By अनन्या मिश्रा | Nov 15, 2023
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिस भी जातक के जन्मांग चक्र में राहु और केतु की स्थिति आमने-सामने होती है। लेकिन जब राहु-केतु के एक तरफ अन्य सात ग्रह हो जाएं, तो दूसरी ओर कोई अन्य ग्रह ना रहें, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग बनता है।
ग्रहों की ऐसी स्थिति बनने पर कुंडली में कालसर्प योग का निर्माण होता है। बता दें कि जातक की कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होने पर कई तरह की मुश्किलें आने लगती हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कालसर्प दोष के लक्षणों और इसके उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
काल सर्प दोष के संकेत
आपको बता दें कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है, उस समय व्यक्ति को कई तरह के संकेत मिलने लगते हैं। ऐसे में समय रहते इन संकेतों की पहचान कर कुछ उपाय किए जा सकते हैं। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष पाया जाता है, उनको नौकरी-व्यापार में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा गृह क्लेश, सपने में सांप अधिक दिखाई देना, कोई फैसला ना ले पाना, शत्रुओं का हावी रहना या फिर किसी कार्य में बाधा आना शामिल है।
काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के उपाय
शिवलिंग पर चढ़ाएं जल
जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष पाया जाता है, उससे मुक्ति पाने के लिए सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल में गंगाजल मिलाकर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ 108 बार करें। इस तरह से लगातार 7 दिन यह उपाय करें। भगवान शिव को चंदन युक्त धूप अर्पित करता है, तो उस व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें
इसके अलावा कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए सोमवार या शिवरात्रि या नागपंचमी के दिन चांदी या सर्प का जोड़ा बनाकर उसे दूध में रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इस उपाय को करने से कालसर्प दोष से निवारण मिल जाता है। इसके अलावा शिवलिंग के सामने बैठकर गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय का जाप करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दोष से मुक्ति पाने के लिए यज्ञोपवीतधारी, सर्प गायत्री का जाप करने वाले ब्राह्मण से मंत्र जाप करवा लाएं। इससे अभिषेक करने से यह दोष दूर होता है।
भगवान कृष्ण की पूजा
इस दोष से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को घर में मोर पंख धारण किए भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा को घर में स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण की रोजाना पूजा की जानी चाहिए। इसके साथ ही 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का नियमित रुप से 108 बार जाप करना चाहिए।