शिवसेना से NCP वाया BJP, सबसे कम उम्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बारे में जानें, जिन्होंने उद्धव गुट को दिया बड़ा झटका

By अभिनय आकाश | Jan 10, 2024

महाराष्ट्र विधानसभा से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला आ गया है। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि दोनों ही गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं। 21 जून 2022 को जो हुआ उसे समझना होगा। महाराष्ट्र अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि 23 जनवरी, 2018 या 2013 में कोई संगठनात्मक चुनाव नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि मेरा अधिकार क्षेत्र सीमित है और मैं भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के रिकॉर्ड से परे नहीं जा सकता। उद्धव का नेतृत्व 2018  संविधान के अनुरुप नहीं। शिवसेना के संविधान में पक्ष प्रमुख का पद नहीं। 

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शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के कुछ दिनों बाद नार्वेकर को अध्यक्ष चुना गया था। सेना के दोनों गुटों एक का नेतृत्व शिंदे और दूसरे का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने एक-दूसरे पर स्पीकर के चुनाव और 4 जुलाई, 2022 को विश्वास मत पर पार्टी के व्हिप की अवहेलना करने का आरोप लगाया था। विरोधी पक्ष के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की। मई 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट को आधिकारिक सेना के रूप में फैसला सुनाया और दो प्रतिद्वंद्वी सेनाओं के कुल 34 विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी नारवेकर को दी। सुप्रीम कोर्ट ने तब से कई बार नार्वेकर की खिंचाई की और इस मुद्दे पर फैसला सुनाने के लिए उनके लिए समय सीमा तय की। दो समय सीमा बीत चुकी है। जिसके बाद 10 जनवरी का फैसला सामने आया। 

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नार्वेकर का उदय

नार्वेकर के परिवार का जुड़ाव राजनीति में शुरू से रहा है। उन्होंने मुंबई के कोलाबा इलाकों में स्थानीय प्रशासन में भूमिका निभाई है। उनके ससुर राकांपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान परिषद अध्यक्ष रामराजे नाइक-निंबालकर हैं। नार्वेकर अंग्रेजी टेलीविजन मीडिया पर पार्टी के चेहरे के रूप में और शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे के विश्वासपात्र के रूप में जाने जाते थे। आदित्य ने एक बार विधानसभा में भाषण के दौरान उनकी नजदीकियों का जिक्र किया था। हालांकि 2014 में, नार्वेकर ने लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी में शामिल होने के लिए शिवसेना छोड़ दी। उन्हें राकांपा ने मावल संसदीय सीट से मैदान में उतारा था। वह हार गए लेकिन बाद में उन्हें विधान परिषद की सीट दी गई। फिर, 2019 में एक आश्चर्यजनक कदम में, वह भाजपा में शामिल हो गए। पार्टी ने राज पुरोहित जैसे वफादारों को दरकिनार कर उन्हें कोलाबा से टिकट दिया। उन्होंने यह सीट 57,000 से अधिक वोटों से जीती।

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जयंत पाटिल से विवाद

दिसंबर 2022 में उनका एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के साथ विवाद हो गया था, जब पाटिल ने नारवेकर पर उन्हें सदन में बोलने नहीं देने का आरोप लगाया था। उस समय, पाटिल को विधानसभा के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने कहा था कि नारवेकर को एक बेशर्म व्यक्ति की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए। कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही में पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाते हुए नार्वेकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया था। यह भी अफवाह थी कि नार्वेकर दक्षिण मुंबई निर्वाचन क्षेत्र से आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। नार्वेकर की अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के बाद से, विपक्ष ने कई मौकों पर उन पर सत्ता पक्ष, खासकर डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस से निर्देश लेने का आरोप लगाया है।

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