ये हैं मांगेंजूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि हमीदिया अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए बेड बढ़ाए जा रहे हैं, जबकि अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों के लिए स्पेशल इलाज की सुविधा है। ऐसे में अस्पताल आने वाले गरीब नॉन कोविड मरीजों के लिए भी इलाज की सुविधा के लिए जगह रखी जाए। उनका कहना है कि पिछले साल मुख्यमंत्री ने कोरोना वारियर को 10 हजार रुपए प्रतिमाह सम्मान निधि देने का वादा किया था, लेकिन एक साल बाद भी कोरोना वारियर को राशि नहीं मिली। सरकार ने वर्ष 2018 में वादा किया था कि प्रति वर्ष जूनियर डॉक्टरों के मानदेय में 6 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी, लेकिन कुछ नहीं किया गया। जबकि महंगाई बढ़ने के साथ ही पीजी स्टूडेंट् की फीस को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख कर दिया गया। जूनियर डॉक्टर्स की मांग है कि स्पेशलाइजेशन करने आए डॉक्टर्स अपनी पढ़ाई छोड़ कर मरीजों का इलाज करने में जुटे हुए हैं। एक वर्ष से ना तो कुछ सीख-पढ़ पा रहे ना ही रिसर्च कर पा रहे हैं। इसलिए सरकार उनकी पूरी फीस माफ करें। साथ ही कोरोना मरीजों के इलाज में सेवा देने वाले जूनियर डॉक्टरों की सेवा को सरकार बॉन्ड के तहत गांव में एक साल की सेवा देने के बराबर माने।