By रेनू तिवारी | Aug 04, 2022
रूपहले पर्दे पर चमकने वाले सितारों की बात करें तो इनमें किशोर कुमार की पहचान सबसे चमकदार सितारे के तौर पर होती है। शानदार अभिनेता, सुरीले गायक, उम्दा निर्माता निर्देशक, कुशल पटकथा लेखक और बेहतरीन संगीतकार के तौर पर किशोर को एक संपूर्ण कलाकार कहा जा सकता है। हर तरह के गीतों, चाहे वह दर्द भरे गीत हों या रूमानियत से भरे प्रेमगीत, हुल्लड़ वाले जोशीले नगमे हों या संजीदा गाने उनकी आवाज ने बहुत से गीतों को यादगार बना दिया। इसके अलावा वे अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए भी जाने जाते हैं उन्होंने अपने इस हुनर से 50-60 के दशक में दर्शकों को खूब हंसाया। 4 अगस्त 1929 को आभास कुमार गांगुली के नाम से जन्में किशोर का नाम सुनते ही एक कंफ्यूजन दिमाग में दौड़ती है कि उन्हें किस रुप में याद किया जाए। उन्होंने हिंदी के अलावा और भी बहुत सी भाषाओं में गीत गाए। उनके अभिनय और निर्देशन को भी लाजवाब माना जाता है। हास्य अभिनय में किशोर कुमार अपने आप में अनूठे और बेजोड़ थे। इस महान कलाकार ने 13 अक्टूबर 1987 को इस दुनिया को अलविदा कहा।
जब कॉलेज में टेबल को बनाया था तबला प्रोफेसर से पड़ी थी डांट
प्रोफेसर स्वरूप बाजपेई ने बताया, “एक बार नागरिक शास्त्र के पीरियड में किशोर अपनी कक्षा में टेबल को तबले की तरह बजा रहे थे। प्रोफेसर ने उन्हें फटकार लगाते हुए हिदायत दी कि वह पढ़ाई पर ध्यान दें, क्योंकि गाना-बजाना उन्हें जिंदगी में बिल्कुल काम नहीं आएगा। इस पर किशोर ने अपने अध्यापक को मुस्कुराते हुए जवाब दिया था कि इसी गाने-बजाने से उनके जीवन का गुजारा होगा।”
किशोर दा ने 5 रूपय की उधारी लेकर बनाया था पहला गीत
किशोर कुमार वर्ष 1948 में पढ़ाई अधूरी छोड़कर इंदौर से मुंबई चले गए थे। लेकिन क्रिश्चियन कॉलेज के कैंटीन वाले के उन पर पांच रुपए और 12 आने (उस समय प्रचलित मुद्रा) उधार रह गए थे। माना जाता है कि यह बात किशोर कुमार को याद रह गई थी और उधारी की इसी रकम से ‘प्रेरित’ होकर फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) के मशहूर गीत “पांच रुपैया बारह आना…” का मुखड़ा लिखा गया था। इस गीत को खुद किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने आवाज दी थी।
आपातकाल में बंद किए गए गाने
1975 में देश में आपातकाल के समय एक सरकारी समारोह में भाग लेने से साफ मना कर देने पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला ने किशोर कुमार के गीतों के आकाशवाणी से प्रसारित किए जाने पर पर रोक लगा दी थी और किशोर कुमार के घर पर आयकर के छापे भी डाले गए। मगर किशोर कुमार ने आपात काल का समर्थन नहीं किया। यह दुर्भाग्य और शर्म की बात है कि किशोर कुमार द्वारा बनाई गई कई फ़िल्में आयकर विभाग ने जप्त कर रखी है और लावारिस स्थिति में वहाँ अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रही है।
संघर्ष करके बनाई पहचान
किशोर कुमार ने भारतीय सिनेमा के उस स्वर्ण काल में संघर्ष शुरु किया था जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, बलराज साहनी, गुरुदत्त और रहमान जैसे कलाकारों के साथ ही पार्श्वगायन में मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद और मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों का बोलबाला था।
13 अक्टूबर, 1987 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। किशोर कुमार और सबके दिलों को छू जाने वाले उनके गीतों को भुलाया जाना मुमकिन नहीं है। वे सदा गीत प्रेमियों के दिलों पर राज करते रहेंगे।