बपचन में बिल्कुल बेसुरे थे किशोर कुमार... रोते रोते हो गयी थी सुरीली आवाज़

By रेनू तिवारी | Aug 04, 2022

जब भी गायकी की बात आती है तो किशोर कुनार का नाम जहन में आता है। किशोर कुमार जब गाते थे तो उनके पास कोई खास म्युजिक की ड्रिग्री या शास्त्रीय प्रशिक्षण नहीं था लेकिन किशोर दा वास्तव में सभी ट्रेडों के उस्ताद थे- चाहे वह उनकी खूबसूरत आवाज़ हो जो किसी भी गीत को जीवंत कर देने वाली उनकी कला। किशोर दा एक ऐसे अभिनेता भी थे जिन्होंने कॉमेडी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। हालांकि उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे महान पार्श्व गायकों में से एक के रूप में जाना जाता है, बहुआयामी किशोर कुमार एक गीतकार, संगीतकार, निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक और पटकथा लेखक भी थे।


किशोर कुमार फिल्म इंडस्ट्री के उन सिंगर्स में से हैं जिन्हें हर उम्र के लोगों ने बराबर प्यार दिया। किशोर कुमार ने अपनी आवाज की ऐसी छठा बिखेरी कि सब उनके मुरीद हो गये। आज भी उनके गाये गीतों को लोग बड़े चाव से सुनते हैं। इसके अलावा वे अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए भी जाने जाते हैं उन्होंने अपने इस हुनर से 50-60 के दशक में दर्शकों को खूब हंसाया। 4 अगस्त 1929 को आभास कुमार गांगुली के नाम से जन्में किशोर का नाम सुनते ही एक कंफ्यूजन दिमाग में दौड़ती है कि उन्हें किस रुप में याद किया जाए। वो एक्टर, सिंगर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, म्यूजिक डायरेक्टर, और सबसे बढ़कर एक कमाल की शख्सियत थे। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को कई सदाबहार क्लासिक दिए, जिसे सुनकर आज भी हर कोई मदहोश हो जाता है। मेरे मेहबूब...', 'आ चल के तुझे...', 'आने वाला पल...', 'बचना ए हसीनो...' आदि सैंकड़ों गीत आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं।

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किशोर कुमार ने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया, जिनमें 'चलती का नाम जिंदगी', 'बढ़ती का नाम दाढ़ी', 'दूर का राही', 'दूर गगन की छांव में' प्रमुख हैं। उन्हें 8 बार बेस्ट सिंगर के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था। किशोर कुमार की आवाज एक ऐसी आवाज थी जिसने कई स्टार्स को सुपरस्टार बनाया। मस्तमौला अंदाज वाले किशोर के जन्मदिन पर आइए जानते है उनसे जुड़े कुछ मजेदार और अनसुने किस्से।

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रोते रोते आवाज हो गई सुरीली

किशोर कुमार की आवाज को लेकर एक बहुत ही मजेदार कहानी है कहते है की बचपन में किशोर दा की आवाज बहुत ही खराब थी। आज दिलो पर राज करने वाले किशोर दो उस टाइम बिल्कुल बेसुरे थे। उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा करते हुए कहा था कि बचपन में किशोर की आवाज फटे बांस जैसी थी, लेकिन एक बार उनका पांव सब्जी काटने वाली दराती पर पड़ गया, जिससे उनके पैर की अंगुली कट गई।डॉक्टरों ने उंगली का तो इलाज कर दिया लेकिन किशोर का दर्द नहीं गया। वो कई दिनों तक दर्द के कारण जोर-जोर से रोया करते थे। इस घटना की वजह से उनका ऐसा रियाज हुआ कि उनकी आवाज ही बदल गई। इस तरह घंटो रोने से उनकी वोकल कॉर्ड्स पर असर पड़ा और उनकी आवाज हस्की हो गई। किशोर की यह नई आवाज उस हादसे की देन थी। और आज किशोर दा इंडस्ट्री के टॉप सिंगर्स में गिने जाते हैं। उनकी ताजगी भरी आवाज आज भी कानों में पड़ती है तो जोश भर आता है। 


13 अक्टूबर, 1987 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। किशोर कुमार और सबके दिलों को छू जाने वाले उनके गीतों को भुलाया जाना मुमकिन नहीं है। वे सदा गीत प्रेमियों के दिलों पर राज करते रहेंगे।


- रेनू तिवारी

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