Jagadish Shettar ने साबित किया कि पद ही सब कुछ होता है, विचारधारा का कोई महत्व नहीं है

By नीरज कुमार दुबे | Apr 17, 2023

कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदीश शेट्टर कांग्रेस में शामिल हो गये। दरअसल भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनावों के लिए शेट्टर को टिकट नहीं दिया था इसीलिए वह नाराज हो गये थे। उन्होंने दिल्ली जाकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से मुलाकात की थी लेकिन बात नहीं बन सकी थी। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी जगदीश शेट्टर को उम्मीदवारी दिलाने के लिए काफी प्रयास किये थे लेकिन पार्टी आलाकमान ने एक फॉर्मूले के तहत कई वरिष्ठ नेताओं को इस बार विधानसभा चुनावों में नहीं उतार कर युवाओं को मौका दिया है। जगदीश शेट्टर से भी कहा गया था कि वह चाहें तो उनके परिवार से किसी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसके अलावा जगदीश शेट्टर को राज्यसभा की सीट का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन उनके अड़ियल रुख को देखते हुए उन्हें मनाने के प्रयास छोड़ दिये गये थे।


हम आपको यह भी बता दें कि पिछले हफ्ते ही पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रहे लक्ष्मण सावदी भी उम्मीदवार नहीं बनाये जाने से नाराज होकर पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये थे। ऐसे में दो बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना और जिन विधायकों के टिकट कटे हैं उनका कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के साथ चले जाना, निश्चित ही भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर असर डाल सकता है।


जहां तक जगदीश शेट्टर की बात है तो आपको बता दें कि साल 2013 में डीवी सदानंद गौड़ा के इस्तीफे के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था। यही नहीं, भाजपा ने साल 2013 का विधानसभा चुनाव उनको मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करके लड़ा था, लेकिन उस चुनावों में भाजपा की करारी हार हो गयी थी। चुनाव के बाद जगदीश शेट्टर को किनारे नहीं किया गया बल्कि उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।

इसे भी पढ़ें: Karnataka elections से पहले भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर

अब जब वह कांग्रेस में शामिल हुए तो उससे स्पष्ट हो गया कि कुछ राजनीतिज्ञों के लिए पद ही सब कुछ है। विचारधारा का उनके लिए कोई महत्व नहीं है। जिस पार्टी ने उन्हें आधा दर्जन बार विधायक बनाया, कैबिनेट मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष बनाया और मुख्यमंत्री तक बनाया, उसे उन्होंने महज एक चुनावी टिकट के लिए अलविदा कह दिया। पांच दशक से ज्यादा समय तक वह संघ और जनसंघ की विचारधारा के साथ पले बढ़े और उसके प्रसार में महती भूमिका निभाई, इसलिए अब जब उन्होंने पाला बदल लिया है तब यह सवाल उठेगा ही कि दूसरी विचारधारा के साथ वह कैसे सामंजस्य बिठा पायेंगे? जगदीश शेट्टर को इस उम्र में भाजपा छोड़ने से पहले यह भी सोचना चाहिए था कि यदि कर्नाटक में कांग्रेस विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई तब उनकी जिंदगी भर की मेहनत पर पानी फिर जायेगा।


बहरहाल, देखा जाये तो जगदीश शेट्टर जैसे वयोवृद्ध नेताओं की राजनीति में बने रहने की इच्छा भी विकास में बड़ी बाधक है। यदि वयोवृद्ध नेता युवाओं के लिए पद छोड़ना शुरू कर दें और अपने अनुभव का लाभ उन्हें देते हुए उनका मार्गदर्शन करें तो युवाओं की ऊर्जा और वरिष्ठों के अनुभव का समावेश राज्य और देश के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगा। 


-नीरज कुमार दुबे

प्रमुख खबरें

IPL 2025: इन खिलाड़ियों को नहीं मिला कोई खरीददार, मेगा ऑक्शन में रहे अनसोल्ड

जिम्बाब्वे ने बड़ा उलटफेर कर पाकिस्तान को दी शिकस्त, 80 रन से जीता पहला वनडे

IPL 2025: सस्ते में निपटे ग्लेन मैक्सवेल, पंजाब किंग्स ने महज 4.2 करोड़ में खरीदा

IPL 2025 Auction: सनराइजर्स हैदराबाद ने ईशान किशन पर लगाया बड़ा दांव, 11.25 करोड़ में खरीदा