चैत्र नवरात्र आ गया है, इन नौ दिनों में आप अपने तन-मन और विचारों को शुद्ध रख कर देवी की उपासना कर सकते हैं, तो आइए हम आपको चैत्र नवरात्र में आपको कुछ खास नियमों और पूजा विधि के बारे में बताते हैं जिन्हें अपनाकर आप देवी मां को प्रसन्न कर सकते हैं।
नवरात्रि में इन नियमों का पालन जरूर करें
नवरात्रि के नौ दिन अगर आप व्रत रखें तो कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। व्रत रखने के लिए सबसे पहले तन, मन और विचारों में शुद्धता रखना आवश्यक है। अगर आप व्रत रखते हैं तो फलाहार करते रहें। लेकिन किसी कारण से व्रत रखने में आप सक्षम नहीं हैं तो दिनभर व्रत रखकर शाम को देवी मां की पूजा तथा आरती के बाद शाकाहारी भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
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नवरात्र में देवी को भोग लगाने का भी है खास विधान
नवरात्र के नौ दिनों में देवियों को भोग लगाने की खास विधि है। पहले दिन देवी को गाय का घी, दूसरे दिन शक्कर और तृतीया के दिन दूध और दूध से मिठाई चढ़ाएं। नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा को होता है, उन्हें मालपुए अर्पित करें। पंचमी को केला और षष्ठी को शहद को भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं। सप्तमी को गुड़, अष्टमी को नारियल और नवमी को तिल अर्पित करने से मां भक्तों को विशेष आर्शीवाद प्रदान करती हैं।
घर के मंदिर में जलाएं अंखड ज्योति
नवरात्रि में अखंड ज्योति का विशेष महत्व होता है। आप भी अपने घर में अखंड ज्योति जलाएं। इसके लिए मिट्टी या पीतल का का दीपक लें और इसे हमेशा किसी चौकी या पटरी पर रखें। अखंड ज्योति की बाती हमेशा रक्षा सूत्र से बनायी जाती है इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लें और बाती बनाकर उसे दीपक के बीच में रखें। दीप में घी, सरसों या तिल का तेल डाल सकते हैं। दीपक जलाने से पहले मां दुर्गा, भगवान शिव और गणेश भगवान का ध्यान करें। अगर आपकी कोई मनोकामना है तो अखंड ज्योति जलाते समय इसे ध्यान में रखें। दीपक के आसपास लाल फूल भी रख सकते हैं। साथ ही ध्यान रखें कि अखंड ज्योति कभी बुझने नहीं पाएं उसमें हमेशा घी या तेल डालें।
ऐसे करें पूजा
चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का खास महत्व होता है, इसलिए पहले विधिवत कलश स्थापित कर लें। इसके लिए पवित्र मिट्टी से बनाए गए वेदी पर कलश स्थापना करें। उसके बाद वेदी पर जौ और गेंहू बो दें। फिर अपनी शक्ति अनुसार मिट्टी या तांबे का कलश विधिपूर्वक स्थापित करें। साथ ही नौ ग्रह और गणेश जी को भी स्थापित करें तथा कलश पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। विधिपूर्वक कलश स्थापना के बाद देवी मां का षोडशोपचार पूजा करें। इसके बाद आप श्रीदुर्गासप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसके अलावा आप नवरात्र के नौ दिन विभिन्न देवाओं की आराधना तथा कथा भी पढ़ सकते हैं।
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कन्या पूजन भी करें
चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व होता है। यह कन्या पूजन अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है। कन्याओं को साक्षात् मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। कन्या पूजन में नौ, सात, पांच, तीन, या एक कन्या को देवी रूप मानकर बैठाया जाता है। उसके बाद उन्हें विविध प्रकार का प्रसाद खिलाकर, दान देकर आर्शीवाद लिया जाता है।
प्रज्ञा पाण्डेय