नयी दिल्ली। लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और युवा नेता
जितिन प्रसाद ने बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले इसे भाजपा के लिए फायदे और
कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री
पीयूष गोयल और भाजपा सांसद अनिल बलूनी की मौजूदगी में प्रसाद ने यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान
भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। बलूनी ने इस अवसर पर कहा, ‘‘भाजपा की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर जितिन प्रसाद भाजपा परिवार में शामिल हुए हैं। हम उनका स्वागत करते हैं।’’ इसके बाद गोयल ने उन्हें भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई और पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा को उनके अनुभवों का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘जितिन प्रसाद युवा नेता हैं जो जमीन से जुड़े हैं और लोकप्रिय भी हैं। ऐसे कद्दावर नेता की मैं उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ी भूमिका देखता हूं।’’ भाजपा में शामिल होने के बाद प्रसाद ने पार्टी अध्यक्ष
जेपी नड्डा से मुलाकात की। इससे पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। शाह ने प्रसाद का भाजपा में स्वागत करते हुए विश्वास जताया कि उनके पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में भाजपा को और मजबूती मिलेगी।
पार्टी में ‘‘सम्मान’’ के साथ शामिल करने के लिए प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शाह और नड्डा को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने बहुत विचार-मंथन के बाद यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज से मेरे राजनीतिक जीवन का एक नया अध्याय शुरु हो रहा है।’’ भगवा दल में शामिल होने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अनुभव किया कि अगर देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है तो वह भाजपा ही है। उन्होंने कहा, ‘‘बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र विशेष के होकर रह गए हैं। आज देश हित के लिए कोई दल और नेता सबसे उपयुक्त है और वह मजबूती के साथ खड़ा है तो वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।’’ प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नि:स्वार्थ भाव से भारत की सेवा कर रहे हैं और सभी चुनौतियों का डट कर मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वह जिस नये भारत का निर्माण कर रहे हैं उसमें मुझे भी छोटा सा योगदान आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए करने को मिलेगा। यह विचार करके मैं आज इस निर्णय (भाजपा में शामिल होने के) पर पहुंचा हूं।’’ प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस में रह कर वह जनता के हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे थे इसलिए वहां बने रहने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘अब भाजपा वह माध्यम बनेगी। एक सशक्त संगठन और मजबूत नेतृत्व है यहां, जिसकी आज देश को जरूरत है। मैं इस वक्त ज्यादा बोलना नहीं चाहता, मेरा काम बोलेगा। अब मैं एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा। जो उद्देश्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का है उसको लेकर मैं भाजपा के एक कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा।’’ प्रसाद ऐसे समय में भाजपा में शामिल हुए हैं जब कांग्रेस की पंजाब और राजस्थान इकाइयों में कलह सामने आई है। उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च, 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसमें कांग्रेस प्रियंका गांधी वाद्रा के चेहरे के साथ अपने पुराने वोटबैंक- ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित वर्ग में फिर से पैठ बनाने की कोशिश में है। प्रसाद का जाना कांग्रेस की रणनीति के लिए भी झटका है।
जितिन प्रसाद के पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी भाजपा में जाने की अटकलें थीं। कहा जाता है कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मनाने पर प्रसाद ने उस वक्त भाजपा में जाने का फैसला त्याग दिया था। ज्ञात हो कि जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और संगठनात्मक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। पत्र से जुड़े विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पारित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जिसे लेकर विवाद भी हुआ था। हालांकि बाद में प्रसाद ने कहा था कि उन्हें कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व में पूरा विश्वास है। जितिन प्रसाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के पुत्र हैं जिन्होंने पार्टी में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी थीं। उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा था। जितिन प्रसाद ने 2004 में शाहजहांपुर से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता था और उन्हें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में इस्पात राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने 2009 में धौरहरा सीट से जीत दर्ज की। फिर उन्होंने संप्रग सरकार में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले जितिन प्रसाद को 2014 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में तिलहर सीट से हाथ आजमाया लेकिन इसमें भी उन्हें निराशा ही मिली। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी धौरहरा से वह हार गये थे। उन्हें कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल के लिए कांग्रेस प्रभारी बनाया गया था। वहां राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम दलों के गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई।