By अनन्या मिश्रा | Oct 27, 2024
आज ही के दिन यानी की 27 अक्तूबर को देश के पूर्व राष्ट्रपति रहे केआर नारायणन का जन्म हुआ था। वह भारतीय राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर विभिन्न कार्यों का लेखन भी करते थे। इसके अलावा वह अपनी बौद्धिक कार्यों और फैसलों के लिए भी जाने जाते थे। के आर नारायणन एक गहन विचारक होने के साथ-साथ सर्वज्ञानी वक्ता भी थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर के आर नारायणन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
केरल के कोट्टायम जिले के उझावूर गांव में 27 अक्तूबर 1920 को के आर नारायणन का जन्म हुआ था। वह पारवन जाति से ताल्लुक रखते थे। जिसको उस समय अछूत माना जाता था। इसी गांव से नारायणन की सर्वोच्च पद तक की उल्लेखनीय यात्रा शुरू हुई थी। बताया जाता है कि उनका जन्म 04 फरवरी 1921 को हुआ था, लेकिन उनकी वास्तविक बर्थ डेट मालूम न होने की वजह से स्कूल में 27 अक्तूबर 1920 जन्मतिथि लिखवाई गई थी। जिसको बाद में नारायणन ने भी आधिकारिक ही रहने दिया।
घर से करीब 8 किमी दूर एक मिशनरी स्कूल में नारायणन से शिक्षा ली। वह एक प्रतिभाशाली छात्र थे। जिस कारण त्रावणकोर के शाही परिवार ने कॉलेज जाने के लिए उन्हें छात्रवृत्ति दी। वहीं कोट्टायम के सीएमएस कॉलेज से नारायणन ने 12वीं की पढ़ाई पूरी की। फिर उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद उनका लंदन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में स्कॉलरशिप-समर्थित पढ़ाई करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की और राजनीति विज्ञान में विशेषता हासिल की।
विदेश सेवा की शुरूआत
साल 1948 में भारत लौटने के बाद उनकी मुलाकात पं. नेहरू से हुई। इस दौरान नेहरू ने उनको भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने के लिए कहा। साल 1949 में वह भारतीय विदेश सेवा में शामिल हो गए। जिसके चलते उन्होंने टोक्यो, रंगून, लंदन, कैनबरा और हनोई में दूतावास के रूप से सेवा की। नारायणन की कार्य कुशलता को देखते हुए उनको तुर्की और चीन में भारत के राजदूत के तौर पर नियुक्त किया गया।
राजनीतिक कॅरियर
साल 1980 से लेकर 1984 तक अमेरिका के राजदूत के तौर पर उनका सफर शानदार रहा। फिर साल 1955 में पं. नेहरू द्वारा के आर नारायणन को देश के सर्वश्रेष्ठ राजनायिक के तौर पर नामित किया गया। वहीं उन्होंने विदेश मंत्रालय में सचिव के रूप में भी काम किया और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में बतौर प्रोफेसर छात्रों को पढ़ाया। फिर साल 1978 में रिटायरमेंट के बाद वह जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कुलपति बनें।
साल 1984 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पहली बार चुनाव में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने केरल के ओट्टपालम सीट से जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस के टिकट पर नारायणन ने लगातार तीन बार आम चुनाव में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। वह राजीव गांधी सरकार में राज्यमंत्री रहे। पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकार में उन्होंने विभिन्न मंत्री पद संभाले।
पहले दलित राष्ट्रपति
बता दें कि साल 1992 में के आर नारायणन को भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। फिर साल 1997 में उनको देश के 10वें राष्ट्रपति के तौर पर चुना गया। राष्ट्रपति पद को ग्रहण करने वाले वह केरल के पहले व्यक्ति और पहले दलित हैं।