By नीरज कुमार दुबे | May 20, 2023
केन्द्र सरकार ने ‘दानिक्स’ कैडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित करने के उद्देश्य से एक अध्यादेश जारी किया है जिसको लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच एक बार फिर से आरोप प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गयी है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 11 मई की संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया है जहां शीर्ष अदालत ने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास राष्ट्रीय राजधानी में "सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्ति" है।
क्या कहता है अध्यादेश?
जहां तक अध्यादेश की बात है तो हम आपको बता दें कि यह ऐसे वक्त आया है जब पिछले सप्ता ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। अध्यादेश में कहा गया है कि ‘‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण नाम का एक प्राधिकरण होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा। प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष होंगे। साथ ही, इसमें मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (गृह) सदस्य होंगे। अध्यादेश में कहा गया है, ‘‘प्राधिकरण द्वारा तय किए जाने वाले सभी मुद्दों पर फैसले उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से होगा। प्राधिकरण की सभी सिफारिशों का सदस्य सचिव सत्यापन करेंगे।’’ अध्यादेश में कहा गया है कि प्राधिकरण उसके अध्यक्ष की मंजूरी से सदस्य सचिव द्वारा तय किए गए समय और स्थान पर बैठक करेंगे। अध्यादेश में कहा गया है, ‘‘प्राधिकरण की सलाह पर केन्द्र सरकार जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु प्राधिकरण के लिए आवश्यक अधिकारियों की श्रेणी का निर्धारण करेगी और प्राधिकरण को उपयुक्त अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी...।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘वर्तमान में प्रभावी किसी भी कानून के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण ‘ग्रुप-ए’ के अधिकारियों और दिल्ली सरकार से जुड़े मामलों में सेवा दे रहे ‘दानिक्स’ अधिकारियों के तबादले और पदस्थापन की सिफारिश कर सकेगा...लेकिन वह अन्य मामलों में सेवा दे रहे अधिकारियों के साथ ऐसा नहीं कर सकेगा।’’
आम आदमी पार्टी का आरोप
इस बीच, आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले से जुड़ा केंद्र का अध्यादेश ‘असंवैधानिक’ है और यह सेवा संबंधी मामलों में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली सरकार को दी गई शक्तियों को छीनने के लिए उठाया गया एक कदम है। दिल्ली की मंत्री आतिशी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश लाने के लिए जानबूझकर ऐसा समय चुना, जब उच्चतम न्यायालय अवकाश के कारण बंद हो गया है।
आतिशी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का यह अध्यादेश दर्शाता है कि ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल’’ और ईमानदार राजनीति की शक्ति से ‘‘डर लगता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (मोदी को) डर लगता है कि यदि उन्हें (केजरीवाल को) शक्ति मिल गई, तो वह दिल्ली के लिए असाधारण काम करेंगे। यह अध्यादेश 11 मई को उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘आप’ को दी गई शक्तियां छीनने की एक कोशिश है।’’ मंत्री ने कहा कि यह अध्यादेश कहता है कि दिल्ली के लोगों ने भले ही केजरीवाल को वोट दिया है, लेकिन वह दिल्ली को नहीं चलाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने इस अध्यादेश को लाने के लिए जानबूझकर कल (शुक्रवार) रात का समय चुना। उच्चतम न्यायालय छह सप्ताह के अवकाश के कारण बंद हो गया है और यह काम को बाधित करने के लिए जानबूझकर की गई कोशिश है।’’ आतिशी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली सरकार को शक्तियां दी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन केंद्र इसे बर्दाश्त नहीं कर सका। अध्यादेश तीन सदस्यों वाले राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात करता है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव इसके सदस्यों के रूप में काम करेंगे, लेकिन इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव की नियुक्ति केंद्र करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्राधिकरण बहुमत से फैसले करेगा। इसका मतलब है कि फैसले केंद्र के नौकरशाहों द्वारा किए जाएंगे। अगर वह कोई ऐसा फैसला करता है, जो केंद्र को पसंद नहीं है, तो उपराज्यपाल के पास उसे पलटने का अधिकार होगा।''
भाजपा की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, भाजपा ने दिल्ली में नौकरशाहों के तबादलों और तैनाती से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश का स्वागत करते हुए आरोप लगाया है कि केजरीवाल सरकार सेवा मामलों पर उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले की आड़ में अधिकारियों को ‘‘डरा-धमका’’ रही है और अपनी शक्तियों का ‘‘दुरुपयोग’’ कर रही है। भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली की गरिमा बनाए रखने और लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए यह अध्यादेश आवश्यक है। सचदेवा ने कहा, ‘‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और यहां जो भी होता है, उसका देश तथा पूरी दुनिया में असर होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप (दिल्ली सरकार) उच्चतम न्यायालय के फैसले की आड़ में गुंडागर्दी और अधिकारियों को डराने-धमकाने पर उतारू हो जाएंगे?’’ भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी मूक दर्शक नहीं बनी रहेगी।
सचदेवा ने आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के तुरंत बाद केजरीवाल सरकार ने उसके ‘घोटालों और भ्रष्टाचार’ की जांच से जुड़ी फाइलें सतर्कता विभाग से ‘छीननी’ शुरू कर दीं। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सचिवालय में सतर्कता अधिकारी के कमरे का ताला तोड़ा गया और आबकारी ‘घोटाले’, मुख्यमंत्री के आवास की मरम्मत और फीडबैक इकाई की जांच से जुड़ी फाइलों की फोटोकॉपी की गई।