ओम पुरी का फिल्मी करियर मराठी नाटक आधारित फिल्म घासीराम कोतवाल से हुआ था। उनकी अदाकारी की खासियत थी की वो सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि कई भाषाओं की फिल्मों में काम करते थे। उन्होंने हिन्दी के अलावा अंग्रेजी, मराठी, कन्नड और पंजाबी फिल्मों में भी अपनी काबिलियत के दम पर खास पहचान बनाई थी। उनके योगदान के लिए उन्हें भारत का चौथा नागरिक सम्मान पुरस्कार पद्मश्री से भी नवाजा गया था। अपने अभिनय के बल पर फिल्म जगत में उन्होंने शोहरत भी प्राप्त की।
ओम पुरी का जन्म वर्ष 1950 को 18 अक्टूबर को हरियाणा के अंबाला में पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय रेलवे में कार्यरत थे। ओम पुरी जब मात्र छह वर्ष के थे तो टी स्टॉल पर चाय के बर्तन साफ करने का काम भी करते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटियाला स्थित अपनी ननिहाल से पूरी की। मगर उनमें एक्टिंग करने की इच्छा हमेशा रहती थी।
पुणे फिल्म संस्थान से ली ट्रेनिंग
ओम पुरी ने 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो एक्टिंग की ट्रेनिंग दी। इसके बाद उन्होंने थियेटर का रुख किया। ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप "मजमा" की स्थापना की।
कई सफल फिल्मों में किया अभिनय
ओम पुरी का करियर मराठी नाटक पर आधारित फिल्म घासीराम कोतवाल के साथ वर्ष 1976 में शुरू हुआ था। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाका नहीं कर सकी। इसके बाद सफलता का स्वाद चखने के लिए ओम पुरी को चार वर्षों का इंतजार करना पड़ा। वर्ष 1980 में रिलीज हुई फिल्म आक्रोश ओम पुरी की पहली हिट फिल्म थी। इसके बाद ओम पुरी के करियर में कोई ब्रेक नहीं लगा। अपनी एक्टिंग के दम पर वो कई शानदार फिल्मों में दमदार अभिनय करते रहे। नॉन फिल्मी बैकग्राउंड होने के कारण उनका संघर्ष थोड़ा लंबा जरुर रहा मगर उन्होंने अपनी अलग छाप फिल्मी दुनिया पर बनाई।
फिल्मी दुनिया के अलावा उन्होंने टेलीविजन पर भी एक्टिंग की। वर्ष 1988 में ओम पुरी ने दूरदर्शन की मशहूर टीवी सीरीज भारत एक खोज में विभिन्न भूमिकाएं निभाई। ओमपुरी ने अपने फिल्मी करियर के दौरान हर तरह की भूमिकाएं निभाई। ओमपुरी ने सकारात्मक भूमिकाओं के साथ-साथ, नकारात्मक और हास्य भूमिकाएं भी एक मंझे हुए कलाकार के रूप में की। इन भूमिकाओं को दर्शकों ने भी काफी पसंद किया था। अभिनय के साथ उनकी आवाज में भी अलग जादू था जिससे वो हर रोल में जान डाल देते थे।
खुद की थी मौत की बात
सच्चे अभिनेता होने के साथ ही वो बेहतरीन इंसान भी थे। एक तरफ जहां व्यक्ति अपनी मौत का जिक्र तक करना पसंद नहीं करता। वहीं वर्ष 2015 में ओम पुरी ने एक बार इंटरव्यू के दौरान अपनी मौत का जिक्र करते हुए कहा था कि उनकी मौत अचानक ही होगी, जैसे सोते सोते मौत की आगोश में आ जाना। उनकी कही ये बात दो वर्ष बाद सच भी साबित हुई। ओम पुरी का शव उनके घर से मिला था। उनके मौत के पीछे दिल का दौरा पड़ने की वजह बताई गई थी।
इस किरदार के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड
उन्होंने अपने फिल्मी करियर के दौरान कई तरह के रोल निभाए मगर फिल्म अर्ध सत्य में निभाए गए किरदार के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड के साथ सम्मानित किया गया। फिल्म में उनका किरदार सामाजिक और राजनीतिक बुराइयों का विरोध करता है। दूसरा नेशनल अवॉर्ड उन्हें वर्ष 1982 में आई फिल्म आरोहण के लिए दिया गया था। उनकी प्रमुख फिल्मों में मिर्च मसाला, जाने भी दो यारो, चाची 420, हेरा फेरी, मालामाल वीकली जैसी कई कमर्शियल हिट फिल्में शामिल है।
दिक्कतों और विवादों भरी रही निजी जिंदगी
उनका जीवन ऐसा रहा जिसमें कई तरह की परेशानियों का उन्हें सामना करना पड़ा। ओमपुरी का विवाह 1991 में अभिनेता अन्नू कपूर की बहन सीमा कपूर से हुआ। कुछ समय बाद आपसी तालमेल न होने के कारण दोनों में तलाक हो गया। अन्नू कपूर की दूसरी शादी 1993 में पत्रकार नंदिता पुरी से हुई। जिनसे उनका एक पुत्र ईशान भी है। नंदिता ने ओमपुरी पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था, इसके बाद 2013 में दोनों अलग हुए।