कर्ज मुक्ति हेतु विशेष लाभकारी है कृष्ण त्रयोदशी व्रत

By प्रज्ञा पाण्डेय | Feb 09, 2021

हिन्दू धर्म में कृष्ण त्रयोदशी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत से भक्त को भगवान शिव के साथ ही हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त होती है तो आइए हम आपको कृष्ण त्रयोदशी व्रत का महत्व तथा व्रत की विधि के बारे में बताते हैं। 

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जानें कृष्ण त्रयोदशी के बारे में

हिंदी पंचांग में हर महीने के दोनों पक्षों, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को त्रयोदशी व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। कृष्ण त्रयोदशी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु बहुत शुभ माना जाता है। त्रयोदशी जिस दिन पड़ती है उसी के अनुसार नाम होता है। इस बार यह व्रत मंगलवार को पड़ने के कारण बहुत शुभ होगा। इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है तथा आर्थिक सम्पन्नता बनी रहती है। 


कृष्ण त्रयोदशी के दिन करें विशेष पूजा 

कृष्ण त्रयोदशी दिन बहुत खास होता है इसलिए पंडितों का मानना है कि इस दिन खास पूजा करें। व्रत के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठें और नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करें। साथ ही त्रयोदशी व्रत की पूजा त्रयोदशी काल यानि संध्या के समय करने का उचित माना गया है। यह पूजा सूर्यास्त होने के एक घंटे पहले शुरू करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त में स्वच्छ होकर पूजा के लिए ईशान कोण में एक साफ जगह चुनें और उसे गंगाजल से शुद्ध कर लें। अब कुश का आसन बिछाकर स्वयं भी उत्तर-पूर्व की दिशा की ओर मुख करके भगवान शिव की पूजा शुरू करें। सबसे पहले "ऊँ नम: शिवाय" का जाप करते हुए शिव जी का जलाभिषेक करें। शिव जी को उनकी प्रिय चीजें बिल्वपत्र, धतूरा पुष्प आदि अर्पित करें। उसके बाद शिव की पूजा करने के बाद आरती करें तथा परिजनों में प्रसाद बांटें।

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कर्ज से मुक्ति हेतु करें कृष्ण त्रयोदशी का व्रत 

यदि आप कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इसके लिए कृष्ण त्रयोदशी व्रत के दिन शाम को हनुमान चालीसा का पाठ करें। कर्ज मुक्ति के लिए यह बहुत लाभदायी सिद्ध होता है। हनुमान जी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं और प्रसाद बांटें। कर्ज मुक्ति के लिए भौम त्रयोदशी को रात्रि के समय हनुमान जी के समक्ष घी का नौ बातियों वाला दीपक जलाकर उनसे कर्ज मुक्ति की प्रार्थना करें। ऐसा करने आपके लिए लाभदायी होगा। 


त्रयोदशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा 

हमारे हिन्दू धर्म में त्रयोदशी व्रत से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। इस कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रहती थी। वह रोज अपने बेटे के साथ भीख मांगने जाती थी। एक दिन उसे रास्ते में विदर्भ का राजकुमार मिला जो घायल अवस्था में था। उस राजकुमार के पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर उसका राज्य हड़प लिया और उसे बीमार बना दिया था। ब्राह्मणी उसे घर ले आई और उसकी सेवा करने लगी। सेवा से वह राजकुमार ठीक हो गया और उसकी शादी एक गंधर्व पुत्री से हो गयी। गंधर्व की सहायता से राजकुमार को अपना राज्य मिल गया। इसके बाद राजकुमार ने ब्राह्मण के बेटे को अपना मंत्री बना लिया। इस तरह त्रयोदशी व्रत के फल से न केवल ब्राह्मणी के दिन सुधर गए बल्कि राजकुमार को भी उसका खोया राज्य वापस मिल गया।   


त्रयोदशी का महत्व 

हिन्दू धर्म में त्रयोदशी का विशेष महत्व होता है। त्रयोदशी का व्रत विभिन्न दिनों के अनुसार होता है। इसलिए सोमवार को आने वाले त्रयोदशी व्रत को सोम त्रयोदशीम कहा जाता है। मंगलवार को आने वाले त्रयोदशी व्रत को भौम त्रयोदशीम तथा शनिवार को आने वाले त्रयोदशी व्रत को शनि त्रयोदशीम कहा जाता है। यही नहीं रविवार के दिन व्रत रखने से अच्छी सेहत एवं उम्र लम्बी होती है। सोमवार के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाऐं पूर्ण होती है। मंगलवार के दिन व्रत रखने से भक्त को विभिन्न बीमारियों से राहत मिलती है। साथ ही बुधवार के दिन त्रयोदशी व्रत रखने से भक्त की सभी मनोकामनाऐं और इच्छाएं पूर्ण होती है। इसके अलावा वृहस्पतिवार को व्रत रखने से दुश्मनों का नाश होता है। शुक्रवार के दिन त्रयोदशी का  व्रत रखने से वैवाहिक जीवन मधुर होता है तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है। शनिवार को व्रत रखने से संतान सुख प्राप्त होता है।


- प्रज्ञा पाण्डेय

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