By रेनू तिवारी | Jul 01, 2023
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में वर्तमान गिरावट चीन द्वारा पैदा की गई है, न कि भारत द्वारा। उन्होंने कहा कि किसी रिश्ते को चलाने के लिए ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है। कोलकाता में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, जयशंकर ने कहा, "आखिरकार ताली बजाने के लिए दो हाथों की ज़रूरत होती है और चीन को भी एक व्यावहारिक रिश्ते में विश्वास रखना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "जब कोई बड़ी शक्ति उभरती है, तो वह स्थिरता चाहती है। चीन के साथ हमारी मंदी उनके यथास्थिति बदलने के कारण आई। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि रिश्तों में आपसी समझ होनी चाहिए।" जयशंकर ने कहा कि प्रमुख देशों के बीच रिश्ते तभी काम करते हैं जब वे आपसी हित, संवेदनशीलता और सम्मान पर आधारित होते हैं। मंत्री ने कहा कि वह चीन को यह समझाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "सीमावर्ती क्षेत्रों में, हमने कुछ मुद्दों को हल कर लिया है। (लेकिन) ऐसे मुद्दे भी हैं (जहां) हमने नहीं सुलझाए हैं।" "मैं ऐसा करना जारी रखूंगा... कूटनीति में, आप कभी हार नहीं मानते।"
इससे पहले मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मौजूदा गिरावट भारत की ओर से नहीं, बल्कि चीन की ओर से पैदा की गई है। विदेश मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है और किसी रिश्ते को चलाने के लिए दोतरफा प्रयास जरूरी होता है।
मंत्री ने यहां नया भारत और विश्व विषय पर श्यामा प्रसाद व्याख्यान देने के बाद यह बात कही। जब उनसे पूछा गया कि क्या दो एशियाई दिग्गजों के बीच कामकाजी संबंध हो सकते हैं, तो उन्होंने कहा, अंततः ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है और चीन को भी व्यावहारिक रिश्ते में विश्वास होना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि अगर बेहतर कामकाजी संबंध बनाए रखना है तो चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 1993 और 1996 में हुए समझौतों का पालन करना होगा।