मोदी सरकार- 2 के 100 दिन का रिपोर्ट कॉर्ड पेश, जानिए किन 5 विवादों ने सरकार को घेरा

By अनुराग गुप्ता | Sep 07, 2019

लोकसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरी पारी के 100 दिन पूरे कर लिए हैं। ऐसे में आज हम बात करेंगे कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी के 100 दिन कैसे थे और इन दिनों में मोदी सरकार किन-किन विवादों से घिरी रही। खैर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत सरकारी दफ्तरों पर उठ रहे सवालों से की। अक्सर आप लोग सुनते होंगे कि सरकारी कर्मचारी कभी भी दफ्तर में समय पर नहीं पहुंचते हैं और फाइलों को समय पर पूरा नहीं करते, जिसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में गृह मंत्री बने अमित शाह समय से पहले ही मंत्रालय पहुंच जाया करते थे और देर शाम तक सरकारी कामकाज में जुटे रहते हैं जिसकी वजह से नेताओं और मंत्रियों को यह संदेश गया कि समय पर दफ्तर पहुंचना है।

शुरुआत शानदार रही लेकिन जैसे-जैसे सरकार आगे की तरफ बढ़ी, वैसे ही विपक्षियों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। अब हम बात करेंगे सरकार द्वारा पूरे किए गए शुरुआती 100 दिनों की, आखिर पांच विवाद कौन से थे जिसको लेकर सरकार विवादों मे रही। 

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पहला विवाद: मॉब लिंचिंग और हिन्दुत्व

सोशल मीडिया का मायाजाल अब चारों तरफ फैल गया है और इस दौर में रोजाना एकाध वीडियो या तस्वीर ऐसी देखनो को मिल जाती है जो हिंसक हो... कभी बच्चा चोरी के शक में किसी महिला को पीट दिया जाता है तो कभी मोबाइल चोरी के शक में किसी व्यक्ति को। ठीक ऐसा ही किस्सा झारखंड में देखने को मिला था जब बाइक चोरी के शक में तबरेज अंसारी नामक युवक को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। इतना ही नहीं भीड़ ने पहले अंसारी से 'जय श्री राम' का नारा लगाने को कहा था। 

हालांकि मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने चुप्पी तोड़ी थी। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें पीड़ा पहुंची है तथा दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। लेकिन क्या प्रधानमंत्री के यह कह देने मात्र से लिंचिंग की घटनाएं रुकीं... जवाब आपके सामने है।

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मोदी सरकार के 50 दिन पूरे होने पर फिल्म जगत से जुड़ी 49 हस्तियों ने असहिष्णुता के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था। इस पत्र में लिखा गया था कि आम लोगों को भड़काने के लिए जय श्री राम के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन हस्तियों ने पीएम मोदी से एक ऐसा माहौल बनाने की मांग की है, जहां असंतोष को कुचला नहीं जाए और देश एक मजबूत राष्ट्र बने। 

इन 49 हस्तियों में गैंग्स ऑफ वासेपुर के निर्देशक अनुराग कश्यप भी शुमार थे। हालही में उन्होंने अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया और आप वजह जानना चाहेंगे। तो सुनिए क्योंकि अनुराग कश्यप के माता-पिता और बेटी को धमकियां मिल रही थीं। कश्यप ने जब अपना ट्विटर डिलीट किया था तो उन्होंने उससे पहले लिखा कि यदि वह इस मंच पर अपने मन की बात कहने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, तो वह इसे छोड़ देंगे। उन्होंने आगे कहा कि जब आपके माता-पिता को फोन आने शुरू हो जाएं और आपकी बेटी को ऑनलाइन धमकियां मिलने लगें तो फिर कोई भी बात नहीं करना चाहेगा। कोई वजह या कोई भी तर्क नहीं बचेगा। आवाज दबाने वाले शासन करेंगे और आवाज दबाना जीने का नया तरीका होगा। सबको यह नया भारत मुबारक हो और उम्मीद है कि आप सभी इसमें आगे बढ़ेंगे।

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कार्यकाल-2 को 100 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। आप किसी भी दिन का समाचार पत्र उठाकर देख लो आपको औसतन 1-2 दिन में एक घटना तो मॉब लिंचिंग से जुड़ी हुई जरूर मिलेगी। इसलिए प्रभासाक्षी आपसे अपील करता है कि जो अफवाह और फेक खबरें व्हाट्सऐप विश्वविद्यालय और फेसबुक विश्वविद्यालय के जरिए फैलाई जा रही हैं उन्हें अनदेखा करें और उन्हें आगे न बढ़ाएं ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

दूसरा विवाद: भाजपा नेताओं की गुड़ागर्दी

भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने सरेआम इंदौर नगर निगम के अधिकारी को बल्ले से पीटा था वो भी इसलिए क्योंकि वह अधिकारी एक जर्जर मकान को ढहाने पहुंचा था। मीडिया रिपोर्ट्स में इसका भी खुलासा किया गया था कि इस मकान को ढहाए जाने के आदेश शिवराज सरकार के समय में दिया गया था। आकाश द्वारा बल्लेबाजी किए जाने के दो दिन बाद ही सतना जिले के रामनगर में भाजपा नेता रामसुशील पटेल ने पंचायत के मुख्य सीएमओ पर हमला कर दिया और सिर फोड़ दिया। जब भाजपा नेताओं की गुड़ागर्दी का मामला विपक्ष ने जोर शोर से उठाया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले पर बोलना पड़ा। बिना नाम लिए प्रधानमंत्री ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बेटा चाहे सांसद का हो या मंत्री का हो इस तरह की हरकत बर्दाश्त करने लायक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी घटना जिसमें घमण्ड दिखे, अहंकार दिखे उसे भाजपा में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता।

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तीसरा विवाद: कश्मीर पर मध्यस्थता करना चाहते थे ट्रंप

हर मुल्क इस बात को जानता और स्वीकारता भी रहा है कि कश्मीर मुद्दा भारत का आंतरिक मुद्दा है। ऐसे में कोई भी देश कश्मीर मामले में हस्तक्षेप के बारे में विचार भी नहीं करता। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी और कहा था कि यदि दोनों देश कहेंगे तो वह मदद के लिए तैयार हैं। यह वाक्या उस वक्त का है जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने व्हाइट हाउस में पहली बार ट्रंप से मुलाकात की थी। भारत ने ट्रंप की इस बात को खारिज कर दिया था इसके बावजूद  ट्रम्प ने कहा था कि यह वास्तव में पीएम मोदी पर निर्भर करता है। ट्रंप की इस टिप्पणी के बाद भारत में विवाद खड़ा हुआ और विपक्षी नेता लगातार प्रधानमंत्री को घेरने में जुट गए। लोकसभा में तो विपक्षी नेताओं ने इस मामले में प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण भी मांगा था।

चौथा मुद्दा: मानवाधिकारों का उल्लंघन

जम्मू कश्मीर से धारा 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद सरकार पर विपक्षी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता आरोप लगा रहे हैं कि वह असहमति के स्वर को दबाने के लिए बल का इस्तेमाल कर रही है। साथ ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व मानवता दिवस ने दिन ट्वीट कर लिखा था कि कश्मीर में मानवाधिकारों का ‘पूरी तरह’ उल्लंघन हुआ है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकारों और शांति के लिए प्रार्थना करें। 

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वहीं  राजनीतिक कार्यकर्ता शहला राशिद ने 18 अगस्त को दावा किया था कि भारतीय सेना जम्मू कश्मीर में अंधाधुंध लोगों को पकड़ रही है, मकानों पर छापे मार रही है और लोगों को प्रताड़ित कर रही है। यह मामला जब बढ़ गया तो भारतीय सेना ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। जिसके बाद शहला राशिद ने कहा कि मैं सबूत तब दूंगी जब भारतीय सेना जांच आयोग का गठन करेगी। मैंने आपको अपना बयान दे दिया है। क्या सेना ने कोई जांच शुरू की है ?

घाटी की हालिया परिस्थितियों को लेकर संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायोग के प्रवक्ता रुपर्ट कॉवेल ने चिंता व्यक्त की थी साथ ही उन्होंने घाटी में टेलीफ़ोन सेवाओं को बंद करने, नेताओं को हिरासत में लेने और राजनीतिक रूप से इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाने पर भी सवाल खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि इससे मानवाधिकार की स्थिति और बिगड़ेगी। 

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हालांकि इस मामले में सरकार ने सभी की दलीलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि मौजूदा परिस्थिती सामान्य है और अब वहां के हालात सुधरने लगे हैं। मोबाइल सेवा भी बहाल की जा रही है, स्कूल-कॉलेज खुलने लगे हैं और कुछ इलाकों की समीक्षा की जा रही है जिसके बाद वहां भी सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी।

पांचवां मुद्दा: आर्थिक मंदी

बिक्री में गिरावट के कारण ऑटो क्षेत्रों में छंटनी की खबरें सामने आईं, जिसके बाद लगातार विपक्षियों ने सरकार पर आरोप लगाए कि वह इस मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ देश में बढ़ती आर्थिक मंदी की खबरों के बीच अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लगातार चौथी बार रेपो रेट घटा दिया है। इसे 0.35 फीसदी घटाकर 5.40 प्रतिशत पर ला दिया गया। हालांकि गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में इसे और भी घटाया जा सकता है। रिजर्व बैंक का मानना है कि कुछ सेक्टरों में स्लोडाउन का साया गहराता जा रहा है। जिसको देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ का अनुमान 7 से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। इतना ही नहीं ऑटो सेक्टर में आ रही गिरावट की वजह से जीडीपी की वैश्विक रैंकिंग में भारतीय अर्थव्यवस्था पांचवें पायदान से फिसलकर सातवें स्थान पर आ गई है। जिसकी वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से अपना पैसा निकलने में लगे हुए हैं।

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हालात ऐसे बन गए थे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों को यह बताना पड़ा कि सरकार इससे निपटने के लिए प्रयास कर रही है। परेशान मत होईए सरकार ने मौजूदा स्थिति को समझकर इससे निकलने के लिए योजना भी तैयार कर ली है। सरकार ने कहा है कि आने वाले दिनों में बैंक आवास, वाहन और दूसरे कर्ज को सस्ता करेंगे। रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की गई कटौती का लाभ बैंक कर्ज लेने वालों को उपलब्ध कराएंगे। इसके लिये बैंक अपनी ब्याज दर में कमी लायेंगे।

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