लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस अमृत काल (2022-2047) की बातें छेड़ी है, वह अनायास नहीं है बल्कि विजन 2047 के तत्वदर्शी और तथ्यान्वेषी निष्कर्षों का नतीजा है। वह चाहते हैं कि हमें उतना सामर्थ्यवान बनना होगा, जितना हम पहले कभी नहीं थे।
इसलिए वेग सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के बाद अब सबका प्रयास पर जोर दे रहे हैं, ताकि हममें सामूहिकता की भावना जगे और खंडित सोच से मिटे। वास्तव में, पीएम के नजरिये से अमृत काल का लक्ष्य है एक ऐसे भारत का निर्माण, जहां दुनिया का हर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर हो, ताकि विकास पथ पर हमलोग निरंतर फर्राटे भरते रहें। इसलिए अब हम सबका कर्तव्य है कि उनके सपनों के नए भारत के पुनर्निर्माण में जुट जाएं। अब और विलम्ब न करें।
वस्तुतः, 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'इंडिया एट 75' यानी आजादी के 75 वर्ष की बात की, तो दो टूक शब्दों में कहा कि आगामी 25 वर्ष अमृत काल है। इस अमृत काल खण्ड में हमारे संकल्पों की सिद्धि, हमें आजादी के सौ वर्ष तक ले जाएगी। लेकिन हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये इतना लम्बा इंतजार भी नहीं करना है, बल्कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और अब सबका प्रयास हासिल करना है। क्योंकि हमारे लिए अब हर लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये दत्त-चित्त होकर प्रयास करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि पहले की तुलना में हम बहुत तेजी से बहुत आगे बढ़े हैं। लेकिन हमें सैचुरेशन तक जाना है, पूर्णता तक जाना है। शत-प्रतिशत गांवों में सड़के हों, शत-प्रतिशत परिवारों के बैंक अकाउंट हो, शत-प्रतिशत लाभार्थियों को आयुष्मान भारत का कार्ड हो, शत-प्रतिशत पात्र व्यक्तियों को उज्ज्वला योजना और गैस कनेक्शन हों।
इसलिए पीएम स्वनिधि योजना अंतर्गत पटरी और फुटपाथ पर बैठकर सामान बेचने वाले, ठेला चलाने वाले साथियों को भी स्वनिधि योजना के जरिए बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा जा रहा है।
# जल जीवन मिशन, कुपोषण दूर करने और आरक्षण से सुधर रहा जनजीवन
जल जीवन मिशन के तहत जहां सिर्फ दो वर्ष में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा परिवारों को नल से जल मिलना शुरू हो गया है। वहीं, कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए गरीब बच्चों में कुपोषण और जरूरी पौष्टिक पदार्थों की कमी को देखते हुए ये तय किया गया है कि सरकार अपनी अलग-अलग योजनाओं के तहत जो चावल गरीबों को देती है, उसे फोर्टीफी करेगी। यही नहीं, आरक्षण की नई व्यवस्था के तहत दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों व सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए भी आरक्षण सुनिश्चित किया जा रहा है। अभी हाल ही में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में, ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी वर्ग को आरक्षण की व्यवस्था भी की गई है। संसद में कानून बनाकर ओबीसी से जुड़ी सूची बनाने का अधिकार राज्यों को दे दिया गया है।
# उत्तर-पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी का लिखा जा रहा है नया इतिहास, एक्ट ईस्ट पालिसी प्रबल
उत्तर-पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी का नया इतिहास लिखा जा रहा है। ये कनेक्टिविटी दिलों की भी है और इंफ्रास्ट्रक्चर की भी है। बहुत जल्द ही नार्थ-ईस्ट के सभी राज्यों की राजधानियों को रेल सेवा से जोड़ने का काम पूरा होने वाला है। इससे एक कदम आगे बढ़कर एक्ट ईस्ट पालिसी के तहत आज नार्थ-ईस्ट, बांग्लादेश, म्यांमार और दक्षिण-पूर्वी एशिया से भी कनेक्ट हो रहा है। बीते वर्षों में जो प्रयास हुए हैं, उसकी वजह से अब नार्थ-ईस्ट में स्थायी शांति के लिए, श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए उत्साह अनेक गुना बढ़ा हुआ है।
# सभी के सामर्थ्य को उचित अवसर देना ही है लोकतंत्र की असली भावना
निर्विवाद रूप से सभी के सामर्थ्य को उचित अवसर देना ही लोकतंत्र की असली भावना है। जम्मू-कश्मीर में डिलिमिटेशन कमीशन का गठन हो चुका है और भविष्य में विधानसभा चुनावों के लिए भी तैयारियां चल रही हैं।
वहीं, लद्दाख भी विकास की अपनी असीम संभावनाओं की तरफ आगे बढ़ चला है। एक तरफ लद्दाख आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होते देख रहा है तो दूसरी तरफ सिंधु सेंट्रल यूनिवर्सिटी लद्दाख को उच्च शिक्षा का, हायर एडुकेशन केंद्र भी बनने का साक्षी है।
# डीप ओसियन मिशन, एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्टस और आर्थिक क्षेत्र में सहकारवाद पर दिया जा रहा बल
डीप ओसियन मिशन समंदर की असीम संभावनाओं को तलाशने की हमारी महत्वाकांक्षा का परिणाम है। जो खनिज संपदा समंदर में छिपी हुई है, जो थर्मल एनर्जी समंदर के पानी में है, वो देश के विकास को नई बुलंदी दे सकती है। वहीं, देश में 110 से अधिक आकांक्षी जिले, एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्टस में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सड़क, रोजगार से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इनमें से अनेक जिले हमारे आदिवासी अंचल में हैं। वहीं, अर्थ जगत में भारत सहकारवाद पर बल देता है। सहकारवाद देश के ग्रास रूट्स लेवल की इकोनॉमी के लिए एक अहम क्षेत्र है। को-ऑपरेटिव एक संस्कार है, को-ऑपरेटिव एक सामूहिक चलने की मन:प्रवृत्ति है। उनका सशक्तिकरण हो, इसके लिए सरकार ने अलग मंत्रालय बनाकर इस दिशा में कदम उठाए हैं।
# तेजी से परिवर्तित हो रहे हैं गांव, वोकल फॉर लोकल के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म तैयार करेगी सरकार, कृषि वैज्ञानिक कर रहे हैं सूझ-बूझ से काम
जहां तक ग्रामीण भारत की बात है तो आज हम अपने गांवों को तेजी से परिवर्तित होते देख रहे हैं। बीते कुछ वर्ष, गांवों तक सड़क और बिजली जैसी सुविधाओं को पहुंचाने रहे हैं। अब गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, डेटा की ताकत पहुंच रही है, इंटरनेट पहुंच रहा है। गांव में भी डिजिटल एंटरप्रेन्योर तैयार हो रहे हैं। वहीं, वोकल फॉर लोकल की सफलता के लिए सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफार्म तैयार करेगी। आज जब देश वोकल फॉर लोकल के मंत्र के साथ आगे बढ़ा रहा है तो यह डिजिटल प्लेटफॉर्म महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप के उत्पादों को देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में और विदेशों में भी लोगों से जोड़ेगा और उनका फलक बहुत विस्तृत होगा। वहीं, कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिकों की क्षमता को भी महत्व देना है, क्योंकि देश के हर क्षेत्र में हमारे देश के वैज्ञानिक बहुत सूझ-बूझ से काम कर रहे हैं। हमें अपने कृषि क्षेत्र में भी वैज्ञानिकों की क्षमताओं और उनके सुझावों को शामिल करना होगा। इससे देश को खाद्य सुरक्षा देने के साथ फल, सब्जियां और अनाज का उत्पादन बढ़ाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी और हम विश्व तक पहुंचने के लिए अपने आप को मजबूती से आगे बढ़ाएंगे।
# छोटा किसान बने देश की शान, किसान रेल से हुआ लाभान्वित, स्वामित्व योजना चढ़ रही परवान
जहां तक किसान की बात है तो छोटा किसान बने देश की शान, ये हमारा सपना है। आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा। उन्हें नई सुविधाएं देनी होंगी। देश के 80 प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। पहले जो देश में नीतियां बनीं, उनमें इन छोटे किसानों पर जितना ध्यान केंद्रित करना था, वो रह गया। अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं।
यही नहीं, किसान रेल आज देश के 70 से ज्यादा रेल रूटों पर चल रही है। जिससे छोटे किसान, किसान-रेल के जरिए अपने उत्पाद ट्रांसपोर्टेशन के कम खर्च पर, दूर-दराज के इलाकों में पहुंचा सकते हैं। वहीं, स्वामित्व योजना के तहत गांवों में जमीनों के कागज पर कई-कई पीढ़ियों से कोई काम नहीं हुआ है। खुद जमीन के मालिक होने के बावजूद जमीन पर उनको बैंकों से कोई कर्ज नहीं मिलता है। इस स्थिति को बदलने का काम आज स्वामित्व योजना कर रही है। गांव-गांव में हर एक घर की, हर जमीन की, ड्रोन के जरिए मैपिंग हो रही है। इससे ना सिर्फ गांवों में जमीन से जुड़े विवाद समाप्त हो रहे हैं बल्कि गांव के लोगों को बैंक से आसानी से लोन की व्यवस्था भी कायम हुई है।
# नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और वर्ल्ड क्लास मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दे रहा भारत, वेवजह के कानूनों की जकड़ से मिल रही मुक्ति
विकसित भारत बनाने के लिए हमें नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। वर्ल्ड क्लास मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी हमें मिलकर काम करना होगा। कटिंग एज इनोवेशन के लिए भी हमें मिलकर काम करना होगा। न्यू एज टेक्नॉलॉजी के लिए भी हमें मिलकर काम करना होगा। इनकी सफलता के लिए बेवजह के कानूनों की जकड़ से मुक्ति के लिए अनेक सेक्टरों में बहुत सारे रेगुलेशन्स को सरकार ने समाप्त कर दिया है। बेवजह के कानूनों की जकड़ से मुक्ति इज ऑफ लिविंग के साथ-साथ इज ऑफ डूइंग बिजनेस दोनों के लिए बहुत ही जरूरी है। हमारे देश के उद्योग और व्यापार आज इस बदलाव को महसूस कर रहे हैं।
# इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में होलिस्टिक अप्रोच अपनाने की है जरूरत
एक राष्ट्रीय संकल्प के तहत देश ने संकल्प लिया है कि आजादी के अमृत महोत्सव के 75 सप्ताह में 75 वंदेभारत ट्रेनें देश के हर कोने को आपस में जोड़ रही होंगी। आज जिस गति से देश में नए एयरपोर्ट्स का निर्माण हो रहा है, उड़ान योजना दूर-दराज के इलाकों को जोड़ रही है, वो भी अभूतपूर्व है। वहीं, प्रधानमंत्री गतिशक्ति से अभिप्रेरित नेशनल मास्टर प्लान द्वारा भारत को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में होलिस्टिक अप्रोच अपनाने की भी जरूरत है। भारत आने वाले कुछ ही समय में प्रधानमंत्री गतिशक्ति- नेशनल मास्टर प्लान को लॉन्च करने जा रहा है। वहीं, मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट के विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए भारत को अपनी मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट, दोनों को बढ़ाना होगा। आपने देखा है, अभी कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को समुद्र में ट्रायल के लिए उतारा है। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत आज अपना लड़ाकू विमान बना रहा है, सबमरीन बना रहा है, गगनयान भी बना रहा है।
# प्रोडक्ट और प्रतिष्ठा को अब दिया जा रहा है तरजीह
प्रोडक्ट और प्रतिष्ठा को अब तरजीह दिया जा रहा है। आपका हर एक प्रॉडक्ट भारत का ब्रैंड एंबेसेडर है। देश के सभी मैन्यूफैक्चर्स को भी ये समझना होगा कि आप जो प्रोडक्ट बाहर भेजते हैं वो आपकी कंपनी में बनाया हुआ सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं होता। उसके साथ भारत की पहचान जुड़ी होती है, प्रतिष्ठा जुड़ी होती है। हमने देखा है, कोरोना काल में ही हजारों नए स्टार्ट-अप्स बने हैं, सफलता से काम कर रहे हैं। कल के स्टार्ट-अप्स, आज के यूनिकॉर्न बन रहे हैं। इनकी मार्केट वैल्यू हजारों करोड़ रुपए तक पहुंच रही है।
# नया अध्याय लिख रहा है गुड औऱ स्मार्ट गवर्नेंस
रिफॉर्म्स को लागू करने के लिए गुड औऱ स्मार्ट गवर्नेंस चाहिए। आज दुनिया इस बात की भी साक्षी है कि कैसे भारत अपने यहां गवर्नेंस का नया अध्याय लिख रहा है। नियमों-प्रक्रियाओं की समीक्षा होनी चाहिए। केंद्र हो या राज्य सभी के विभागों से, सभी सरकारी कार्यालयों को अपने यहां के नियमों-प्रक्रियाओं की समीक्षा का अभियान चलाना चाहिए। क्योंकि हर वो नियम, हर वो प्रक्रिया जो देश के लोगों के सामने बाधा बनकर, बोझ बनकर, खड़ी हुई है, उसे हमें दूर करना ही होगा।
# 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करेगी नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’
आज देश के पास 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने वाली नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ भी है। जब गरीब की बेटी, गरीब का बेटा मातृभाषा में पढ़कर प्रोफेशनल्स बनेंगे तो उनके सामर्थ्य के साथ न्याय होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को गरीबी के खिलाफ लड़ाई का मैं साधन मानता हूं।
गरीबी के खिलाफ लड़ाई उनकी मातृभाषा के सहयोग से होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गरीबी के खिलाफ लड़ाई का साधन भाषा है। ये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का एक बहुत बड़ा शस्त्र बनने जा रहा है। गरीबी से जंग जीतने का आधार भी मातृभाषा की शिक्षा है, मातृभाषा की प्रतिष्ठा है, मातृ-भाषा का महात्मय है।
इसके अलावा, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की एक और विशेष बात है। इसमें खेल (स्पोर्ट्स) को एक्सट्रा क्यूरीकुलर की जगह मेनस्ट्रीम पढ़ाई का हिस्सा बनाया गया है। जीवन को आगे बढ़ाने में जो भी प्रभावी माध्यम हैं, उनमें एक स्पोर्ट्स भी है।
# आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं हमारी बेटियां
भारत के लिए गौरव की बात है कि शिक्षा हो या खेल, बोर्ड्स परीक्षा के नतीजे हों या ओलपिंक का मेडल, हमारी बेटियां आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं। आज भारत की बेटियां अपना स्पेस लेने के लिए आतुर हैं। इसलिए बालिकाओं के लिए सैनिक स्कूल का दरवाजा खोल दिया गया है। दो-ढाई साल पहले मिजोरम के सैनिक स्कूल में पहली बार बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया गया था। लेकिन अब सरकार ने तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को देश की बेटियों के लिए भी खोल दिया जाएगा।
# आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए एनर्जी इंडिपेंडेंट होना अनिवार्य
भारत की प्रगति के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भारत का ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना अनिवार्य है। इसलिए आज भारत को ये संकल्प लेना होगा कि हम आजादी के 100 साल होने से पहले भारत को 'ऊर्जा आत्मनिर्भरता' प्रदान करेंगे। भारत आज जो भी कार्य कर रहा है, उसमें सबसे बड़ा लक्ष्य है, जो भारत को क्वांटम जंप देने वाला है- वो है ग्रीन हाइड्रोजन का क्षेत्र। इसलिए तिरंगे को साक्षी मानकर पीएम मोदी ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है।
# लंबित समस्याओं का समाधान कर रहा है भारत
अब भारत लंबित समस्याओं का समाधान कुशल रणनीति पूर्वक कर रहा है। 21वीं सदी का आज का भारत, बड़े लक्ष्य गढ़ने और उन्हें प्राप्त करने का सामर्थ्य रखता है। आज भारत उन विषयों को भी हल कर रहा है, जिनके सुलझने का दशकों से, सदियों से इंतजार था। आर्टिकल 370 को बदलने का ऐतिहासिक फैसला हो, देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने वाली व्यवस्था जीएसटी हो, हमारे फौजी साथियों के लिए वन रैंक वन पेंशन हो, या फिर रामजन्मभूमि केस का शांतिपूर्ण समाधान, ये सब हमने बीते कुछ वर्षों में सच होते देखा है। हाल में त्रिपुरा में दशकों बाद ब्रू रियांग समझौता होना हो, ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देना हो, या फिर जम्मू-कश्मीर में आजादी के बाद पहली बार हुए बीडीसी और डीडीसी चुनाव, भारत अपनी संकल्पशक्ति लगातार सिद्ध कर रहा है।
# अपनी संकल्पशक्ति से बदल रहा है भारत
भारत बदल रहा है। आज कोरोना के इस दौर में, भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आ रहा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है। सर्जिकल स्ट्राइक और एअर स्ट्राइक करके भारत ने देश के दुश्मनों को नये भारत के साम्थर्य का संदेश भी दे दिया है। भारत बदल रहा है। भारत कठिन से कठिन फैसले भी ले सकता है और कड़े से कड़े फैसले लेने में भी भारत झिझकता नहीं है, रूकता नहीं है। वहीं, आतंकवाद और विस्तारवाद की चुनौतियां भारत के सम्मुख सदैव खड़ी रहती हैं, उनका स्वरूप चाहे जो कुछ भी हो। इसलिए आज दुनिया, भारत को एक नई दृष्टि से देख रही है और इस दृष्टि के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। एक आतंकवाद और दूसरा विस्तारवाद। भारत इन दोनों ही चुनौतियों से लड़ रहा है और सधे हुए तरीके से बड़े हिम्मत के साथ जवाब भी दे रहा है। इस नजरिए से आपकी जागरूकता से राष्ट्र मजबूत बनेगा।
# हमें उतना सामर्थ्यवान बनना होगा, जितना हम पहले कभी नहीं थे
देश के महान विचारक श्री अरबिंदो कहते थे कि हमें उतना सामर्थ्यवान बनना होगा, जितना हम पहले कभी नहीं थे। इसलिए हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी, एक नए हृदय के साथ अपने आपको को फिर से जागृत करना होगा। तब हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा। यही नहीं, जन सहयोग यानी जिन संकल्पों का बीड़ा आज देश ने उठाया है, उन्हें पूरा करने के लिए देश के हर जन को उनसे जुड़ना होगा, हर देशवासी को इसे ओन करना होगा, मतलब अपनाना होगा। देश ने जल संरक्षण का अभियान शुरू किया है, तो हमारा कर्तव्य है पानी बचाने को अपनी आदत से जोड़ें। यही पहल अन्य महत्वपूर्ण बातों में भी करें।
जब हम 'कैन डू जेनरेशन' के बारे में सोचते हैं तो यह समझ विकसित होती है कि मैं भविष्य़दृष्टा नहीं हूं, लेकिन मैं कर्म के फल पर विश्वास रखता हूं। मेरा विश्वास देश के युवाओं पर है। मेरा विश्वास देश की बहनों-बेटियों, देश के किसानों, मजदूरों, कारीगरों और सबसे बढ़कर देश के प्रोफेशनल्स पर है। ये कैन डू जेनरेशन है, जो हर लक्ष्य हासिल कर सकती है।
# विजन 2047: संकल्प से सिद्धियों तक राष्ट्र प्रथम
विजन 2047 का आशय यह है कि जब 2047 में भारत आजादी का स्वर्णिम उत्सव मना रहा होगा, उस समय जो भी देश के प्रधानमंत्री होंगे, वे अपने भाषण में जिन सिद्धियों का वर्णन करेंगे, वो सिद्धियां वही होंगी जो आज देश संकल्प कर रहा है। यही मेरा विश्वास है। यदि हमलोग 'राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम' की बातों पर दृढ़तापूर्वक एकजूट रहे तो 21वीं सदी में भारत के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। क्योंकि हमारी ताकत हमारी एकजुटता ही है। हमारी प्राणशक्ति, राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम की पवित्र भावना है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार