By अंकित सिंह | Jan 13, 2023
कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों पर इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने इस चुनाव में 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। भाजपा कर्नाटक में सत्ता वापसी के लिए पूरी तैयारी में जुटी है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हुबली में इसको लेकर जोर आजमाइश की शुरुआत की जा चुकी है। हालांकि, कर्नाटक चुनाव को लेकर भाजपा के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यही है कि उसे गठबंधन में जाना है या बिना गठबंधन के। लेकिन फिलहाल पार्टी की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि जनता दल सेकुलर के साथ कोई भी गठबंधन की योजना नहीं है। पार्टी अभी से ही इसको लेकर साफ शब्दों में यह कह रही है कि ना तो चुनाव से पहले और ना ही चुनाव के बाद किसी भी तरीके की साझेदारी या गठबंधन जनता दल सेक्युलर के साथ नहीं होगा।
दरअसल, पार्टी की ओर से इस बात को इसलिए भी स्पष्ट किया जा रहा है ताकि जनता के मन में किसी भी तरह का भ्रम ना रहे। कांग्रेस लगातार यह दावा कर रही है कि भाजपा और जेडीएस के बीच मौन गठबंधन हो चुका है। खास करके मैसूर क्षेत्र को लेकर यह दावा किया जा रहा। मैसूर क्षेत्र में भाजपा अपना दबदबा बढ़ाना चाहती है। यहां से 64 विधायक आते हैं। लेकिन अभी उसके पास सिर्फ 13 सीटें ही हैं। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी भाजपा को टेंशन दे दी है। दरअसल, पिछले दिनों पार्टी के कई बड़ी कार्यक्रमों से वह दूर रहे जिसके बाद माना जा रहा है एक कहीं ना कहीं येदियुरप्पा अपनी ताकत को इस चुनाव में दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक में भाजपा खेमों बंटी हुई है। हालांकि पार्टी की ओर से साफ तौर पर इससे इनकार किया जाता रहा है।
पार्टी का मानना है कि बसवराज बोम्मई और बीएस येदियुरप्पा के बीच अच्छे संबंध है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बीएस येदियुरप्पा को हटाकर ही बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया था। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। भाजपा इस समुदाय पर अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा ही नहीं, बल्कि तमाम राजनीतिक दल कर्नाटक के जातीय समीकरण पर भी निर्भर रहते हैं। लेकिन भाजपा को विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता एक बार फिर से राज्य में पार्टी को सत्ता में लाएगी। इसके साथ ही भाजपा दावा कर रही है कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में राज्य में कई विकास कार्य हुए हैं। उनके खिलाफ कोई भी सत्ता विरोधी लहर नहीं है। कर्नाटक के लोग खुश हैं।