By प्रेस विज्ञप्ति | Sep 02, 2021
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने वर्षा की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि गत 24 घंटे में प्रदेश में 5.2 मि0मी0 औसत वर्षा हुई है, जो सामान्य वर्षा से 8.4 मि0मी0 के सापेक्ष 62 प्रतिशत है। इस प्रकार प्रदेश में 01 जून, 2021 से अब तक 586.1 मि0मी0 औसत वर्षा हुए, जो सामान्य वर्षा 637.3 मि0मी0 के सापेक्ष 92 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि घाघरा-बलिया क्वानों-गोण्डा में खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। प्रदेश के वर्षा से प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू हेतु एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0 तथा पी0ए0सी0 की कुल 66 टीमें तैनाती की गयी है, 5525 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी है तथा 976 मेडिकल टीमें लगायी गयी है। एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0 द्वारा 35986 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
प्रसाद ने बताया कि अब तक कुल 106129 ड्राई राशन किट वितरित किए गये हैं। अब तक कुल 416855 फूड पैकेट वितरित किए गए हैं। प्रदेश में 1131 बाढ़ शरणालय तथा 1321 बाढ़ चौकी स्थापित की गयी है। प्रदेश में अब तक कुल 1175 पशु शिविर स्थापित किये गये हैं। प्रसाद ने बताया कि प्रदेश के जलशक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह जी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर जन-प्रतिनिधियों व अधिकारियों के साथ बैठक की। जलशक्ति मंत्री ने 31 अगस्त, 2021 को बाढ़ से प्रभावित जनपद गोण्डा, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, महाराजगंज, गोरखपुर का हवाई सर्वेक्षण, राहत वितरण, निरीक्षण तथा जन- प्रतिनिधियों व अधिकारियों के साथ बैठक कर राहत कार्यों की समीक्षा की। जलशक्ति मंत्री जी द्वारा निर्देशित किया गया कि बाढ़ प्रभावित ग्रामों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाना सुनिश्चित किया जाय तथा उनके लिए अस्थायी टेन्ट, राहत सामग्री किट, स्वास्थ्य व्यवस्था आदि उपलब्ध कराया जाय। प्रसाद ने बताया कि राप्ती नदी के दांयें तट पर स्थित बसावनपुर रिंग बंध ओवरफ्लो होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया।
उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (केन्द्रीयित) सेवा के अंतर्गत कुलसचिव के 50 प्रतिशत पद, उप कुलसचिव से पदोन्नति के माध्यम से भरे जायेंगे
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तथा माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (केन्द्रीयित) सेवा के अंतर्गत कुलसचिव के 50 प्रतिशत पद उप कुलसचिव से तथा सहायक कुलसचिव के 50 प्रतिशत पद विश्वविद्यालय के कार्यालय अधीक्षक एवं कार्यालय अधीक्षक (लेखा) से पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने की संस्तुति मंत्रिपरिषद द्वारा आज कर दी गई है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (केन्द्रीयित) सेवा नियमावली 1975 के अंतर्गत कुलसचिव, उप कुलसचिव एवं सहायक कुलसचिव वर्तमान कैडर स्ट्रेंथ 140 के सापेक्ष 75 पद भरे हैं तथा 65 पद रिक्त हैं। कुलसचिव के 50 प्रतिशत पदों को पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने का प्राविधान सेवा नियमावली में किए जाने के पश्चात पदोन्नति के कम से कम 02 अवसर पोषक संवर्ग अर्थात सहायक कुलसचिव के पद पर कार्यरत अधिकारियों को वर्तमान 33 प्रतिशत प्राविधान के सापेक्ष प्राप्त होंगे। इससे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अनुभव का पूर्ण उपयोग कुलसचिव के शीर्ष पद पर तैनाती के फलस्वरूप विश्वविद्यालय को प्राप्त हो सकेगा।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्य तेजी से होने से शिक्षा की गुणात्मक विकास में अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो सकेगा। इससे संबद्धता के प्रकरणों के निस्तारण, समय से छात्रों के प्रवेश तथा परीक्षा संपन्न कराकर परिणाम समय पर घोषित करने, अंक पत्रों तथा प्रमाण पत्रों का शीघ्रतापूर्वक निर्गत होने जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्य तेजी से हो सकेगा।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य चन्दन मित्रा के निधन पर व्यक्त किया गहरा शोक
उप्र के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य चन्दन मित्रा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मौर्य ने अपने शोक संवेदना व्यक्त करते हुये कहा है कि स्वर्गीय चन्दन मित्रा को पत्रकारिता व राजनीति के क्षेत्र में उनके अतुलनीय व उत्कृष्ट योगदान को सदैव याद किया जाता रहेगा। उन्होने पत्रकारिता के उच्च मानदण्ड स्थापित किये और अपनी लेखनी के माध्यम से राष्ट्र व समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके निधन से पत्रकारिता जगत के लिये अपूर्णीय क्षति हुयी है। उन्होने मीडिया के साथ-साथ राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनायी और लम्बे समय तक समाज सेवा में भी जुड़े रहे।
केशव प्रसाद मौर्य ने शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुये, दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है और कहा है कि प्रभू! दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा शोकाकुल परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
‘‘वैज्ञानिकों की बात-किसानों के साथ’’ विषय पर शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों ने प्रदेश के किसानों से किया सीधा संवाद
उत्तर प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री, सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि बदलते परिवेश में आज खेती-किसानी में उन्नत तकनीकी की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिये कृषि विभाग के सौजन्य से ‘‘वैज्ञानिकों की बात-किसानों के साथ’’ विषय पर शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों के साथ प्रदेश भर के किसानों द्वारा सीधा संवाद किया गया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों एवं किसानों के बीच हुये इस संवाद का लाभ सिर्फ उत्तर प्रदेश के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के किसानों को होगा। शाही आज योजना भवन स्थित वीडियो कांफ्रेंसिंग हाल में प्रदेश के सभी 75 जनपदों में एन0आई0सी0 केन्द्र में उपस्थित महिला एवं पुरूष किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ‘‘वैज्ञानिकों की बात-किसानों के साथ’’ विषय पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के किसानों को जागरूक करने का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि करने के लिये आवश्यक है कि कृषि की लागत में कमी लायी जाय। उन्होंने कृषि लागत में कमी लाने के लिये कृषि की उन्नत तकनीकों एवं कृषि यंत्रों के प्रयोग को बढ़ावा दिये जाने पर जोर दिया।
कृषि मंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि कृषि उत्पादों को पारम्परिक तौर पर न बेचकर इन्हें विभिन्न उप उत्पादों के रूप में प्रसंस्कृत करते हुये वैल्यू एडीशन कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस अभिनव प्रयोग का उद्देश्य जहां एक ओर किसानों की आय में वृद्धि करना है, वहीं दूसरी ओर किसानों को आत्मनिर्भर बनाना भी है। उन्होंने कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में भी फसल उत्पादन में हुई अभूतपूर्व वृद्धि के लिए प्रदेश के किसानों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने किसानों को सम्बोधित करते हुये कहा कि इन विषम परिस्थितियों में भी सरकार सदैव आपके साथ रही है, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गयी डेढ़ गुना वृद्धि तथा खाद एवं बीजों पर अनुदान वृद्धि के माध्यम से आपको आर्थिक मदद देने का प्रयास किया गया है। राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार किसानों की आय बढ़ाये जाने के लिए सदैव कृत संकल्पित रही है।
अपर मुख्य सचिव कृषि, डॉ0 देवेश चतुर्वेदी ने पराली प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में किसान फसल अवशेष खेतों में न जलायें। उन्हांेने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने से जहां एक ओर पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ता हैं, वहीं दूसरी ओर मृदा के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है और फसल उत्पादन भी घटता है। उन्होंने किसानों से अपील की कि कोई भी कृषि रक्षा रसायन क्रय करने के समय विक्रेता से रसीद अनिवार्य रूप से लें। उन्होंने किसानों को दलहन-तिलहन के उत्पादन पर जोर देते हुये कहा कि दलहन-तिलहन की कीमतों में काफी वृद्धि हुयी है, जिसका अर्थ है कि मांग के अनुरूप उत्पादन कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त औद्यानिक फसलों के उत्पादन को भी बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ0 दीपक राय ने खरीफ फसल रोग नियंत्रण एवं कीट प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुये रक्षा रसायनों के संतुलित प्रयोग के विषय में बताया। संयुक्त कृषि निदेशक (अभियंत्रण), नीरज श्रीवास्तव ने पराली प्रबंधन एवं रबी की खेती में नवीन कृषि यंत्रों के प्रयोग से खेती की लागत को कम करने के तरीके बताए गये। भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ0 नरेन्द्र कुमार ने रबी के दलहनी फसलों के उत्पादन, तकनीक, विभिन्न प्रजातियों तथा फसल सुरक्षा एवं खरपतवार नियंत्रण आदि के बारे में विस्तार से बताया। डा0 प्रसून वर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर द्वारा दलहन के मूल्य संवर्द्धन विषय पर जानकारी देते हुये बताया गया कि संस्थान के द्वारा विकसित लघु दाल मिल का प्रयोग कर दालों के मूल्य का संवर्द्धन किया जा सकता है।
निदेशक उद्यान, डॉ0 आर0के0 तोमर के द्वारा उद्यान विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। नाबार्ड से आये श्री विवेक रघुवंशी ने नाबार्ड द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में किसानों को बताया। पशुपालन विभाग से डॉ0 ए0के0 सिंह ने पशुपालन विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। निदेशक, कृषि सांख्यिकी एवं फसल बीमा, श्री राजेश कुमार गुप्ता ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी।
प्रदेश के विभिन्न किसानों द्वारा वैज्ञानिकों से अपनी जिज्ञासा के समाधान हेतु कई सवाल भी पूछे गए। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की जिज्ञासा का समाधान करते हुए उन्हें पराली प्रबंधन, फसल रोग नियंत्रण हेतु कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग, कृषि क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग, कृषि विविधीकरण, पशुपालन एवं फल तथा सब्जी उत्पादन के बारे में विस्तार से बताया गया।
महिला आयोग उपाध्यक्ष सुषमा सिंह जनपद बागपत के दो दिवसीय दौरे पर
सुषमा सिंह, उपाध्यक्ष, उप्र, राज्य महिला आयोग का दिनांक 03 सितम्बर, 2021 को जनपद बागपत ‘मिशन शक्ति तृतीय चरण’ के अन्तर्गत महिला कल्याण विभाग एवं बाल विकास सेवा पुष्टाहार विभाग द्वारा संयुक्त कार्ययोजना के अन्तर्गत जनता वैदिक इंटर कॉलेज टटीरी में 11-00 बजे से कानूनी जागरुकता अभियान कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा तथा 3ः00 बजे से स्वास्थ्य विभाग, प्रोबेशन विभाग, महिला कल्याण विभाग आदि संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे 4 सितंबर को महिला आयोग उपाध्यक्ष श्रीमती सुषमा सिंह 11ः00 बजे से विकास भवन सभागार में महिलाओं की जन सुनवाई करेंगी।
250250 पुल-पुलियों का जीर्णोंद्धार एवं नवनिर्माण का कार्य प्रगति पर
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा विभिन्न नहरों पर निर्मित लगभग 70, 000 पुल-पुलियों की मरम्मत एवं जीर्णोद्धार के लिए इस वर्ष 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इस धनराशि से 250250 पुल-पुलियों का जीर्णोंद्धार एवं नव निर्माण किये जाने का अभियान प्रगति पर है। इसके लिए 100 दिन की समय सीमा निर्धारित की गई है।
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुल-पुलियों का जीर्णोंद्धार, पुनर्निर्माण हेतु प्रदेशव्यापी कार्यक्रम विभाग में पहली बार शुरू किया गया है। पूर्व में इनकी मरम्मत एवं रखरखाव के लिए कोई धनराशि सिंचाई विभाग द्वारा अलग से रखी नहीं जाती थी। पहली बार 300 करोड़ रुपये की धनराशि की व्यवस्था की गई है। अगले वर्षों में भी यही कार्यक्रम इसी प्रकार चलाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि नहर प्रणालियों पर निर्मित हजारों पुल एवं पुलियां बहुत ही पुराने हैं और काफी जीर्ण-शीर्ण एवं जर्जर दशा में है। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के आवागमन तथा किसानों को अपने उत्पाद लाने ले जाने में असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसको दृष्टिगत रखते हुए विभाग द्वारा इनकी मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है।
गोरखपुर में महायोगी गुरू गोरक्षनाथ रामघाट तथा राजघाट का निर्माण
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा गोरखपुर शहर राप्ती नदी के बायें तट पर स्थित है। भगवान शिव के साक्षात स्वरूप बाबा गोरक्षनाथ की तपोभूमि का मंदिर भी यहीं स्थित है। श्रद्धालुओं के स्नान, ध्यान और पूजा-पाठ एवं दाहसंस्कार हेतु घाट का निर्माण जन समुदाय हेतु 27.8571 करोड़ रुपये की लागत से महायोगी गुरू गोरक्षनाथ रामघाट का निर्माण कराया गया है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार गोरखपुर में ही राजघाट का निर्माण कराया गया है। यहां सपीमवर्ती जिलों से दाहसंस्कार के लिए लोगों का आना-जाना लगा रहता है। यहां पर आने वाले परिजनों को बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए 4.99 करोड़ रुपये की लागत से राजघाट का निर्माण कराया गया है।
गन्ना आयुक्त ने लिया किसानों के सुझावों का त्वरित संज्ञान
प्रदेश के गन्ना किसानों को बेहतर डिजिटल सुविधा प्रदान करने, उनके समय तथा धन की बचत कराने एवं कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने के दृष्टिगत ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरे जाने की सुविधा ई.आर.पी. की वेबसाइट मदुनपतलण्बंदमनचण्पद पर गन्ना विकास विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी है। गन्ना किसानों को ऑनलाइन घोषणा-पत्रों को भरे जाने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने हेतु परिक्षेत्रीय अधिकारियों को समय-समय पर विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में परिक्षेत्रीय अधिकारियों के साथ हुए विचार-विमर्श एवं किसानों के सुझावों के आधार पर ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरने की प्रकिया को और सरल किया गया है।
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरते समय की जटिल प्रक्रिया को सरलीकृत करने एवं कृषकों की सुविधाओं के दृष्टिगत कृषकों को संषोधन का विकल्प दिया गया है। किसानों से प्राप्त सुझावों के आधार पर राजस्व भूमि के प्रमाण के रूप में खतौनी अपलोड़ करने की व्यवस्था को कृषक हित में समाप्त कर दिया गया है, साथ ही आधार कार्ड के 04 अंकों के माध्यम से फार्म ओपन करने वाले कृषकों के फार्म में डाक्यूमंेट अपलोड के सेक्शन को भी डिसेबल करने का निर्णय गन्ना आयुक्त द्वारा लिया गया है। उन्होंने बताया कि कृषकों को ई.आर.पी. पर ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरने हेतु कई संशोधन कराये गये हैं जिसके तहत सॉफ्टवेयर की कठिन भाषाओं को और सरल किया गया है जैसे आटम के स्थान पर ’’शरदकालीन’’, शेयर प्रतिशत के स्थान पर ’’कृषक अंश’’, गन्ना जाति के स्थान पर ’’गन्ना किस्म’’, खसरा संख्या के स्थान पर ’’खतौनी खाता संख्या’’ आदि सरल एवं व्यवहारिक शब्दों का प्रयोग कृषक हित में किया गया है। गन्ना कृषकों को घोषणा-पत्र में संशोधन के दौरान ग्राम संशोधन की व्यवस्था भी प्रदान की गयी है। भू-जोत (ब्स्।) का कृषक अंश यथा 1/3, 1/4 के रूप में दर्ज करने का विकल्प भी गन्ना किसानों को ई.आर.पी. सॉफ्टवेयर में उपलब्ध कराया जाएगा। घोषणा-पत्र में गन्ना क्षेत्रफल की इकाई हेक्टेअर में दी गयी है तथा डेशबोर्ड पर घोषणा-पत्र भरे जाने की स्थिति जोन, जिला आदि को भी दर्शाया गया है। ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरते समय ट्रान्सफर एंट्री (पाही काष्त) हेतु ग्राम बदलने एवं एक से अधिक ग्राम दर्ज करने व्यवस्था भी किसानों को घोषणा-पत्र भरने के दौरान प्रदान की गयी है। गन्ना आयुक्त ने यह भी बताया कि प्रदेश के गन्ना किसानों के लिये गन्ना आपूर्ति के प्रत्येक चरण को पारदर्शी एवं सुविधायुक्त बनाने हेतु शासन से प्राप्त निर्देशों के क्रम में घोषणा-पत्र भरने में सहूलियत दी जा रही हैं। घोषणा-पत्र भरने से जुड़ी व्यवस्थाओं के सरलीकरण से विभागीय कार्मिकों के साथ-साथ गन्ना किसानों को काफी राहत पहुंचेगी।
मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत 70838 उथले नलकूप का निर्माण
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराकर कृषि उत्पादन बढ़ाये जाने के लिए कटिबद्ध है। इसी दिशा में कार्य करते हुए राज्य सरकार पठारी क्षेत्रों तथा अधिक गहराई वाले इलाकों में बोरिंग कराकर किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध करा रही है। इसके तहत उथले नलकूप/निःशुल्क बोरिंग योजनान्तर्गत लघु/सीमान्त श्रेणी के कृषकों को 110 मि0मी0 व्यास के पी0वी0सी0 पाइप से 30 मी0 गहराई तक के उथले नलकूपों का निर्माण कराकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के घटक ’’हर खेत को पानी’’ के अन्तर्गत कुल 11866 एवं मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत कुल 70838 उथले नलकूप का निर्माण किया गया है। लघु सिंचाई विभाग से उपलब्ध जानकारी के अनुसार गहरी बोरिंग योजनान्तर्गत सभी श्रेणी के कृषक पात्र हैं। उक्त बोरिंग में 61 से 90 मी0 गहराई की बोरिंग की जाती है। बोरिंग क्रियाशील होने के उपरान्त प्रति बोरिंग लगभग 12 हेक्टेयर खेत सिचिंत होता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के घटक ’’हर खेत को पानी’’ के अन्तर्गत कुल 32 एवं मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत कुल 486 गहरी बोरिंग पूर्ण करा ली गयी है।
राज्य सड़क निधि योजना के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों के 26 मार्गों के चालू कार्यों हेतु रू0 16 करोड़ 74 लाख 47 हजार की धनराशि की गयी आवंटित
उप्र के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में राज्य सड़क निधि योजना के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों के 26 मार्गों के चालू कार्यों हेतु रू0 16 करोड़ 74 लाख 47 हजार की धनराशि का आवंटन उ0प्र0 शासन द्वारा किया गया है। इस सम्बन्ध में आवश्यक शासनादेश उ0प्र0 शासन लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है।
इन 26 चालू कार्यों में जनपद सीतापुर में 11, झांसी व जौनपुर में 4-4 तथा सहारनपुर, जालौन, कन्नौज, रायबरेली, बरेली, अलीगढ़ व बुलन्दशहर में 01-01 कार्य सम्मिलित हैं। जारी शासनादेश में आवंटित धनराशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र बजट मैनुअल के प्राविधानों के अनुसार अनिवार्य रूप से उ0प्र0 शासन को प्रेषित किया जाय तथा अवशेष कार्यों को पूर्ण कराते हुये पूर्णता प्रमाण-पत्र एवं फोटोग्राफ्स शासन को उपलब्ध कराया जाय।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने निर्देश दिये हैं कि इन कार्यों में वित्तीय नियमों का अक्षरसः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय तथा जारी शासनादेशों में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का अनुपालन हर हाल हो।
स्वाती सिंह द्वारा माहवारी स्वच्छता प्रबंधन कार्यक्रम का संचालन का शुभारम्भ किया जायेगा
विन्ध्यांचल मण्डल के उपनिदेशक मत्स्य को प्रयागराज मण्डल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया
उत्तर प्रदेश शासन ने शासकीय कार्यहित में राजकीय कार्यों के सुचारू संचालन हेतु मुकेश कुमार सारंग, उप निदेशक, मत्स्य, विन्ध्यांचल मण्डल, मीरजापुर को उनके वर्तमान पद के साथ ही उप निदेशक मत्स्य, प्रयागराज मण्डल के रिक्त पद का अतिरिक्त प्रभार बिना किसी अतिरिक्त वेतन व भत्ते दिये जाने के आदेश दिए है। मत्स्य विभाग द्वारा इस सम्बन्ध ने आवश्यक आदेश जारी कर दिया गया है।
05 सितम्बर से 15 सितम्बर के मध्य सम्पन्न होने वाले वितरण के सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना हेतु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 में आच्छादित अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी राशन कार्डधारकों से सम्बद्ध यूनिटों पर माह जुलाई, 2021 से नवम्बर, 2021 के लिए 05 किग्रा0 प्रति यूनिट की मात्रानुसार निःशुल्क खाद्यान्न का आवंटन किया गया है। इसी क्रम में माह सितम्बर, 2021 में सम्पन्न होने वाले प्रथम चक्र में आगामी 05 सितम्बर से 15 सितम्बर, 2021 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत आवंटित खाद्यान्न के वितरण के सम्बन्ध में आवश्यक वस्तुओं का वितरण, सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन, आवश्यक वस्तुओं के वितरण का सत्यापन के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
यह जानकारी अपर खाद्य आयुक्त, अनिल कुमार दुबे ने आज यहां देते हुए बताया कि इस अवधि में अन्त्योदय तथा पात्र गृहस्थी कार्डधारकों से सम्बद्ध यूनिटों पर 05 किग्रा0 खाद्यान्न प्रति यूनिट (03 किग्रा0 गेहूँ व 02 किग्रा0 चावल) का मुफ्त वितरण किया जायेगा। राशन कार्डधारकों को पोर्टेबिलिटी के तहत खाद्यान्न प्राप्त करने की सुविधा अनुमन्य रहेगी। उन्होंने बताया कि वितरण की अन्तिम तिथि 15 सितम्बर, 2021 होगी, जिस दिन आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से खाद्यान्न प्राप्त न कर सकने वाले उपभोक्ताओं हेतु मोबाइल ओ.टी.पी. वेरीफिकेशन के माध्यम से वितरण सम्पन्न किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि मोबाइल ओ.टी.पी. वेरीफिकेशन के माध्यम से सम्पन्न होने वाले वितरण के समय कार्डधारक से आधार प्रमाणीकरण न होने का कारण तथा उसका/परिवार के किसी अन्य सदस्य का मोबाइल नम्बर संरक्षित किया जाएगा तथा पूर्ति निरीक्षक द्वारा उस मोबाइल नम्बर की पुष्टि सुनिश्चित करते हुए कार्डधारक के उस मोबाइल नम्बर को राशनकार्ड मैनेजमेंट सिस्टम में लाभार्थी के डाटाबेस में फीड कराया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। इस मोबाइल नम्बर का प्रयोग मोबाइल ओ.टी.पी. वेरीफिकेशन हेतु किया जाएगा तथा प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी पात्र लाभार्थी खाद्यान्न प्राप्ति से वंचित न रहें। अपर आयुक्त ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक उचित दर दुकान पर आवश्यक वस्तुओं के वितरण का एक रोस्टर निर्धारित किया जायेगा, ताकि उचित दर दुकानों पर भारी भीड़ एकट्ठी न हो और उपभोक्ताओं को अनावश्यक देर तक प्रतीक्षा करने की असुविधा का सामना न करना पड़े। सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के लिए दो उपभोक्ताओं के मध्य कम से कम 02 गज की दूरी रखी जाएगी। अपर खाद्य आयुक्त ने बताया कि जाँच में अनियमितता पाये जाने की स्थिति में सम्बन्धित दोषी विक्रेता के विरूद्ध कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
सहकारिता मंत्री ने पीसीयू भवन के चतुर्थ तल का कराये गये जीर्णोद्वार व आधुनिकीकरण का उद्घाटन किया
उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट विहारी वर्मा ने आज सहकारिता भवन स्थिति पीसीयू भवन के चतुर्थ तल का कराये गये जीर्णोद्वार व आधुनिकीकरण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर वर्मा ने कहा कि पीसीयू भवन के चतुर्थ तल के जीर्णोद्वार व आधुनिकीकरण बहुत ही बेहतर ढंग से किया गया है, अब भवन के चतुर्थ तल पर कार्यालय मे अधिकारी व कर्मचारी आसानी से सरकारी कार्य को बेहतर ढंग से करेंगे। वर्मा ने कहा कि कार्यालय में व्यवस्था बेहतर होती है तो विभागीय कार्यों को आसानी से करेंगे जिससे विभागीय कार्य नियमानुसार निर्धारित समय में सम्पादित किये जा सकेगे। उन्होंने कहा कि अधिकारी/कर्मचारी विभागीय कार्य समय से करते हुए विभाग को प्रगति के पथ पर ले जाने का काम करेंगे। इस अवसर पर प्रमुख सचिव सहकारिता/आयुक्त एवं निबन्धक श्री बी0एल0 मीणा, विशेष सचिव सहकारिता संदीप कौर, तथा सभी शीर्ष संस्थाओं के प्रबन्ध निदेशक सहित अन्य सम्बधित अधिकारी आदि उपस्थित रहें।
प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा पहली बार सम सेमेस्टर/वार्षिक परीक्षा-2021 का ऑनलाइन आयोजन
केन्द्र सरकार के ‘‘डिजिटल इण्डिया‘‘ अभियान से प्रेरित एवं प्रदेश सरकार की मंशा के अनुसार पहली बार प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा सम सेमेस्टर/वार्षिक परीक्षा-2021 का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से प्रारंभ कराया गया। परीक्षा में कुल 285660 परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं। यह परीक्षा 18-08-2021 से 24-09-2021 के मध्य संपादित हो रही है। यह जानकारी प्राविधिक शिक्षा परिषद के सचिव, सुनील कुमार सोनकर ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन परीक्षा को कुल 4 चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण की परीक्षा 18-8-2021 से 27-8-2021 के मध्य सुचारू रूप से संपन्न हुई, जिसमें सेमेस्टर पद्धति के अंतिम सेमेस्टर एवं वार्षिक पद्धति के इण्डस्ट्रियल सेफ्टी पाठ्यक्रम के 55095 परीक्षार्थी पंजीकृत थे, परीक्षा में कुल 96.5 प्रतिशत परीक्षार्थी सम्मिलित हुए हैं। वहीं द्वितीय चरण की परीक्षा जो 28-8-2021 से 04-09-2021 के मध्य संपन्न होगी, जिसमें वार्षिक पद्धति के अंतर्गत फार्मेसी पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के कुल 59978 परीक्षार्थी सम्मिलित होंगे। तीसरे चरण की परीक्षा 05-09-2021 से 18-9-2021 के मध्य संपन्न होगी, जिसमें सेमेस्टर पद्धति के अंतर्गत (द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर) के 120000 परीक्षार्थी सम्मिलित होंगे। इसी प्रकार चौथा एवं अंतिम चरण जिसकी परीक्षा 19-09-2021 से 24-09-2021 के मध्य तक संपन्न होगी, इस परीक्षा में वार्षिक पद्धति के अंतर्गत फार्मेसी पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के 56020 परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित होंगे।
सोनकर ने बताया कि परीक्षा के नकलविहीन एवं शुचितापूर्ण संचालन हेतु राजकीय एवं अनुदानित संस्थाओं में कार्यरत् विभागाध्यक्षों एवं व्याख्यातों को प्रॉक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है। इस परीक्षा में कुल 996 प्रॉक्टर नियुक्त किये गये है। एक प्रॉक्टर आवंटित 30 परीक्षार्थियों की निगरानी/मॉनिटरिंग कर रहा है। प्रत्येक प्रॉक्टर को आवंटित परीक्षार्थियों की मॉनिटरिंग हेतु परीक्षा के दौरान उसकी लाइव वीडियो देखने के साथ-साथ संदेह की स्थिति में परीक्षा कक्ष (जहां पर परीक्षार्थी परीक्षा दे रहा है) को स्कैन कराने की सुविधा प्रदान की गयी है। प्रॉक्टर द्वारा परीक्षार्थी की संदिग्ध गतिविधियों के दृष्टिगत चैट के माध्यम से लिखित चेतावनी निर्गत करने के साथ ही उसकी परीक्षा को 5-5 मिनट के लिए रोका भी जा सकता है। चैट के माध्यम से लिखित चेतावनी निर्गत किये जाने एवं 5-5 मिनट परीक्षा को रोकने के उपरांत भी यदि परीक्षार्थी की गतिविधियां संदिग्ध रहती है अथवा अनुचित साधन प्रयोग में लिप्त पाया जाता है तो प्रॉक्टर संबंधित परीक्षार्थी को अनुचित साधन प्रयोग में आरोपित करके सुपर प्रॉक्टर को परीक्षार्थी की परीक्षा को टर्मीनेट/निरस्त किये जाने की संस्तुति कर सकता है। परीक्षा टर्मीनेट/निरस्त किये जाने की संस्तुति के उपरांत सुपर प्रॉक्टर को परीक्षणोपरंात संबंधित परीक्षार्थी की परीक्षा टर्मीनेट/निरस्त किये जाने का अधिकार है।
अब तक की परीक्षा में कुल 2194 परीक्षार्थी अनुचित साधन के प्रयोग में चिन्हित किये गये हैं तथा 487 परीक्षार्थियों को संबंधित पाली की परीक्षा से टर्मीनेट/निरस्त भी किया गया है। प्रत्येक प्रॉक्टर की निगरानी हेतु कुल 85 सुपर प्रॉक्टर/नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गये हैं। सुपर प्रॉक्टर द्वारा प्रॉक्टर्स की मॉनिटरिंग/निगरानी लगातार की जा रही है कि वे अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक ढ़ंग से कर रहे हैं अथवा नहीं। साथ ही साथ सुपर प्रॉक्टर संपूर्ण प्रदेश के किसी भी परीक्षार्थी को भी मॉनिटर कर सकता है।
दिव्यांगजन शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना हेतु ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया प्रारम्भ
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांगजन शादी-विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अर्न्तगत पात्र लाभार्थियों हेतु ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गयी है। इस योजना के तहत दम्पत्ति में युवक के दिव्यांग होने की दशा में 15,000 रूपये व युवती के दिव्यांग होने की दशा में 20,000 रूपये तथा युवक-युवती दोनो के दिव्यांग होने की दशा में 35,000 रूपये दिये जाने का प्राविधान है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार शादी के समय युवक की आयु 21 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक न हो, एवं युवती की उम्र 18 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक न हों। दम्पत्ति में कोई आयकर दाता न हो। मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा प्रदत्त दिव्यांगता प्रमाण पत्र के अनुसार दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक होनी चाहिए। ऐसे दिव्यांग दम्पत्ति ही पात्र होगें जिनका विवाह गत वित्तीय वर्ष एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष में हुआ हो।
दिव्यांग शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त करने के इच्छुक दिव्यांग दम्पत्ति आनलाइन आवेदन करें। आनलाइन फार्म भरते समय आवेदक दम्पत्ति की दिव्यांगता प्रदर्शित करने वाला संयुक्त नवीनतम फोटो , रजिस्ट्रार द्वारा निर्गत विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र, आय व जाति प्रमाण पत्र ,युवक एवं युवती का आयु प्रमाण-पत्र (जिसमें जन्मतिथि का अंकन हो) मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा निर्गत दिव्यांगता प्रमाण-पत्र, राष्ट्रीयकृत बैंक में संचालित संयुक्त खाता, अधिवास का प्रमाण-पत्र, एवं युवक एवं युवती के आधार कार्ड की छायाप्रति आदि अभिलेखों के साथ आवेदन आनलाइन करना अनिवार्य है। साथ ही आनलाइन सबमिट आवेदन पत्र का प्रिंट एवं वांछित प्रपत्रों की स्वप्रमाणित हार्डकापी सम्बंधित जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण कार्यालय में जमा करना होगा।
डॉ. शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय परिसर में कोविड-19 द्वितीय टीकाकरण उत्सव का हुआ आयोजन
प्रदेश के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय परिसर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा, लखनऊ के सौजन्य से कोविड-19 द्वितीय टीकाकरण उत्सव का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय में कार्यरत 18 वर्ष से 44 वर्ष तक एवं 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के शिक्षकवृन्द एवं गैर-शिक्षकवृन्द तथा उनके कुटुम्ब के सदस्यों के टीकाकरण हेतु विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में वर्कप्लेस कोविड वैक्सीनेशन सेन्टर (सीवीसी) सत्र का आयोजन करते हुए ऑन-द-स्पाट रजिस्टेªशन कराते हुए टीकाकरण किया गया। 18 वर्ष से 44 वर्ष तक के 450 एवं 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के 70 कार्मिक/शिक्षकवृन्द एवं उनके कुटुम्ब के सदस्यों द्वारा टीकाकरण कराया गया।
विश्वविद्यालय परिसर में पूर्व में 05 जून, 2021 को प्रथम टीकाकरण उत्सव का आयोजन किया गया था, जिसमें 18 वर्ष से 44 वर्ष के 200 एवं 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के 36 कार्मिक/शिक्षकवृन्द एवं उनके कुटुम्ब के सदस्यों द्वारा टीकाकरण कराया गया था। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के संक्रमण के प्रभाव को नियंत्रित करने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर टीकाकरण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में विश्वविद्यालय स्तर पर शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक सदस्यों एवं उनके कुटुम्ब के सदस्यों के टीकाकरण हेतु विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा समय-समय पर टीकाकरण हेतु अपील की जा रही है।
विश्नोई जाति को पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल किये जाने हेतु आयोग द्वारा होगा सर्वेक्षण
प्रदेश में निवास करने वाले विश्नोई जाति के लोगों को उत्तर प्रदेश के अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल किये जाने के अनुरोध पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री जसवन्त सैनी के निर्देश पर शोध दल द्वारा सर्वेक्षण कराये जाने का निर्णय लिया गया है। यह जानकारी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सचिव, अर्चना गहरवार ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में निवासरत विश्नोई जाति के सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक एवं राजनैतिक अध्ययन के लिए आयोग के शोध दल का भ्रमण कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। निर्धारित भ्रमण कार्यक्रम के अनुसार कृष्ण कुमार, शोध अधिकारी, देवर्षि कुमार चौधरी, अपर शोध अधिकारी एवं राधेकृष्ण, अपर शोध अधिकारी द्वारा आगामी 13 सितम्बर, 2021 से 17 सितम्बर, 2021 तक जनपद मुरादाबाद का सर्वेक्षण किया जायेगा।
कानपुर-टुण्डला रेल सेक्शन के सम्पार संख्या-43 पर बना आरओबी आम जनता के लिये साबित हो रहा है वरदान
उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम देश प्रदेश व विश्व के अनेक देशों में सेतुओं के निर्माण में एक प्रतिष्ठित संस्था है, जिसने देश के विभिन्न राज्यों में अनेक सेतुओं का निर्माण कर नये कीर्तिमान स्थापित किया है। राज्य सेतु निगम अपनी ख्याति के अनुरूप अभी भी सेतुओं के निर्माण में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है। उप्र राज्य सेतु निगम द्वारा जनपद फिरोजाबाद में उखरेण्ड-भदान मार्ग पर कानपुर-टुण्डला रेल सेक्शन के सम्पार संख्या-43 पर बना आर0ओ0बी0 आम जनता के लिये वरदान साबित हो रहा है। रू0 45 करोड़ 30 लाख 67 हजार की लागत से पूरी की गयी इस परियोजना की कुल लम्बाई 937.21 मी0 है तथा पहुंच मार्ग की लम्बाई 880.71 मी0 है।
जनपद फिरोजाबाद के सिरसागंज विधानसभा क्षेत्र में बनाये गये इस 02 लेन उपरिगामी सेतु के निर्माण की लम्बे समय से जनता द्वारा मांग की जा रही थी। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इसके निर्माण की आवश्यकता को गम्भीरता से लेते हुये इसको बनाने के निर्देश दिये और फरवरी 2019 में कार्य प्रारम्भ हुआ। निगम के अधिकारियों द्वारा अनवरत प्रयास करके इसे पूरा किया गया और सर्विस रोड का कार्य भी प्रगति पर है। इस आरओबी के बनने से पूर्व एनएच-2 से भदान रेलवे स्टेशन के निकट की क्रासिंग पर दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक होने के कारण ट्रेनों का आवागमन होता रहता है और जाम की स्थिति बनी रहती थी। इस क्रासिंग पर रेल उपरिगामी सेतु के बन जाने से जाम की समस्या से बहुत बड़ी निजात मिली है। यह परियोजना डेडीकेटेड फ्रन्ट कॉरीडोर योजना पर होने के कारण भारत सरकार की भी प्राथमिकता में थी। उ0प्र0 राज्य सेतु निगम लि0 आगरा अंचल द्वारा बनाए गए इस आर0ओ0बी0 की क्षेत्रीय जनमानस में बेहद सराहना हो रही है।