By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 02, 2021
नयी दिल्ली। क्या दिल्ली ने कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर ली है? दरअसल, जनवरी में किए गए ताजा सीरो सर्वेक्षण में शामिल 56.13 फीसदी लोगों में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी (प्रतिरक्षी) मिली है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अभी जल्दबाजी होगी। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को पांचवें सीरो सर्वेक्षण के नतीजों की घोषणा की, जो 15 से 23 जनवरी के बीच किया गया था। हर वार्ड से नमूने एकत्र किए गए। कुल 28,000 नमूने एकत्र किये गये थे।
दक्षिण पश्चिम दिल्ली जिले में सबसे ज्यादा 62.18 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई, जबकि उत्तरी दिल्ली में सबसे कम 49.09 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पई गई। यह देश में अब तक का सबसे बड़ा सीरो सर्वेक्षण है। यह किसी भारतीय शहर में पाई गई सर्वाधिक एंटीबॉडी प्रतशित भी है। इसमें नयी व बेहतर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता की ओर बढ़ रही है, लेकिन इस बारे में सिर्फ विशेषज्ञ ही स्पष्ट रूप से बता पाएंगे।
प्रतिरक्षा विज्ञानी सतीश देवदास ने कहा कि ये नतीजे रोग के प्रसार की दर का आकलन करने में मददगार हैं लेकिन इस पर सावधानी पूर्वक विचार किये जाने की जरूरत है। ओडिशा के लाइफ साइंस इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक ने कहा, ‘‘यदि नमूने एकत्र करने का स्तर ज्यादा व्यापक नहीं है तो भी इस पर अवश्य गौर करना चाहिए। हालांकि, सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निष्कर्ष पर पहुंचने में इस बात का अवश्य ही ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह पूरी तरह सही या सटीक नहीं हो सकता है।’’
अन्य वैज्ञानिकों ने भी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में पूरी तरह से सावधानी बरतने की सलाह दी है। हालांकि, नतीजों से यह जाहिर होता है कि सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता कोविड-19 के प्रसार की बीच की कड़ी को तोड़ सकती है। वहीं, कई विशेषज्ञों ने कहा है कि खतरा अभी टला नहीं है। दिल्ली में कोविड-19 के नये मामलों की संख्या क्रमिक रूप से घट रही है। शहर में पिछले साल किसी एक दिन में 11 नवंबर को सर्वाधिक मामले सामने आये थे और यह संख्या 8,593 थी। सोमवार को शहर में 121 नये मामले सामने आये और तीन लोगों की मौत हुई, जो पिछले 10 महीनों में सबसे कम संख्या है।
गौरतलब है कि सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता उस वक्त पैदा होती है जब लोगों के एक बड़े समूह में संक्रमण से उबरने के बाद संक्रामक रोग के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित हो जाती है, जिसके चलते आबादी में इसका फैलना रूक जाता है। अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स ऐंड पॉलिसी के निदेशक एवं प्रतिरक्षा विज्ञानी रामनन लक्ष्मीनारायण ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से 60-70 प्रतिशत आबादी में प्रतिरोधक क्षमता पाये जाने को अच्छा माना जाता है...लेकिन यह संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा की अवधि के बारे में नहीं है।