By अनन्या मिश्रा | Nov 06, 2024
महाराष्ट्र की सियासत में चाणक्य के तौर पर पहचाने जाने वाले शरद पवार का साल 1970 के बाद राजनीति में कद बढ़ता गया। वह पहले कांग्रेस में शामिल थे और साल 1975 में उनको महाराष्ट्र कैबिनेट का पद मिला। लेकिन जब कांग्रेस टूटी, तो शरद पवार इंदिरा गांधी के खिलाफ हो गए। साल 1978 में शरद पवार ने महज 37 साल की उम्र में गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री बने। हालांकि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। लेकिन साल 1986 तक शरद पवार सियासत के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार हो गए।
NCP का गठन
साल 1999 तक कांग्रेस से शरद पवार जुड़े रहे, लेकिन उनके और पार्टी के बीच तनाव पैदा होना शुरू हो गया था। जब आतंकी हमले में राजीव गांधी की निधन हो गया, तब शरद पवार ने खुले तौर पर अपनी प्रधानमंत्री पद की आकांक्षाओं को जाहिर कर दिया। लेकिन जब शरद पवार की जगह पीएम पद पद अन्य नेता को मिला, तो शरद पवार ने सोनिया गांधी से बगावत कर 10 जून 1999 में एनसीपी का गठन कर दिया।
इस बगावत में शरद पवार के साथ तारिक अहमद और पीए संगमा भी शामिल थे। उसी साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए और यह एनसीपी का पहला चुनाव था। एनसीपी ने राज्य की 288 सीटों में से 223 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए, जिसमें से 58 सीटों पर NCP ने कब्जा किया।
हालांकि अब NCP में भी फूट पड़ गई है, शरद पवार के भतीजे अजित पवार द्वारा बगावत किए जाने के बाद शरद पवार ने नई पार्टी बना ली। अब शरद पवार की पार्टी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद पवार) के तौर पर जाना जाता है।