By अभिनय आकाश | May 13, 2022
ज्ञानवापी मस्जिद में कमीशन की कार्रवाई में सहयोग के लिए कोर्ट से मिले आदेश के बाद 14 मई यानी शनिवार से सर्वे का काम शुरू हो जाएगा। सर्वे कमिश्नर, वादी पक्ष, मुस्लिम पक्ष, प्रशासन के अधिकारी, डीएम, पुलिस कमिश्नर, सीआरपीएफ कमांडेंट मौजूद रहे। करीब डेढ़ घंटे तक लंबी बातचीत चली है। यही समझाया गया है कि शांति व्यवस्था बनाए रखे और शांति के साथ ही जो सर्वे है उसे करने दिया जाए। याद हो कि पहले जब सर्वे की टीम आई थी तो जमकर नारेबाजी हुई थी। हालांकि उस नारेबाजी को वक्त रहते शांत करा लिया गया था। लेकिन कुछ देर के लिए माहौल जरूर गरमा गया था। बैरिकेडिंग के अंदर सर्वे टीम नहीं घुस पाई थी। कोर्ट कमिश्नर पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से पक्षपात करने के आरोप लगाए गए थे। कहा गया था कि एक पक्ष के हिसाब से सर्वे किया जा रहा है। हालांकि इन तमाम आरोपों को कोर्ट की तरफ से खारिज कर दिया गया है। कोर्ट कमिश्नर तो नहीं बदले हैं। लेकिन दो और वकील उनके साथ नियुक्त कर दिए गए हैं।
1.) सुबह आठ बजे से होगा सर्वे
सर्वे कल सुबह आठ बजे से शुरू होगा। वादी पक्ष की 5 महिलाएं भी सर्वे के दौरान मौजूद रहेंगी। सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे होगा। ये 17 मई तक जारी रहेगा। कोर्ट ने साफ कहा है कि 17 मई तक सर्वे की रिपोर्ट पेश करनी होगी। ऐसे में कोर्ट कमिश्नर के पास चार दिन का वक्त है। कोर्ट कमिश्नर फोटो लेने और वीडियोग्राफी करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
2.) कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश की ये बड़ी बात रही कि साफ कर दिया गया है कि इस बार किसी भी प्रकार का खलल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 17 मई तक के तय वक्त में सर्वे निपटाना होगा। फिर रिपोर्ट कमीशन को कोर्ट में सौंपनी होगी। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा और यथास्थिति को बरकरार रखने की मांग की गई। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि कोर्ट ने इस अर्जी को स्वीकार तो किया है। लेकिन इसकी लिस्टिंग बाद में होगी। इसके साथ ही कोई भी अंतरिम रोक लगाने या आदेश देने से इनकार भी कर दिया गया है।
3.) कहां है ज्ञानवापी मस्जिद?
ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य द्वार से होकर ही मस्जिद में जाया जाता है। इसके आसपास व्यापारिक केंद्र है।
4.) क्या पहले भी हुआ था सर्वे?
1996 में 18 मई को अदालत ने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर सर्व करने को कहा था। तय तिथि को दोनों पक्षों को नोटिस देकर बुलाया गया। वादी पक्ष से पांच और दूसरे पक्ष से 500 लोग पहुंचे। तनातनी की स्थिति पैदा हुई तो कोर्ट कमिश्नर ने कार्यवाही खारिज कर दी थी।
5.) क्या अयोध्या जैसी स्थिति ?
ऐसी ही शुरुआत 1950 अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में हुई थी। फैजाबाद नवापी के सिविल जज ने विवादित स्थल का नक्शा तैयार करने के लिए कोर्ट कमिश्नर शामिल हैं, इन्हें नियुक्त किया था। रिपोर्ट पर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चर्चा हुई।