By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 26, 2020
संसद के मानसून सत्र के दौरान मोदी सरकार ने श्रम सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ऐतिहासिक श्रम सुधार विधेयकों को पारित करा लिया। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में आश्वासन दिया था कि श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है। प्रभासाक्षी के खास साप्ताहिक कार्यक्रम 'चाय पर समीक्षा' में देखिये श्रम सुधार विधेयकों की बिन्दुवार समीक्षा। विधेयकों के विश्लेषण ये यह बात सामने आई कि ये विधेयक कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे।
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि श्रमिक के हित तब ज्यादा सुरक्षित रहेंगे जब उद्योग होंगे और देश तथा राज्य में उद्योग बड़ी संख्या में लगें इसके लिए सरकारों को उद्यमियों, निवेशकों तथा उद्योगपतियों को अनेक सुविधाएं प्रदान करनी होंगी। ज्यादा से ज्यादा निवेश आए, इसके लिए आकर्षक नीतियां बनानी होंगी और निवेशकों तथा उद्यमियों की सुविधा के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना होगा। इसके अलावा उद्यम स्थापना की कार्यवाही को सुगम, पारदर्शी तथा समयबद्ध ढंग से सम्पन्न करने के लिए व्यापक स्तर पर तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा।
संसद ने इस सप्ताह जिन तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दी उनके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं-
-कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को हटाने की अनुमति होगी। इसका कुछ लोग विपरीत अर्थ लगा रहे हैं जबकि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं।
-श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है।
-16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है।
-ये विधेयक कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे।
-सरकार ने 29 से अधिक श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पारित हो चुकी है। पहले श्रम कानूनों की अलग अलग परिभाषा, अलग प्राधिकार आदि होते थे लेकिन अब सबको समाहित किया जाएगा जिससे अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
-कुल श्रमिकों में महिलाएं की भी खासी संख्या है अब उन्हें भी समान अधिकार, समान अवसर, समान पारिश्रमिक मिलेगा जिससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
-इन विधेयकों के प्रावधानों के तहत श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी, समय से मजदूरी की गारंटी होगी। इन विधेयकों के तहत श्रमिकों को वेतन, सामाजिक व स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सकेगी।
-इनमें किसी प्रतिष्ठान में आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा को विनियमित करने, औद्योगिक विवादों की जांच एवं निर्धारण तथा कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधान किये गए हैं।
-सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर काफी संवेदनशील है। अब प्रवासी मजदूरों का डेटा बैंक तैयार करने का प्रावधान किया जा रहा है। यह व्यवस्था की जा रही है कि प्रवासी मजदूरों को उनके मूल निवास स्थान पर जाने के लिये नियोक्ता द्वारा साल में एक बार यात्रा भत्ता दिया जाए।
-वर्तमान कानून में दुर्घटना होने की स्थिति में जुर्माने की राशि पूरी तरह से सरकार के खाते में जाती थी लेकिन नए कानून में जुर्माने की राशि का 50 प्रतिशत पीड़ित को देने की बात कही गई है।
-कई ऐसे कानून थे जो 50 साल पुराने हो गए थे और उनमें बदलाव जरूरी था। नए संशोधनों से श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
-44 कानूनों के संबंध में चार श्रम संहिता बनाने की प्रक्रिया में बहुत व्यापक स्तर पर चर्चा की गई। इसके तहत नौ त्रिपक्षीय वार्ताएं हुई, 10 बार क्षेत्रीय विचार-विमर्श हुए, 10 बार अंतर-मंत्रालयी परामर्श हुआ, चार बार उपसमिति स्तर की चर्चा हुईं।
-पहली बार व्यवस्था लाई गई कि नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों की स्वास्थ्य जांच कराई जाएगी।
-ट्रेड यूनियन, हड़ताल आदि को लेकर कुछ प्रावधानों को कमजोर किया गया है।
-श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम संशोधन से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और ईपेपर में काम करने वाले लोगों के हितों की भी रक्षा हो सकेगी।
-विधेयकों में संशोधनों के बाद श्रमिकों में सुरक्षा का भाव बढ़ेगा जिससे उद्योग क्षेत्र में काफी सुधार होगा।