By रितिका कमठान | Mar 16, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अरब सागर के ऊपर देश को सबसे लंबे केबल-आधारित पुल की सौगात दी है। ये पुल बेहद खास है क्योंकि प्रतिष्ठित द्वारकाधीश मंदिर में आने वाले निवासियों और तीर्थयात्रियों के लिए बहुत महत्व रखता है। बेट द्वारका ओखा बंदरगाह के पास द्वीप है। ये द्वारका शहर से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। ये वही जगह है जहां भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारका में लगभग 980 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए ओखा मुख्य भूमि और बेट द्वारका द्वीप को जोड़ने वाला सुदर्शन सेतु राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो देश का सबसे लंबा 2.32 किलोमीटर का केबल ब्रिज है जो अपने आप में इंजीनियरिंग का चमत्कार है।
सुदर्शन सेतु एक ओर अद्वितीय डिजाइन को प्रदर्शित करता है जिसमें दोनों तरफ श्रीमदभग्वत गीता के श्लोकों को और भगवान कृष्णा की छवियों से सुसज्जित एक पैदल पथ है। इसमें पैदल पथ के ऊपरी हिस्से पर सौर पैनल भी स्थापित किए गए हैं जिसे एक मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है। यह सेतु परिवहन को सुगम करेगा और द्वारका एवं बेट द्वारका मार्ग के बीच यात्रा करने वाले भक्तों के समय में काफी कमी लेकर आएगा। इस पुल के निर्माण से पहले तक तीर्थयात्रियों को बेट द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव पर निर्भर रहना होता था। अब इस सुदर्शन ब्रिज की मदद से लोग आसानी से मंदिर तक पहुंच पाएंगे। यह प्रतिष्ठित सेतु देव भूमि द्वारका के प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में भी काम करेगा। इस पुल के फुटपाथ के ऊपरी हिस्से में सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनसे एकमेगावॉट तक बिजली भी निर्मित होगी।
वदीनार में पाइपलाइन परियोजना समर्पित की जिसमें वर्तमान अपतटीय लाइनों को बदलना, वर्तमान में पाइपलाइन और मैनिफोल्ड को छोड़ना और पूरे सिस्टम को नए स्थान पर स्थानांतरित करना शामिल है।
राजकोट ओखा, राजकोट जेतलसर सोमनाथ और जेतलसर वांसजालिया रेल विद्युतीकरण परियोजनाएं भी राष्ट्र को समर्पित की गई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 927 को धोराजी जामकंडोर्ना कलावड़ खंड के चौड़ीकरण की आधारशिला रखी।
10000 टन स्टील का उपयोग इस पुल को बनाने में हुआ है। ये पुल 152 केबल पर टिका हुआ है। इस पुल को बनाने में 1.5 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट का उपयोग हुआ है, जिसका उपयोग कर 40 से अधिक एफिल टॉवर बनाए जा सकते है। इस पुल का शिलान्यास वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने किया था।