालासुब्रमण्यम से लेकर जापान के पीएम शिंजो आबे तक के नाम है। लेकिन अधिकतर नाम ऐसे हैं जिन्हें आम लोग नहीं जानते हैं पर इन लोगों ने अपने अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। यह देश के असली नायक है असली हीरो जिन्होंने अपने सत कर्मों से नाम कमाया, भारत का मान बढ़ाया। अब इनको सम्मानित करने की बारी है। इसलिए पद्म पुरस्कारों में इनके नाम है।
सात लोगों को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया है-
10 लोगों को पद्म भूषण सम्मान मिला है-
इसके बाद आते हैं वे 102 लोग जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है।
लखिमी बरुआ, असम (सामाजिक कार्य)
असम के जोरहाट जिले की रहने वाली लखिमी बरुआ कोनोकलता महिला अर्बन काॅपरेटिव बैंक की फाुंडर हैं। 1998 में शुरू की गई यह बैंक गरीब और अशिक्षित महिलाओं को फाइनेंशियल सिक्योरिटी प्रदान करता है। वर्तमान में इस बैंक की चार ब्रांच हैं और 45000 अकाउंट होल्डर। बैंक में केवल महिलाओं को नौकरी दी जाती है। अब तक 8 हजार महिलाओं को यह बैंक लोन दे चुका है।
पम्पमल, तमिलनाडु (कृषि)
1914 में तमिलनाडु के देवलपुरम में पप्पममल का जन्म हुआ। छोटी उम्र में ही माता-पति का साया सिर से उठ गया। अपनी नानी के घर रहकर रहकर अपना भरण-पोषण किया। पप्पम्मल की उम्र 100 साल से भी ज्यादा है लेकिन आज भी वो हर दिन खेतों में काम करती हैं और जैविक खेती को बढ़ावा देने के कार्य में लगी हैं।
डाॅ. दिलीप कुमार सिंह, बिहार (मेडिसिन)
बिहार के भागलपुर के रहने वाले डाॅ. दिलीप कुमार सिंह को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। वे 95 वर्ष के हैं। 1980 में गरीबों के बीच मुफ्त में पोलियो टीका वितरण करने के लिए डाॅ. सिंह का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है। वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और लेप्रोसी फाउंडेशन वर्धा के लाइफ मेंबर भी हैं।
मौमा दास, पश्चिम बंगाल (खेल)
टेबल टेनिस खिलाड़ी मौमा दास को पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है। उनका जन्म 24 फरवरी 1984 को बंगाल में हुआ। साल 2004 के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। दूसरी बार साल 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भी मौमा दास शामिल हुईं। 2013 में मौमा दास को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया।
कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा, केरल (आर्ट)
मशहूर पार्श्व गायिका कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गायिका ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में 25,000 से अधिक गीत रिकार्ड किये हैं।
सिंधुताई सकपाल, महाराष्ट्र (सामाजिक कार्य)
सिंधुताई सकपाल को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। सिंधुताई महाराष्ट्र के अनाथ बच्चों के लिए काम करती हैं। अनाथ बच्चों की तरफ से उन्हें अनाथों की मां का भी दर्जा मिला है। साल 1994 में सिंधुताई ने अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए ममता बालसदन नाम की संस्था की शुरुआत की थी। यह संस्था पुणे के पास पुरंदर तहसील के कुभांल वलन गांव में शुरू की गई थी।
डाॅ. जय भगवान गोयल, हरियाणा ( साहित्य और शिक्षा)
डाॅ. जयभगवान गोयल को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। गोयल यमुनानगर के रहने वाले हैं। डाॅ. गोयल केयू हिंदी विभाग में डीन समेत कई पदों पर रहने के बाद सेवानिवृत्त हुए। अध्यापन के अलावा उन्होंने शोध लेख, निबंध, रेखाचित्र, रिपोतार्ज, आकाशवाणी व दूरदर्शन पर साक्षात्कार आदि योगदान हिंदी साहित्य को दिया।
कल्बे सादिक, उत्तर प्रदेश (अध्यात्मवाद)
यूपी में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के उपाध्यक्ष और शिया धर्म गुरु कल्बे सादिक को मरणोपरांत पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया है। डाॅ सादिक को शिक्षा और खासकर लड़कियों व गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए सक्रिय रहे। मौलाना कल्बे सादिक दुनिया भर में अपनी उदारवादी छवि के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने न सिर्फ रूढ़िवादियों का विरोध बल्कि बल्कि शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हुए।
रजनीकांत देवीदास सर्राफ, महाराष्ट्र (उद्योग)
महाराष्ट्र के रजनीकांत देवीदास सर्राफ को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। रजनीकांत सर्राफ यूनाइटेड फाॅस्फोरस लिमिटेड के संस्थापक हैं जो एक रासायनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी है। फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार दिसंबर 2019 तक उनकी कुल संपत्ति 1.69 अरब डाॅलर की थी और वे भारत के 87वें अमीर लोगों में शामिल रहे थे।
तरलोचन सिंह, हरियाणा (जनसेवा)
हरियाणा के तरलोचन सिंह को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया है। उन्हें दुनियाभर में सिख समुदाय के हक और बेहतरी के लिए कार्य करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने सिखों के बचाव और बंदोबस्त के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए। तरलोचन सिंह को सिख इतिहास पर कई चर्चित कैलेंडर प्रकाशित करने और संग्रहालय बनवाने में योगदान के लिए जाना जाता है।
भूरी बाई, मध्य प्रदेश (आर्ट)
मध्य प्रदेश की चित्रकार भूरी बाई को पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया गया है। भूरी बाई झाबुआ जिले की चित्र कलाकार हैं। उन्होंने भोपाल आकर भारत भवन में मजदूरी करने के साथ ही चित्रकारी भी करती रहीं। उन्हें भोपाल के जनजातीय संग्रहालय की दीवारों पर चित्र बनाने का मौका मिला। उनके द्वारा बनाए गए चित्रों और कैनवास पेंटिंग से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। यह वह हीरो हैं जिन्होंने आने वाले नस्लों के लिए बेहतर कल का सपना बुना है। इनका सम्मान देश का सम्मान है।- अभिनय आकाश