कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में लाखों लोगों को अपनी जद में लिया है। यूं तो पहली लहर में सिरदर्द से लेकर खांसी−जुकाम जैसे लक्षण कोरोना मरीज में देखे गए थे, लेकिन दूसरी लहर के दौरान मरीजों को जिस समस्या का सामना सबसे अधिक करना पड़ रहा है, वह है सांस लेने में परेशानी। इस लहर में देखा जा रहा है कि अधिकतर कोविड पॉजिटिव पेशेंट के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और ऐसे में उन्हें अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। तो चलिए आज इस लेख में हम इसी समस्या के बारे में विस्तारपूर्वक बात कर रहे हैं−
कब पड़ती है ऑक्सीजन की जरूरत
एक्सपर्ट्स के अनुसार किसी भी व्यक्ति के लिए सामान्य ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 94−99 प्रतिशत के बीच होता है। लेकिन जब व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो उनका श्वसन पथ भी संक्रमित हो जाता है। खासतौर से, जब वायरस सूजन का कारण बनता है, तो यह सांस लेने में रुकावट का कारण बनता है। ऐसे में व्यक्ति में सांस लेने और ऑक्सीजन की आपूर्ति सही तरह से नहीं हो पाती है, जिसके चलते सैचुरेशन लेवल में गिरावट आती है। जब SPo2 का स्तर 93 प्रतिशत से नीचे चला जाता है, तो यह एक संकेत है कि किसी को ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता है। ऐसे में उन रोगियों को मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो श्वसन के दौरान पर्यावरणीय ऑक्सीजन का उपयोग करने में विफल रहते हैं।
कोरोनावायरस सांस की तकलीफ का कारण कैसे बनता है?
एक्सपर्ट कहते हैं कि कोविड−19 रोगी के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और इससे सांस लेने में तकलीफ होती है। फेफड़े शरीर को हवा से ऑक्सीजन को अवशोषित करने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने में सक्षम बनाते हैं। जब कोई व्यक्ति साँस लेता है, तो फेफड़ों में छोटी वायु थैली − एल्वियोली − इस ऑक्सीजन को पकड़ने के लिए फैलती है, जिसे बाद में रक्त वाहिकाओं में स्थानांतरित किया जाता है और शरीर के बाकी हिस्सों में ले जाया जाता है। संक्रमण से लड़ने के लिए, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उन कोशिकाओं को छोड़ती है जो सूजन को टि्रगर करती हैं जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन का नियमित स्थानांतरण होता है। साथ ही तरल पदार्थ का निर्माण होता है। ये दोनों कारक संयुक्त रूप से सांस लेना मुश्किल बनाते हैं।
एक कोविड−19 रोगी को कितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है?
ऑक्सीजन के लिए एक मरीज की आवश्यकता उसके ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल के साथ−साथ लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करती है। एक्सपर्टस के अनुसार, एक मरीज को 5 लीटर प्रति मिनट के ऑक्सीजन प्रवाह की आवश्यकता होती है। हालांकि, कुछ मरीज़ कम ऑक्सीजन (2−3 लीटर प्रति मिनट) का उपयोग भी कर सकते हैं।
मिताली जैन