By अभिनय आकाश | Oct 10, 2024
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त से कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। पार्टी को हार का अंदेशा नहीं था। हरियाणा को लेकर कांग्रेस पार्टी का कॉन्फिडेंस मानो इतना हाई की चुनाव आयोग भी कन्फ्यूज हो जाए कि हरियाणा में चुनाव कराने भी है या रहने दिया जाए। हरियाणा का अगला सीएम बनने के लिए भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलेजा के बीच ऐसी खींचतान चल रही थी। लेकिन नतीजों से ऐसा उलटफेर किया कि सब बेमानी हो गया। कांग्रेस एक बार फिर बीजेपी के सामने सीधे मुकाबले में कमजोर साबित हुई। पिछले कुछ सालों से यह ट्रेंड लगातार चला आ रहा है। साथ ही इस हार ने कांग्रेस के बढ़ते ग्राफ पर अंकुश लगा दिया। अब कांग्रेस की हार को लेकर मंथन के दौर के बीच कई हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार ने कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल को लेकर कई संगीन दावे किए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल पर बड़ा चौंकाने वाला आरोप लगाया है। पत्रकार वानखेड़े ने टिकट वितरण में कास्टिंग काउच का आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या आपके लिए हरियाणा राज्य अय्याशी का अड्डा बन गया है? एक वीडियो में वो ये कहते हुए सुने जा सकते हैं कि केसी वेणु गोपाल की है कोई महिला सहयोगी, अब महिला है तो समझ जाओ। उसको टिकट पूरा हरियाणा मना कर रहा था फिर भी दिया गया। केसी वेणुगोपाल को जवाब देना चाहिए कि क्यों उन्होंने उस महिला का नाम वहां प्रपोज किया था। पत्रकार ने कहा कि वो पार्टी महासचिव संगठन हैं और उन्हें ज्यादा चिंता अपने महिला मित्रों की थी। उन्हें कैसे टिकट दिलवाऊं।
अब इस मामले में बीजेपी हमलावर हो गई है। बीजेपी मीडिया सेल के हेड अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अशोक वानखेड़े वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल के खिलाफ कास्टिंग काउच के अपने आरोप पर कायम हैं। कांग्रेस पार्टी की चुप्पी आरोपों को वैधता प्रदान कर रही है। मालवीय ने कहा कि इससे पहले, कांग्रेस की सिमी रोज़ बेल और हरियाणा से दो बार विधायक रहीं शारदा राठौड़ ने कांग्रेस में आगे बढ़ने के लिए कास्टिंग काउच की पुष्टि की थी। गौरतलब है कि हरियाणा में मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी के नेता केसी वेणुगोपाल पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। पार्टी के नेता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि राहुल गांधी के करीबी संगठन महासचिव इस पद पर पांच साल पार कर चुके हैं। ऐसे में जो चिंतन शिविर में नियम कानून तय किए गए थे अब उसके आधार पर फैसला होना चाहिए।