1984 दंगों में 'हाथ', दो मुख्यमंत्रियों का करियर खत्म करने वाला नेता, जिसने अपने बेल की एवज में CBI टीम को ही बना लिया था बंधक

By अभिनय आकाश | Feb 13, 2025

दिल्ली चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करने वाली कांग्रेस को अब एक और झटका लगा है। दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को दोषी करार दे दिया है। सज्जन कुमार पर सिख विरोधी दंगों में पिता पुत्र की हत्या का आरोप है। सज्जन कुमार की सजा पर 18 फरवरी को फैसले को लेकर बहस होने वाली है। इस मामले में फैसले 41 साल बाद आया है। ये केस 1984 सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार में दो सिखों की हत्या का है। 1 नवंबर 1984, देश में दंगों की आग भड़क चुकी थी। हजारों सिख परिवारों के लिए ये वो तारीख थी जब उनकी जिंदगी में अचानक तूफान आया और सबकुछ अपने साथ समेटकर ले गया। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के त्रिलोकपुरी के ब्लाक 32 में 200 घरों को जला दिया गया था और 400 सिख मार दिए गए थे। कई सिखों के पैर काटकर और गले में टायर डाल कर जिंदा जला दिया गया था। इसी दिन दिल्ली के सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई। इसी मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार आरोपी थे। इस केस को दिल्ली पुलिस ने बंद कर दिया था। 2015 में एसआईटी गठित हुई और एक बार फिर इसे खोला गया। एसआईटी ने आरोप लगाया कि सज्जन कुमार उस भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे। सज्जन कुमार के कहने पर उसी भीड़ ने पिता और पुत्र को जिंदा जला दिया। राउज एवेन्यू कोर्ट ने अब इसी मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है। 

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कांग्रेस के राजनेताओं ने जानबूझकर बनाया सिखों को निशाना? 

सज्जन कुमार बाहरी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए कांग्रेस पार्टी से तीन बार लोकसभा सांसद थे। दिसंबर 2018 में दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की एक तथ्य-खोज रिपोर्ट में पाया गया कि दंगे इंदिरा गांधी की हत्या की सहज प्रतिक्रिया नहीं थे, बल्कि कांग्रेस के राजनेताओं द्वारा जानबूझकर किया गया हमला था। दंगों से बचे लोगों ने कुमार पर हमलों का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि उन्होंने प्रत्येक हमलावर को ₹100 और शराब की एक बोतल का भुगतान किया। दंगों के बाद, सिख शरणार्थी शिविरों में जीवित बचे लोगों ने कुमार द्वारा दी गई सहायता से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह हिंसा के पीछे मुख्य भड़काने वाले थे। पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट- I क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट- II में एक गुरुद्वारा को जलाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कुमार ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ दो अन्य अपीलों पर सुनवाई उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। नवादा के गुलाब बाग स्थित गुरुद्वारे के पास हुई हिंसा से संबंधित दो और मामले दिल्ली ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं। कांग्रेस नेता जनकपुरी और विकासपुरी इलाकों में दंगों से संबंधित एक मामले में भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

एफआईआर दर्ज करने में लगे 6 साल

कांग्रेस के वक्त में फिर करने में और सज्जन कुमार का नाम उसमें शामिल करने में 6 साल लग गए थे। लोग मर गए, दंगे खत्म हो गए। 1991 में राजीव गांधी भी इस दुनिया से चले गए। लेकिन 1990 मैं उसे महिला की एफआईआर दर्ज की गई जिसमें सज्जन कुमार का नाम आया। बनर्जी कमेटी की सिफारिश के बाद ही नाम दर्ज हो पाया था। 

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सीबीआई की टीम बनी बंधक

कहा जाता है कि सीबीआई की टीम ने जब चार्जशीट दायर की उसके बाद सज्जन कुमार के घर से तलाशी लेने के लिए वारंट जारी हुआ। टीम वहां पहुंची। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वहां से उस वक्त 6 तलवारे और कुछ फाइलें मिली थी। वह वहां से लेकर टीम निकल ही रही थी कि सज्जन कुमार के समर्थकों ने गाड़ी को घेर लिया। टीम को एक तरह से बंधक बना लिया गया। गाड़ियां तोड़ दी गई, गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। सीबीआई की टीम को निकलने नहीं दिया गया। उसके बाद दिल्ली की निचली अदालत से सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत का ऑर्डर पहले दिलवाया गया कि आपकी गिरफ्तारी नहीं होगी। फिर सीबीआई की टीम को छोड़ा गया। ये उस दौड़ के हालात थे जब जांच एजेंसियां इन नेताओं पर हाथ डालने से भी डरती थी।

दो दो मुख्यमंत्रियों की राजनीति को दिया झटका

1977 के दौर में कहा जाता है कि सज्जन कुमार चाय की दुकान लगाया करते थे। उस वक़्त वो कांग्रेस के छोटे मोटे कार्यकर्ता हुआ करते थे। तभी संजय गांधी की नजर उन पर पड़ी। दरअसल, दिल्ली के इंडिया गेट के पास संजय गांधी की गाड़ी खराब हो गई थी। तब सज्जन कुमार वहां पर ही मौजूद थे। बताया जाता है कि उन्होंने संजय गांधी की गाड़ी को धक्का मार कर उनके घर तक ले गए थे। संजय उस वक़्त ऐसे युवाओं को ढूंढ रहे थे जो उनके एक इशारे पर जो भी आर्डर वो दें उसके बारे में सोचे नहीं बस कर दे। 1977 में पहली बार पार्षद बने। 1980 के चुनाव ने उन्हें जाइन्ट किलर बना दिया। दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश इनके खिलाफ चुनाव लड़ते हैं। किसी ने सोचा भी नहीं था कि 35 साल का ये लड़का 2 लाख से ज्यादा वोटों से ब्रह्मप्रकाश को हरा देगा। फिर 184-85 का साल आता है सिख विरोधी दंगों के कुछ छींटे उनपर भी पड़ते हैं। लेकिन 1991 के चुनाव में वो साहब सिंह वर्मा को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराते हैं। 1996 में बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे को आगव करते हुए यहां गेम किया। नतीजा सज्जन कुमार को हार मिलती है। फिर लगातार उनके करियर में थोड़ा ब्रेक लगता है। कट टू साल 2004 एक बार फिर साहब सिंह वर्मा को पराजित कर उनकी राजनीति को बड़ा झटका सज्जन कुमार की तरफ से दिया जाता है। 

दंगों से जुड़े इस केस में कब और क्या हुआ

1 नवंबर, 1984: दंगाईयों की भीड़ ने शिकायतकर्ता के पति 

जसवंत सिंह और बेटे तरुणदीप सिंह को जिंदा जला दिया। 

9 सितंबर, 1985: जस्टिस रंगनाथन मिश्रा कमिशन के सामने शिकायतकर्ता ने हलफनामा देते हुए अपने पति और बेटे की हत्या की शिकायत की।

6 सितंबर, 1991: शिकायतकर्ता ने जस्टिन जेडी जैन और डीके अग्रवाल की कमिटी के सामने अपना बयान दर्ज कराया। मामले में एफआईआर दर्ज की गई।  

8 जुलाई, 1994: दिल्ली की अदालत को अभियोजन शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले। कुमार के खिलाफ मामले दाखिल नहीं किए गए। 

12 फरवरी, 2015: सरकाए ने एसआईटी का गठन किया।

21 नवंबर, 2016: एसआईटी ने अदालत को सूचित किया कि मामले में आगे की जांच की जरूरत है। 

6 अप्रैल, 2021: सज्जन कुमार को गिरफ्तार किया गया।

5 मई, 2021: एसआईटी ने दिल्ली की रॉउज एवेन्यू कोर्ट में सज्जन कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। 

26 जुलाई, 2021: मजिस्ट्रेट अदालत ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया। 

30 जुलाई, 2021: हत्या का आरोप होने के चलते केस सेशन कोर्ट को सौंप दिया गया।

25 फरवरी, 2021: अदालत ने विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 के तहत पीडित परिवार के जीवित तीन सदस्यों की पहचान छुपाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया।

12 फरवरी, 2025: जजमेंट आया।

18 फरवरी, 2025: राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन फरवरी, कुमार को दोषी करार दिया। कोर्ट 8 फरवरी 2025 को सजा सुनाएगी।

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