'देशहित के लिए हमारी आवाज हों एकजुट', PM मोदी बोले- बिहार विधानसभा का रहा अपना इतिहास, एक से बड़े एक लिए गए हैं साहसिक निर्णय

By अनुराग गुप्ता | Jul 12, 2022

पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप सभी को बिहार विधानसभा भवन के शदाब्दी वर्ष की शुभकामनाएं। बिहार का ये सौभाग्य है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उस प्यार को कई गुना करके लौटाता है। आज मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है।

इसे भी पढ़ें: संसद में मोदी सरकार को घेरने की रणनीति होगी तैयार ! सोनिया गांधी की अध्यक्षता में 14 जुलाई को होगी कांग्रेस की बैठक 

उन्होंने कहा कि मुझे कुछ समय पहले शताब्दी स्मृति स्तंभ के लोकार्पण का अवसर भी मिला। ये स्तंभ बिहार के गौरवशाली अतीत का प्रतीक तो बनेगा ही, साथ ही ये बिहार की कोटि-कोटि आकांक्षाओं को भी प्रेरणा देगा।

बिहार विधानसभा का रहा है अपना इतिहास

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दशकों से हमें ये बताने की कोशिश होती रही है कि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है। लेकिन, कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है।

उन्होंने कहा कि जब दुनिया के बड़े भू-भाग सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ा रहे थे, तब वैशाली में परिष्कृत लोकतंत्र का संचालन हो रहा था। जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में जनतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होनी शुरू हुई थी, तब लिच्छवी और वज्जीसंघ जैसे गणराज्य अपने शिखर पर थे। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है, जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है। हजारों वर्षों पूर्व हमारे वेदों में कहा गया है- त्वां विशो वृणतां राज्याय त्वामिमाः प्रदिशः पञ्च देवीः।

इसे भी पढ़ें: श्रीलंका-अफगानिस्तान की तरह भाजपा पर कार्रवाई करेंगे लोग: महंगाई को लेकर अभिषेक ने साधा निशाना 

मदर ऑफ डेमोक्रेसी है भारत

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं जब भी बड़े वैश्विक मंच पर जाता हूं, तो बड़े गर्व से कहता हूं कि विश्व में लोकतंत्र की जननी हमारा भारत है, भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। बिहार की गौरवशाली विरासत, पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी इसके जीवंत प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि बिहार ने आजाद भारत को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका।

देशहित के लिए एकजुट होनी चाहिए आवाज

उन्होंने कहा कि देश के सांसद के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी ये भी ज़िम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं। पक्ष-विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर, देश के लिए, देशहित के लिए हमारी आवाज एकजुट होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में संसद में सांसदों की उपस्थिति और संसद की प्रोडक्टिविटी में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। संसद के पिछले बजट सत्र में लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 129 फीसदी थी, राज्यसभा में भी 99 फीसदी प्रोडक्टिविटी दर्ज की गई है। यानि देश लगातार नए संकल्पों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए लिए 21वीं सदी भारत की सदी है। हमें इसी सदी में, अगले 25 सालों में नए भारत के स्वर्णिम लक्ष्य तक पहुंचना है। इन लक्ष्यों तक हमें हमारे कर्तव्य ही लेकर जाएंगे। इसलिए, ये 25 साल देश के लिए कर्तव्य पथ पर चलने के साल हैं।

इसे भी पढ़ें: मोदी ने बैद्यनाथ दरबार में पूजा की, बाबा के दर्शन करने वाले पहले PM बने, बोले- यहां शिव भी, शक्ति भी 

उन्होंने कहा कि हमें अपने कर्तव्यों को अपने अधिकारों से अलग नहीं मानना चाहिए। हम अपने कर्तव्यों के लिए जितना परिश्रम करेंगे, हमारे अधिकारों को भी उतना ही बल मिलेगा। हमारी कर्तव्य निष्ठा ही हमारे अधिकारों की गारंटी है।

प्रमुख खबरें

Piyush Goyal का लॉजिस्टिक्स सुधार के लिए सरकारी मंचों के साथ उद्योग के एकीकरण का आह्वान

ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि की तरफ सफर में कोयला क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका: G Kishan Reddy

Yes Milord: टोल फ्री ही रहेगा DND, एनसीआर राज्य में भी पटाखों पर बैन, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या हुआ

राज्यों ने Sitharaman से 50 वर्षीय ब्याज-मुक्त ऋण योजना में अधिक राशि देने की मांग की