देहरादून। उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में 18 मार्च को कांग्रेसी बगावत और उससे उपजे पूरे सियासी घटनाक्रमों की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने का निर्णय किया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्य सचिव शत्रुध्न सिंह ने संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए कहा कि यह एक-सदस्यीय न्यायिक आयोग संपूर्ण घटनाक्रम की जांच कर यह पता लगायेगा कि इस प्रकरण में किस-किसने साजिश की।
गत 18 मार्च को राज्य विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित कांग्रेस के नौ विधायकों के हरीश रावत सरकार के खिलाफ खड़े हो जाने से उपजे सियासी तूफान के बाद 27 मार्च को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। हालांकि, करीब दो माह चले इस सियासी नाटक का पटाक्षेप तब हुआ जब उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 10 मई को विधानसभा में कराये गये शक्ति परीक्षण में बहुमत रावत के पक्ष में होने के बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन हटाते हुए उनकी सरकार को बहाल कर दिया था।
मुख्य सचिव ने कहा कि इस न्यायिक आयोग के लिये शर्तें राज्य मंत्रिमंडल की अगली बैठक में तय की जाएगी। मंत्रिमंडल का न्यायिक आयोग बनाने का यह फैसला उस समय आया है, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने स्टिंग सीडी प्रकरण की जांच जारी रखने का निर्णय किया है। हालांकि, प्रदेश मंत्रिमंडल ने पिछले रविवार को इस स्टिंग सीडी प्रकरण की सीबीआइ जांच के लिये जारी की गयी अधिसूचना को वापस लेने और उसकी बजाय उसकी जांच के लिये एक विशेष जांच दल (सिट) गठित करने का फैसला लिया था। प्रदेश में चल रहे सियासी तूफान के बीच आयी इस स्टिंग सीडी में मुख्यमंत्री रावत को कथित तौर पर बागी विधायकों की खरीद-फरोख्त करते दिखाया गया था। इस सीडी के सामने आने से कांग्रेस और भाजपा के बीच पहले से चल रहे आरोपों-प्रत्यारोंपो से गर्म सियासी माहौल में और गर्मी आ गयी थी।