EVM पर दोहरा रवैया छोड़ चुनाव परिणाम की ईमानदारी से समीक्षा करे विपक्ष

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 03, 2019

नयी दिल्ली। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठाये जा रहे सवालों को विपक्षी दलों का दोहरा रवैया बताते हुये बुधवार को कहा कि चुनाव नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं आने पर ऐसे सवाल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह दो बार प्रधानमंत्री बनें तो ईवीएम सही है, ममता बनर्जी, मायावती और द्रमुक उसी ईवीएम से जब चुनाव जीतें तो ईवीएम सही है, लेकिन मोदी अगर दो बार जीतें तो ईवीएम खराब है। यह दोहरा रवैया छोड़ राजनीतिक दल ईमानदारी से अपने चुनाव परिणाम की समीक्षा करें।’’ प्रसाद ने बुधवार को राज्यसभा में ‘चुनाव सुधार की आवश्यकता’ के विषय पर हुयी अल्पकालिक चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि एक देश एक चुनाव और ईवीएम की विश्वसनीयता जैसे गंभीर विषयों पर विपक्षी दलों ने न सिर्फ दोहरा रवैया अपनाया है बल्कि उनका यह रवैया जनता को गुमराह करने वाला भी है। 

प्रसाद ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि हर समय चलने वाले चुनाव के चक्र से देश को बाहर निकाल कर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराये जाने पर सार्थक बहस की जाये।’’ उन्होंने, हालांकि एक देश एक चुनाव के विचार में पूरे देश की एक ही मतदाता सूची को भी लागू करने के विचार को भी शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वह बतौर कानून मंत्री चुनाव आयोग से एक ही मतदाता सूची बनाने के विषय पर भी विचार करने का अनुरोध करेंगे। प्रसाद ने सभी राजनीतिक दलों से एक देश एक चुनाव के विषय पर सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर विचार करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस विषय को महज इसलिये खारिज नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उठाया है। प्रसाद ने कहा कि इस पर सभी पक्षों को देश के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुये विचार करना चाहिये। 

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उन्होंने कहा कि देश के मतदाताओं ने पिछले सभी चुनावों में दिये जनादेश के जरिये अपनी समझ और परिपक्वता को साबित किया है। इसलिये राजनीतिक दल ईवीएम और एक देश एक चुनाव जैसे गंभीर मुद्दों पर मतदाताओं को भ्रमित करने के बजाय खुले दिमाग से विचार विमर्श करें। चुनावी वित्तपोषण के विषय पर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने 2016 से अब तक मौजूदा नियमों में व्यापक सुधार कर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया है। इसमें आय के स्रोत से लेकर उम्मीदवारों के जीवनसाथी के भी आय के स्रोतों का खुलासा करने के अलावा कार्पोरेट जगत की वित्तीय सहायता को भी पारदर्शी बनाया। इसमें चुनावी बांड कारगर उपाय साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि इन तमाम सुधारों के बावजूद सरकार इस दिशा में आगे भी कारगर सुझाव मिलने पर अमल में लाने के लिये खुले दिमाग से तत्पर है। कानून मंत्री ने हालांकि प्रत्यक्ष मतदान के बजाय आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से निर्वाचन के सुझाव से असहमति जतायी। मंत्री के जवाब पर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने असंतोष जताते हुये चर्चा के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कोई जवाब नहीं दिये जाने का मुद्दा उठाने की अनुमति मांगी जिसे सभापति ने खारिज कर दिया। 

 

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