बाज़ार में करवा चौथ (व्यंग्य)

By मणिका तोमर | Nov 02, 2020

अरे नहीं! कोरोना कुमार जी के नए लक्षण नहीं हैं, ये करवाचौथ की आहट है। श्रीमानजी की लाइफ इंश्योरंस पालिसी का नवीनीकरण समय है, पालिसी होल्डर डरता है कहीं श्रीमतीजी के रूपसिंगार हेतु जेब ढीली न  की तो पालिसी के जीवित रहने पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है। यही गुनगुनाते हुए नज़र आ रहे, शर्म रोके है इधर, शौक उधर खींचे है। इस बार श्रीमतीजी को भी वैसा गुलाबी गाउन पहनना है जैसागौरीजी कभी सास थी की गौरी ने करवाचौथ की आफ्टर पार्टी में पहना था उन्हें  कौन समझा सकता है कि कहां कमसिन उम्र की छरहरी काया और कहां आपकी खाती पीती काया, गाउन किसी टेंट से कम नहीं लगेगा।

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खैर, जीवनपालिसी का सवाल है तो गाउन आएगा और उसका महिमामंडन भी होगा। करवाचौथ की आफ्टर पार्टी वो मंच है जहाँ श्रीमानजी के बेहिसाब प्यार का मूल्यांकन होगा। ऐसे अभूतपूर्व मौके को श्रीमतीजी कैसे हाथ से कैसे जाने दे सकती हैं। आकर्षक कपड़े, नए सैंडिल, ट्रेंडीगहने और ब्यूटी पार्लर द्वारा चमकाई त्वचा को लेकर जब श्रीमती जी आफ्टर पार्टी में दाखिल होंगी तो वहां महिलाओं के दिल में अगली बार इस से भी अच्छा करने का दृढ़ निश्चय उत्पन्न होगा। त्यौहार, प्रतिस्पर्धा और बाज़ार तीनों एक साथ जो हैं। पार्लर द्वारा कई दिन पहले बुलाने पर वे झूम उठी। 

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श्रीमानजी ने हैरानी छुपाते हुए हल्की व नकली मुस्कराहट देकर मध्यम आवाज़ में पूछा आखिर ब्यूटी पार्लर से ही तो फ़ोन आया है इतनी खुशी, तो सगर्व घोषणा हुई, उस ब्यूटी पार्लर में साहबों की बीवीओं को ही टाइम  मिलता है, खुशनसीब हो तुम मेरी खूबसूरती और अच्छे व्यवहार की बदौलत तुम्हारा नाम भी इज्ज़त पाएगा। पतिजी को समझ नहीं आया कि सम्मानित महसूस करें या कोरोना के मौसम में होने जा रहे  फालतू खर्च पर ब्लड प्रेशर की गोली खाएं। उन्हें बीवी की खूबसूरती दिखनी बंद हो गई थी, लेकिन एक चुप हज़ार सुख मानकर वे शांत रहे। अभी तो सब कुछ बाकी है, उत्सव वाले दिन सुबह ही दूध, फैनी, परांठे देते हुए मन ही मन प्रार्थना करेंगे कि पालिसी ठीक से रिन्यू हो जाये। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी को मानते हुए उनके नए सूट, किटी सेट, अनुपम सुंदरता और उनके व्रत रूपी महान त्याग पर फ़िल्मी हीरो की तरह  रूमानी  बोल देने मात्र से ही बीमा पालिसी अगले साल तक ऑटो रीन्यु मोड पर जा सकती है। व्रत कथा के बाद गरमागरम चाय का प्याला उनकी अलौकिक मुस्कराहट भी दिला सकता है। घूंघट ओढना,  छलनी में से चाँद और श्रीमानजी को निहारना, आरती उतारना, पांव छू कर आशीर्वाद भी हो सकता है। कोक से व्रत का खुलना और फिर आफ्टर पार्टी। श्रीमान की इज़्ज़त के लिए कितना करती हैं श्रीमती और  श्रीमानजी हैं कि माया के मोह से ही नहीं निकल पा रहे।


- मणिका तोमर

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