By अनन्या मिश्रा | Mar 03, 2024
आज के दिन यानी की 03 मार्च को जमशेदजी टाटा का जन्म हुआ था। उनको औद्योगिक साम्राज्य के संस्थापक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने बेहद कम उम्र में व्यवसाय की दुनिया में कदम रखा था। जिसके बाद वह अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गए। जमशेदजी टाटा के बारे में यहां तक कहा जाता है कि उन्होंने ही देश को बड़ा बिजनेस करना सिखाया। उनकी गिनती उन भारतीय उद्यमियों और उद्योगपति में हुई, जो भारतीय उद्योग जगत की अग्रणी श्रेणी में गिने जाते थे।
जन्म और व्यवसाय
गुजरात के नवसारी में 03 मार्च 1839 को जमशेदजी टाटा का जन्म हुआ था। नवसारी वर्तमान समय में दांडी बीच के नाम से जाना जाता है। महज 14 साल की उम्र में जमशेदजी टाटा ने मुंबई की धरती पर कदम रखा। जिसके बाद वह इंडियन कॉरपोरेट के 'भीष्म पितामह' कहलाए। जमशेदजी टाटा की मेहनत और लगन के जरिए वह हर घर में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। रसोई में इस्तेमाल होने वाला नमक हो, या घर बनाने में लगने वाला सरिया या हवाई सफर हर तरफ टाटा का नाम अपनी मौजूदगी दर्ज कराता रहा।
पुजारी का काम करता था परिवार
आपको बता दें कि जमशेदजी टाटा की परिवार लंबे समय से पुजारी का काम करता आ रहा था। लेकिन परिवार के काम को छोड़कर उनके पिता नुसेरवानजी टाटा ने कारोबार की दुनिया में कदम रखा। वहीं 14 साल की उम्र में जमशेदजी ने अपने पिता का रास्ता थामा और बंबई आकर उनके साथ काम में लग गए। इस दौरान काम के साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। ग्रेजुएशन पूरा करने के करीब 10 साल बाद साल 1868 में जमशेदजी टाटा ने अपना पहला वेंचर शुरू किया।
कारोबार की दुनिया में जमाए कदम
बताया जाता है कि जब जमशेदजी ने व्यवसाय की दुनिया में कदम रखा था, तो उस दौर में उन्होंने 21,000 रुपए से ट्रेडिंग कंपनी की शुरुआत की थी। बिजनेस की समझ और व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने इंग्लैंड का रुख किया और वहां जाकर टेक्सटाईल बिजनेस में हाथ आजमाया। फिर भारत वापस आकर साल 1869 में उन्होंने कपड़े का बिजनेस किया। बिजनेस की अच्छी समझ रखने वाले जमशेदजी ने दिवालिया हो चुकी तेल मिल को खरीदा और इसका नाम चेंज कर एलेक्जेंड्रा मिल रख दिया। इस तेल मिल को उन्होंने कॉटन मिल में बदलकर एक स्थानीय व्यापारी के हाथों बेच दिया।
वहीं उन्होंने देश में सिल्क उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मैसूर स्टेट में जमीन खरीदा। इस पर उन्होंने रेशम कीट पालन शुरूकर दिया। कपड़े के उद्योग में हाथ आजमाने के साथ ही उन्होंने टाटा कारोबार को भी लगातार आगे बढ़ाने का काम किया।
भारत को दिलाई पहचान
भारत को पहचान दिलाने में जमशेदजी टाटा ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने टाटा स्टील, ताज होटल और IISC Bangalore जैसे कई संस्थानों की स्थापना की। उनके इन कार्यों से भारत को दुनिया में एक नई पहचान मिली और उन्होंने जमशेदपुर नाम से पहली भारत के औद्योगिक शहर की स्थापना का कार्य किया। इसके अलावा देश को पहली एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस शुरू करने का श्रेय भी जमशेदजी को जाता है।
मृत्यु
साल 1900 में जर्मनी की व्यापारिक यात्रा के दौरान जमशेदजी टाटा गंभीर रूप से बीमार हो गए। जिसके बाद उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता रहा। वहीं 19 मई 1904 को बैड नौहेम में जमशेदजी टाटा की मृत्यु हो गई।