यह परीक्षा का समय है, हमें एकजुट रहना होगा और एक टीम की तरह कार्य करना होगा: मोहन भागवत

By अंकित सिंह | May 15, 2021

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने पॉजिटिविटी अनलिमिटेड कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में तर्कहीन बयान देने से बचना चाहिए। अपने बयान में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमें सकारात्मक रहना होगा और मौजूदा परिस्थिति में खुद को कोविड-19 निगेटिव रखने के लिए सावधानियां भी बरतनी होंगी। मोहन भागवत ने कहा कि हम इस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं क्योंकि सरकार, प्रशासन और जनता, सभी कोविड की पहली लहर के बाद लापरवाह हो गए।   अपने संबोधन के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह परीक्षा का समय है लेकिन हमें एकजुट रहना होगा और एक टीम की तरह कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि सफलता और असफलता अंतिम नहीं है, जारी रखने का साहस मायने रखता है। मोहन भागवत ने "हम जीतेंगे पॉजिटिविटी अनलिमिटेड" व्याख्यान श्रृंखला में कहा कि कोविड आपदा मानवता पर है, भारत को विश्व के सामने अपना उदाहरण रखना है, सारे भारत को एक समूह के नाते सारे भेद भूलकर सभी को एक टीम की तरह काम करना है। 

 

कोरोना की पहली लहर के बाद सरकार, प्रशासन, लोग सभी लापरवाह हो गए थे: भागवत


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लोगों से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एकजुट और सकारात्मक बने रहने की अपील करते हुए शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस की पहली लहर के बाद सरकार, प्रशासन और जनता के लापरवाह होने के कारण वर्तमान स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ‘‘पोजिटिविटी अनलिमिटेड’’ व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘इस चुनौतीपूर्ण समय में एक दूसरे पर अंगुली उठाने की बजाए हमें एकजुट रहना होगा और एक टीम की तरह कार्य करना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम इस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं क्योंकि सरकार, प्रशासन और जनता, सभी कोविड की पहली लहर के बाद लापरवाह हो गए जबकि डाक्टरों द्वारा संकेत दिये जा रहे थे। ’’ सरसंघचालक ने कहा कि अब तीसरी लहर की बात हो रही है। ‘‘लेकिन हमें डरना नहीं है। हम चट्टान की तरह एकजुट रहेंगे।’’ 


भागवत ने कहा कि सभी को सकारात्मक रहना होगा और मौजूदा परिस्थिति में स्वयं को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने (नेगेटिव) के लिए सावधानियां बरतनी होंगी। उन्होंने कहा कि यह एक दूसरे पर अंगुली उठाने का उपयुक्त समय नहीं है और वर्तमान परिस्थितियों में तर्कहीन बयान देने से बचना चाहिए। भागवत ने कोरोना वायरस संक्रमण के संदर्भ में कहा, ‘‘जब वि‍पत्‍त‍ि आती है तो भारत के लोग जानते हैं कि सामने जो संकट है, उसे चुनौती मानकर संकल्‍प के साथ लड़ना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोग जानते हैं कि यह हमें डरा नहीं सकती। हमें जीतना है। जब तक जीत न जाएं तब तक लड़ना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘थोड़ा सी गफलत हुई। शासन-प्रशासन और लोग..सभी गफलत में आ गए, इसल‍िए यह आया।’’ मोहन भागवत ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड की स्थिति का जिक्र किया, जब ऐस लग रहा था कि सब कुछ उसके वितरीत जा रहा हो। भागवत ने तब के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को उद्धृत किया जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘इस कार्यालय में कोई निराशावादी नहीं है, हमें हार की संभावना में कोई रूचि नहीं है, इसका कोई अस्तित्व नहीं है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे ही इस परिस्थिति में हमें साहस नहीं छोड़ना है। हमें संकल्पबद्ध रहना है। 

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