कैसा है तालिबान कैबिनेट 2.0, काबिलियत के नाम पर UNSC की वेरिफाइड मुहर के साथ सभी की CV में आतंकी का ठप्पा सबसे ऊपर है चस्पा

By अभिनय आकाश | Sep 08, 2021

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार 2.0 की शुरुआत हो चुकी है। 20 साल बाद सत्ता में लौटे तालिबानियों ने मंत्रालय का बंटवारा तो कर लिया, लेकिन प्रधानमंत्री के नाम पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकियों की लिस्ट में शामिल है। इस कैबिनेट में 4 ऐसे आतंकी हैं जो अमेरिका की सबसे कुख्‍यात जेल ग्‍वांतनामो बे में कई साल जेल की सजा काट चुके हैं। ये तालिबान की अंतरिम सरकार है जिसकी काबिलियत ढूंढने की जद्दोजहद की जाए तो सीवी में आतंकी का ठप्पा सबसे ऊपर चस्पा है। वो भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वेरिफाइड मुहर के साथ।  अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य की बागडोर अब जिस तालिबान के हाथ में है उसका खुद का इतिहास आतंक की कोठरी में गुजरा है। 

मुल्ला हसन अखुंद (प्रधानमंत्री)- सबसे पहले नज़र डालते हैं अफ़ग़ानिस्तान के नए प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद के प्रोफ़ाइल पर। अखुंद को संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंधित आतंकी घोषित किया हुआ है। अखुंद की पहचान कट्टर धार्मिक नेता की है। वामियान में बुद्ध की मूर्तियां तुड़वाने में शामिल रह चुका है। पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ाई कर चुका है। पिछली तालिबानी सरकार में डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री रह चुका है। नयी इस्लामिक सरकार' में संगठन की निर्णय लेने वाली शक्तिशाली इकाई ‘रहबरी शूरा’ या क्‍वेटा शूरा के का प्रमुख भी मुल्ला हसन अखुंद ही होगा।

मुल्ला बरादर (उपप्रधानमंत्री)- दोहा समझौते से लेकर दुनियाभर के मंचों पर तालिबान के चेहरा बन चुके मुल्ला बरादर को सरकार में जगह मिली है लेकिन साथ में ही पर भी कतर दिए गए हैं। मुल्ला बरादर के नाम की चर्चा प्रधानमंत्री के रूप में थी लेकिन नई तालिबानी सरकार में उसे डिप्टी पीएम का पद मिला है।

 

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अब्दुल सलाम हनाफी (उपप्रधानमंत्री)- मुल्ला बरादर के साथ ही हनाफी को भी अफगानिस्तान का दूसरा उप प्रधानमंत्री बनाया गया है।  मादक पदार्थों के तस्करी की वजह से 53 साल के हनाफी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित घोषित किया गया है। कहा जाता है कि अब्दुल सलाम हमाफी ही यूएस-अफगानिस्तान शांति समझौते की कुंजी था। 

सिराजुद्दीन हक्कानी (गृह मंत्री)- 1970-80 के दशक में सोवियत सेनाओं के खिलाफ गोरिल्ला हमले करने वाले जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है सिराजुद्दीन हक्कानी। तालिबान में इसकी हैसियत नंबर दो मानी जाती है। अमेरिका जिस हक्कानी नेटवर्क को नेस्तनाबूद करना चाहता है, उसका लीडर सिराजुद्दीन हक्कानी ही है।

मुल्ला महमूद याकूब (रक्षा मंत्री)- तालिबान की स्थापना करने वाले मुल्ला उमर का बेटा याकूब सैन्य अभियानों का चीफ है। 2015 में तालिबान ने अपने सुप्रीम कमांडर अमीर मुल्ला मोहम्मद उमर की मौत का ऐलान किया था। कहा गया कि मुल्ला उमर पाकिस्तान के पेशावर में 2013 से ही बीमार थे। हालांकि क्या बीमारी थी और कब मरे इन बातों का खुलासा नहीं हुआ। उसी समय पहली बार तालिबान के एक आंख वाले मुल्ला उमर का बेटा मोहम्मद याकूब सामने आया था। मुल्ला याकूब के बारे में कहा जाता है कि उसे सऊदी अरब के राजशाही सउद परिवार का पूरा समर्थन हासिल है और तालिबान को जिस धन की जरूरत है, वो सऊदी अरब से मिलता है। 

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मौलवी आमिर खान (विदेश मंत्री)- नई तालिबान सरकार में मौलवी आमिर को विदेश मंत्री बनाया गया है। उसे शांति आयोग और वार्ता दल का सदस्य नियुक्त किया गया था, जिसमें अमेरिका अफगानिस्तान के बीच बातचीत की कड़ी में उसने अमेरिका से बात की थी।

शेर मोहम्मद स्टेनेकजई (उप विदेश मंत्री)- स्टेनेकजई दोहा में तालिबान के प्रतिनिधि है। बीते दिनों स्टेकेजई ने ही भारत के राजदूत से मुलाकात की थी। । शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनेकजई का भारत से पुराना रिश्ता है। वो देहरादून की मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग ले चुके है। कुछ वक्त अफगान सेना में रहे और बाद में तालिबान का दामन थाम लिया।

शेख मौलवी नूरुल्ला मुनीर (शिक्षा मंत्री)- शिक्षा मंत्री - नई सरकार ने आते ही अपनी नीतियों का ऐलान करना शुरू कर दिया है। नए शिक्षा मंत्री का कहना है कि आज के वक्त में PHD या किसी दूसरी मास्टर डिग्री की वैल्यू नहीं है।

खलीलउर्रहमान हक्कनी (शरणार्थी मामलों के मंत्री)-  जलालुद्दीन हक्कानी का भाई खलील हक्कानी भी इस गैंग का अहम मेंबर है और अपने भतीजे सिराजुद्दीन हक्कानी के इशारे पर काम करता है। 

जबीउल्लाह मुजाहिद (संस्कृति मंत्रालय के डिप्टी मिनिस्टर)- तालिबान के लंबे समय के प्रवक्ता मुजाहिद एक दशक से अधिक समय से समूह की गतिविधियों की जानकारी देते थे। वह नियमित रूप से अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से विवरण पोस्ट करते हैं। पिछले महीने काबुल के पर कब्जा करने के बाद उनकी भी पहली तस्वीर दुनिया के सामने आई।

कारी फसीहउद्दीन (रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ)- पंजशीर पर फतह करवाने वाले ताजिकिस्तान मूल के तालिबान कमांडर कारी फहीउद्दीन को रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया गया है। वहीं, मुल्ला फजल अखुंद को सेना प्रमुख बनाया गया है।

 


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