Kamada Ekadashi: कामदा एकादशी व्रत से मिलते हैं सभी सांसारिक सुख

By प्रज्ञा पाण्डेय | Apr 01, 2023

आज कामदा एकादशी है, इस व्रत के प्रभाव से व्रती को प्रेत योनि से भी मुक्ति मिल जाती है तो आइए हम आपको कामदा एकादशी की पूजा विधि और महत्व के बारे में बताते हैं।

 

जानें कामदा एकादशी के बारे 

 कामदा एकादशी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनायी जाती है। इस बार यह एकादशी 1 अप्रैल दिन शनिवार को है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू संवत्सर की पहली एकादशी होने के कारण भी कामदा एकादशी का खास महत्व होता है। हिन्दू धर्म में एक साल में चौबीस एकादशी का व्रत किया जाता है। हर महीने में दो एकादशी का व्रत होता है एक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तथा दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सम्पन्न किया जाता है। 


कामदा एकादशी व्रत से होने वाले फायदे

कामदा एकादशी के दिन भगवना विष्णु की पूजा–अर्चना की जाती है। पंडितों का मानना है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से न केवल सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से छुटकारा मिलता है बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस व्रत के प्रभाव के कारण इसे इसे फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपके घर में पति या संतान किसी प्रकार की बुरी आदत का शिकार हो तो भी कामदा एकादशी का व्रत करने को कहें, इससे लाभ होगा। 


कामदा एकादशी पर विष्णु जी और शनि देव को प्रसन्न करने का उपाय 

कामदा एकादशी इस बार शनिवार के दिन पड़ रही है, ऐसे में इस दिन तिल का इस्तेमाल जरुर करें. तिल को ज्योतिषशास्त्र में शनि से संबंधित वस्तु बताया गया है जिसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु से हुई है। श्रीहरि, शनि देव और सूर्य देव की पूजा में तिल का विशेष महत्व है। कामदा एकादशी पर सफेद तिल को गंगाजल में मिलाकर विष्णु जी का अभिषेक करें। फिर तिल  युक्त मिठाई का भोग लगाएं। पंडितों का मानना है कि इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और वंश वृद्धि के योग बनते हैं। शनिवार के दिन कामदा एकादशी पर एक मुठ्ठी काले तिल को बहते पानी में प्रवाहित कर दें। साथ ही काले तिल का दान करें। मान्यता है इससे शनि की साढ़ेसाती और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। कामदा एकादशी के दिन दूध में काले तिल में मिलाकर पीपल के पेड़ में चढ़ाएं इससे बुरा वक्त जल्द समाप्त हो जाता है। धन संबंधी समस्या भी खत्म हो जाती है।

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कामदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

कामदा एकादशी से जुड़ी कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक राज्य में नागों के राजा राज्य करते थे उनका नाम पुंडरीक था। उनके दरबार में ललित नामक एक गंधर्व तथा ललिता नाम की एक अप्सरा थी। दोनों आपस में बहुत प्रेम करते थे। एक दिन दरबार में नृत्य संगीत का कार्यक्रम चल रहा है। उस समय  सभा में एक कर्कोटक नाम के नाग देवता भी उपस्थित थे। ललित उस समय नृत्य कर रहा था तभी उसे अपनी पत्नी ललिता की याद आ गयी और वह नृत्य में गलती कर दिया। उसकी इस गलती को कर्कोटक ने पकड़ लिया और राजा पुंडरीक को बता दिया। ललित भी इस गलती पर राजा पुंडरीक बहुत नाराज हुए और उन्होंने ललित को कुरुप राक्षस होने का श्राप दे दिया। इस बात से ललित की पत्नी ललिता बहुत दुखी हुई और अपने पति को इस रूप से मुक्त करने का प्रयास करने लगी। तभी एक मुनि ने ललिता का कामदा एकादशी का व्रत करने को कहा। ललिता ने पूर्ण मनोयोग से यह व्रत किया और इस व्रत के प्रभाव से उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर पहले की तरह सुंदर गंधर्व बन गया। 


कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त 

कामदा एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है, साथ ही इस दिन शनिवार होने से श्रीहरि के साथ व्रती को शनि देव की कृपा भी प्राप्त होगी। शनिवार और एकादशी के योग में काले तिल और तेल का दान जरूर करना चाहिए। इससे शनि की अशुभता दूर होती है और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से जीवन सुखमय बनता है।

रवि योग - 1 अप्रैल 2023, सुबह 06.12 - 2 अप्रैल 2023, सुबह 04.48


कामदा एकादशी के दिन इन नियमों को जरूर जानें

कामदा एकादशी हिन्दुओं का प्रमुख व्रत होने के कारण इसमें कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। कामदा एकादशी का व्रत निर्जला करने की कोशिश करें। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और विष्णु भगवान की पूजा करें। विष्णु भगवान को पीले गेंदे के फूल चढ़ाएं। उसके बाद प्रसाद स्वरूप आम, खरबूजा जैसे मौसमी फल, तिल दूध और पेड़ा भी चढ़ा सकते हैं। साथ ही पूरे दिन भगवान विष्णु का स्मरण कर पूजा-प्रार्थना और कीर्तन करें। ॐ नमो भगवते वासुदेवाये का जाप भी करें। कामदा एकादशी व्रत में ब्राह्माण को भोजन कराने और दान देने का खास महत्व होता है इसलिए ब्राह्माणों को भोजन करा कर दान दें। उसके बाद ही द्वादशी के व्रती पारण करें। 


- प्रज्ञा पाण्डेय

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