By अभिनय आकाश | Aug 03, 2022
अमेरिका की बादशाहत को चुनौती देने की मंशा लिए ड्रैगन सुपरपावर का तमगा पाने ली लालसा में है। वैसे तो चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है। बात चाहे सेना की करें, आधुनिक हथियारों की या फिर अतंरिक्ष क्षेत्र की जिनपिंग का देश हर जगह अपनी उपस्थिति को दिनों-दिन मजबूत करता जा रहा है। लेकिन दुनिया की दो महिलाओं ने ड्रैगन को बैचेन कर दिया है। चीन लगातार धमकी पर घमकी देता रहा। लेकिन इन बातों से बेपरवाह अमेरिका और ताइवान की दोस्ती की नई इबारत लिखी जाती रही। खुन्नस में आकर ड्रैगन ने छह जगहों पर सैन्य अभ्यास भी किया। लेकिन इससे कुछ खास असर होता नहीं दिखा। चीन की नाक में दम करने वाली दो महिलाएं हैं ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति त्साई इंग वेन और अमेरिकी कांग्रेस की पहली महिला स्पीकर नैन्सी पेलोसी।
कौन हैं नैंसी पेलोसी?
नैन्सी पेलोसी अमेरिकी सीनेट की स्पीकर हैंष अमेरिका में स्पीकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद तीसरा सबसे बड़ा पद माना जाता है। 81 साल की नैंसी साल 2019 से अपने चौथा को पूरा कर रही हैं। नैंसी के पिता मेयर रह चुके हैंष साल 1987 में पेलोसी पहली बार सांसद बनी थीं। जॉज बुश के शासनकाल में हाउस स्पीकर के रुप में चुनी गई थीं। सुर्खियों में रहने वाला उनका ताइवान दौरा बीते 25 बरस में अमेरिका के किसी भी चुने हुए टॉप लीडर्स में पहले स्थान पर है। नैंसी से पहले साल 1997 में उस वक्त की हाउस स्पीकर न्यूट गिनरिच ने ताइवान का दौरा किया था। चीन के प्रति नैंसी पेलोसी की मुखरता काफी पुरानी है। काफी लंबे वक्त से उनकी तरफ से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का विरोध किया जाता रहा है। साल 2008 में जब वो भारत के दौरे पर आईं थीं तो उन्होंने धर्मशाला जाकर तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा से भेंट भी की थी। दलाई लामा और चीन की दुश्मनी से तो सभी वाकिफ हैं।
चीन को लेकर क्लीयर स्टैंड वाली ताइवान की पहली महिला प्रेसीडेंट
नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन से मुलाकात की है। ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति साई इंग वेन ने पेलोसी को सबसे समर्पित मित्रों में से एक भी बताया। साई का जन्म 31 अगस्त 1956 को हुआ था। उन्होंने कानून और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की पढ़ाई की है। उन्होंने स्नातक तक ताइवान में पढ़ाई की। साल 1993 से वे ताइवान सरकार में शामिल हो गईं। साल 2016 में साई इंग को राष्ट्रपति चुनाव में भारी बहुमत हासिल हुआ। जिसके बाद वे ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। 2020 के चुनाव में जीत में चीन के खिलाफ उनके रुख की अहम भूमिका रही। उन्होंने यह साफ कर दिया है कि चीन के साथ भविष्य के संबंधों के केंद्र में लोकतंत्र होगा।