By अनुराग गुप्ता | Feb 15, 2022
जालंधर। पंजाब में विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आ गई है। 117 विधानसभा सीटों के लिए 20 तारीख को मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे और 10 मार्च को चुनाव परिणाम सामने आएंगे, जिसमें पता चलेगा कि कौन से दिग्गज ने बाजी मारी और किसे जनता के बीच भरोसा बनाने की अभी और ज्यादा जरूरत है। इससे पहले राजनीतिक दलों को सत्ता तक ले जाने वाले मालवा क्षेत्र की बात करेंगे। यहां पर इस बार बहुकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।
पिछले विधानसभा चुनाव में मालवा क्षेत्र की 69 सीटों में से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी। कांग्रेस को यहां पर 40 तो आम आदमी पार्टी को 18 सीटें मिली थी। ऐसे में इस बार भी दोनों राजनीतिक दलों ने मालवा में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) भी उलटफेर करने की कोशिशों में जुटी हैं।
सूबे की सियासत में मालवा क्षेत्र का अपना महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि 17 में से 15 मुख्यमंत्री मालवा से ही आते हैं और मौजूद मुख्यमंत्री भी यहीं से हैं। इस बार भी तमाम राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी इसी क्षेत्र से हैं।
मालवा सतलुज नदी के दक्षिण में एक क्षेत्र है। मालवा क्षेत्र में 11 जिले से आते हैं, जिनमें पंजाब का अधिकांश हिस्सा सम्मिलित हो जाता है। इनमें लुधियाना, रूपनगर, पटियाला, संगरूर, बठिंडा, मानसा, फिरोजपुर, फाजिल्का, राजपुरा, मोगा और अजीतगढ़ जैसे शामिल हैं।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मालवा क्षेत्र से आते हैं और आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार भगवंत मान भी लेकिन कांग्रेस अगर नवजोत सिंह सिद्धू पर भरोसा जताती तो जरूर मामला अलग हो सकता था क्योंकि वो माझा से आते हैं। विधानसभा चुनाव से 3 महीने पहले कांग्रेस ने सूबे की सियासत में बड़ा बदलाव करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा कर चरणजीत सिंह चन्नी को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी और कैप्टन अमरिंदर ने फिर अपमानित होकर पार्टी छोड़ दी और खुद की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बना ली और वो भी इसी क्षेत्र से आते हैं।
माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच में कांटे का मुकाबला हो सकता है लेकिन दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए शिरोमणि अकाली दल ने बसपा के साथ गठबंधन किया है। जबकि भाजपा ने अमरिंदर सिंह और शिअद ढींढसा के साथ अपनी रणनीतियां बनाई हैं।