झारखंड के सुब्रमण्यम स्वामी कहे जाने वाले सरयू राय की जहां तक बात करें तो सूबे में उनकी छवि बहुत ही ईमानदार नेता की मानी जाती है। बता दें कि राजद नेता और बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद चारा घोटाले के जिस मामले में जेल गये हैं, उस मामले में सबसे पहले राज्य के मंत्री सरयू राय ने वर्ष 1994 में मामला उठाया था। मशहूर चारा घोटाले के अलावा बिटुमन घोटाले का पर्दाफाश भी उन्होंने ही किया था। जनवरी, 2017 में अपनी सरकार द्वारा राज्य की 105 खदानों की लीज को फिर से रिन्यू करने के फैसले की भी सरयू राय ने कड़ी आलोचना की थी। साल 2009 में राय ने खनन घोटाले का खुलासा किया था, जो कि मधु कोड़ा के शासनकाल में हुआ था। पार्टी द्वारा चौथी सूची जारी होने के बाद पार्टी के अंदर विरोध के स्वर काफी उठने लगे हैं। कई नेताओं का कहना है कि दल बदल करने वाले विधायकों और पूर्व विधायकों को तवज्जो मिली है। इनमें पांच वर्तमान और दो पूर्व विधायकों में से दो को छोड़कर सबको टिकट दिया गया है। ऐसे में टिकट नहीं मिलने से नाराज मंगल सिंह सोरेन और कई नेता आने वाले दिनों में आजसू का दामन थाम सकते हैं। भौगोलिक रूप से झारखंड तीन से चार हिस्सों में बंटा है। इनमें एक संथाल परगना है। ये क्षेत्र पश्चिम बंगाल से लगा हुआ है। यहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का वर्चस्व है। जमशेदपुर के आसपास का इलाका कोलहन है। वहीं झारखंड मध्य का हिस्सा छोटा नागपुर के रूप में प्रचलित है। यहां पर कुर्मी वोटरों का प्रभाव है। आजसू के सुदेश महतो का प्रभाव यहीं पर है।
वहीं बात बाबूलाल मरांडी की पार्टी झेवीएम की करें तो कोडरमा, गोड्डा और जमेशदपुर में कुछ हद तक है। झामुमो के अलावा कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल भी प्रमुख खिलाड़ी हैं। कांग्रेस राज्य के गैरसंथाल आदिवासियों के बीच काफ़ी मजबूत है जबकि राजद का आधार उत्तरी झारखंड के ग़ैर-आदिवासियों इलाकों जैसे पलामू, चतरा आदि में है। वहीं सूबे में काबिज बीजेपी की बात करें तो उसकी पहुंच वैसे पूरे प्रदेश यानी इसके तीनों क्षेत्रों में है लेकिन यहां पर बीजेपी हरियाणा के फार्मूले पर काम कर रही है। यानी कि जैसे हरियाणा में सभी पार्टियों का ध्यान जाट वोटरों पर था तो बीजेपी ने गैर-जाट वोटरों पर अपना फोकस किया था। उसी तर्ज पर बीजेपी झारखंड में गैर-आदिवासी वोटरों पर फोकस कर रही है। जिसकी झलक टिकट वितरण में भी देखने को मिल रही है। ऐसे में यह दांव बीजेपी को कितना फायदा पहुंचाता है ये तो वक्त के साथ पता चलेगा।