By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 21, 2021
नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सरकार पर संसद में जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं कराने का आरोप लगाया और दावा किया कि उनको लोकसभा में लद्दाख का विषय नहीं उठाने दिया गया। उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए यह भी कहा कि अगर सरकार में हिम्मत है कि तो वह महंगाई, लखीमपुर खीरी, पेगासस, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे जनता से जुड़े मुद्दों पर सदन में चर्चा होने दे। कांग्रेस नेता ने लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य की मांग और सीमावर्ती इलाकों के चारागाह भूमि तक स्थानीय लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने के विषय पर कार्यस्थगन का नोटिस दिया था।
राहुल गांधी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम लद्दाख का मुद्दा उठाना चाहते हैं तो सरकार उठाने नहीं देती, किसानों का मुद्दा उठाना चाहते थे सरकार नहीं उठाने देती।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनता से जुड़े विषयों पर चर्चा नहीं होने देती। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैंने लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य और वहां के लोगों की कई मांगों के विषय को लेकर कार्यस्थगन का नोटिस दिया था। लेकिन यह विषय उठाने नहीं दिया गया। मैं लद्दाख में लोगों से कहना चाहता हूं कि हम आपके साथ हैं।’’ एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी विपक्ष की नहीं, बल्कि सरकार की होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को बर्खस्त किया जाना चाहिए और सदन में लखीमपुर खीरी मामले को लेकर चर्चा होनी चाहिए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य अखिलेश यादव की ओर से उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाए जाने से जुड़े सवाल पर राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार लोकतंत्र पर निरंतर हमले कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘पेगासस का विषय अंतराष्ट्रीय मामला था। किसी और देश में हिंदुस्तान का डेटा रखा गया था। सरकार ने यहां इस पर भी चर्चा नहीं होने दी।
लोकतंत्र पर लगातार आक्रमण हो रहा है।’’ बाद में राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ये कैसी सरकार है जिसे सदन को संभालना नहीं आता? महंगाई, लखीमपुर, एमएसपी, लद्दाख़, पेगासस, निलंबित सांसद जैसे मुद्दों पर हमारी आवाज़ की बुलंदी नहीं रोक सकते…हिम्मत है तो होने दो चर्चा!’’ उधर, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दावा किया कि पिछले साल और इस साल लोकसभा सचिवालय ने उनके द्वारा दिए गए 17 ऐसे प्रश्नों को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर अनुमति प्रदान नहीं की जो सीमा पर चीन की आक्रमकता से संबंधित थे। उन्होंने ट्वीट कर यह भी कहा, ‘‘अप्रैल, 2020 के बाद से चीन के विषय पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई।