By विजयेन्दर शर्मा | Feb 04, 2022
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज करनाल में आयोजित एक कार्यक्रम से साढे 42 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उदघाटन करने के बाद जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि करनाल के विकास के लिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से 1524 करोड रुपये की 85 परियोजनाओं पर काम होना है। इनमें से 42 परियोजनाएं ऐसे हैं, जिनमें से अधिकांश पूरी हो चुकी हैं, शेष 31 मार्च तक पूरी हो जाएंगी। इसके अलावा, 36 परियोजनाओं की डीपीआर बन चुकी है और 7 परियोजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि इन सभी परियोजनाओं के पूरा होने से करनाल शहर का नक्शा बदलेगा। लोगों को सुविधाएं मिलेंगी और उनका जीवन स्तर ओर बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने गरीब लोगों के उत्थान के लिए अंत्योदय मेलों की शुरूआत की है। अब तक पूरे प्रदेश में 272 मेले लगाए जा चुके हैं, जिनसे 90 हजार परिवारों को विभिन्न विभागों की 55 स्कीमो का लाभ दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले कुछ महीनो में प्रदेश की 1250 अनाधिकृत कॉलोनियों को अप्रूव किया जाएगा, जिनमें लोगों को सभी मूलभूत सुविधाएं और विकास का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से प्रदेश के विकास के लिए सैंकडो योजनाएं बनाकर उन्हें क्रियान्वित किया गया है। इन योजनाओं का अनुकरण दूसरे प्रदेशों ने किया है और यहां तक की प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार ने भी हालिया बजट सत्र में हरियाणा में शुरू हुई नई-नई परियोजनाओं का जिक्र किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में डिजिटलाईजेशन को बढ़ावा दिया है, इसके तहत ई-श्रम, मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना में किसानो को ऑनलाईन पेमेंट तथा उद्योगों का पंजीकरण शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त परिवार पहचान पत्र के माध्यम से गरीब परिवारों की पहचान करके उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ बैंको से ऋण दिलवाकर रोजगार से जोड़ा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि करनाल के विकास को लेकर यदि ओर परियोजनाओं की भी जरूरत होगी, उन्हें भी क्रियान्वित करवाया जाएगा।
कम जोत के किसान भी आरएएस तकनीक से कर सकते हैं मछली उत्पादन
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के 53वें स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने री-सर्कुलिंग एक्वा कल्चर सिस्टम की आधारशिला रखी। इस तकनीक के माध्यम से देश में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कम क्षेत्र में अधिक उत्पादन कर सकेंगे।
एक सरकारी प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) एक ऐसी तकनीक है जो पानी के पुन: संचार और पुन:उपयोग पर निर्भर करती है। इससे किसान कम जोत में भी अधिक मछली उत्पादन कर सकते हैं। इस प्रणाली में आयताकार या वृताकार टैंक में कम जगह में अधिक मछली का उत्पादन लिया जा सकता है। इसकी खासियत यह होती है कि इसमे मछली पालन में दूषित हुए पानी को बॉयो फिल्टर टैंक में डाला जाता है फिर इसे फिल्टर करके वापस मछली वाले टैंक में भेज दिया जाता है।
उन्होंने रोजगारोन्मुखी योजनाओं का और अधिक क्रियान्वयन करने व प्राकृतिक खेती को और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए किसानों की आय में वृद्धि पर बल दिया। विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में लगातार कार्यक्रमों की श्रृंखला जारी है।