By अंकित सिंह | Sep 21, 2023
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'यह अपमान है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति नई संसद के उद्घाटन में मौजूद नहीं थे।' धनखड़ ने कहा, "हम कमियों पर समझौता नहीं कर सकते। हम दूसरों की अज्ञानता का व्यापार नहीं कर सकते। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को देश में सर्वोच्च सम्मान दिया गया है। कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं हुआ है।" उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति अथवा चेयरमैन का पद अपेक्षानुसार उनके स्तर का ही रखना होगा और वही किया गया। और पिछले तीन दिनों में भी आपने यही देखा है।
जगदीप धनखड़ ने प्रमुख विपक्षी दल के सदस्य के रूप में मैं आपसे अपील करूंगा कि आप अपना होमवर्क अवश्य करें। पता लगाना। जब आप राष्ट्रपति को भी लाते हैं तो इससे अच्छा संदेश नहीं जाता। उन्होंने कहा कि संविधान पढ़ें और आप पाएंगे कि भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित की गई है। राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सत्र को संबोधित करेंगे, यही संविधान में मूल निर्देश था। और (पहला) संशोधन था, साल में एक बार। राष्ट्रपति संविधान के अनुरूप कार्य करते हैं। धनखड़ ने संसद के चल रहे विशेष सत्र में वेणुगोपाल को जवाब दिया। गौरतलब है कि विशेष सत्र 22 सितंबर तक चलेगा।
इससे पहले दिन में, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन ने पूछा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, एक महिला और उच्च पद संभालने वाले आदिवासी समुदाय के पहले व्यक्ति को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित क्यों नहीं किया गया। संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा शुरू करते हुए, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना चाहता है रंजन ने यह भी सवाल किया कि 2014 में पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में इसका वादा करने के बावजूद भाजपा को विधेयक लाने में साढ़े नौ साल क्यों लग गए। विधेयक को सत्तारूढ़ भाजपा का ‘चुनावी एजेंडा’ और ‘झुनझुना’ करार देते हुए कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में मांग की कि इस प्रस्तावित कानून को जनगणना एवं परिसीमन के पहले ही लागू किया जाना चाहिए।