By अंकित सिंह | Aug 22, 2023
कर्नाटक सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को अस्वीकार कर देगी, पुरानी शिक्षा प्रणाली को जारी रखते हुए राज्य के लिए शिक्षा नीति विकसित करने के लिए अब एक समिति स्थापित करने पर सहमत हुई। नई एनईपी को कर्नाटक में पिछले भाजपा प्रशासन द्वारा लागू किया गया था, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, प्रशासन ने इस योजना को रद्द करने का विकल्प चुना। हालांकि, राज्य में इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस सरकार के इस फैसले का केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने विरोध किया है।
अपने बयान में धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि कल, कर्नाटक के डीवाई सीएम डीके शिवकुमार ने घोषणा की कि वे राष्ट्रीय शैक्षिक नीति को रद्द कर देंगे। उन्होंने कहा कि मैं शिवकुमार को बताना चाहता हूं कि उनका तथ्य गलत है, उनका बयान शरारतपूर्ण और प्रतिगामी है। यह भविष्य की ओर नहीं देख रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनईपी 2021 से लागू नहीं है, इसे 2020 से लागू किया गया है। यह कोई राजनीतिक दस्तावेज नहीं है, यह 21वीं सदी के लिए एक दार्शनिक दस्तावेज है। उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ एम सी सुधाकर, प्राथमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा, प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रोफेसर बारागुरु रामचंद्रप्पा और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी सोमवार को इस विषय पर एक बैठक में उपस्थित थे, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने की थी।
बाद में, सीएमओ ने एनईपी की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि चूंकि यह राज्य का विषय है, इसलिए केंद्र सरकार शिक्षा नीति नहीं बना सकती। राष्ट्रीय शिक्षा नीति राज्य सरकारों को विश्वास में लिए बिना बनाई गई है। शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा नहीं थोपी जा सकती है। बयान में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के हवाले से कहा गया है कि "जो (केंद्र द्वारा) थोपा जा रहा है वह एक साजिश है।" इसमें आगे कहा गया कि अन्य भाजपा शासित राज्य भी एनईपी को लागू करने में झिझक रहे हैं। केरल और तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू नहीं करेंगे।